क्या होता हे माँ के दूध का फ़र्ज़

                  मां के दूध का फर्ज

माँ शब्द जीवन का सबसे अनमोल  शब्द है क्योकि जो काम बच्चों के लिए माँ करती है वो कोई और नहीं कर सकता एक बच्चे के पैदा होने से लेकर माँ के जीवन काल में बच्चे उसके लिए बच्चे ही होते हैं उनकी फिक्र उसे ता उम्र रहती है पैदा करने से लेकर उँगली पकड़ कर चलना सीखाने तक जो कष्ट माँ को सहने पड़ते हैं वह और कोई सह नही सकता इसकी हर कोई सिर्फ कल्पना ही कर सकता है।
               माँ की ममता, जिम्मेदारी , क्रोध ,करुणा ,दया ,खुशी ,गम हर शब्द का मूल्य हम पूरा जीवन जीने के बाद भी अदा नही कर सकते। माँ ने हमें जन्म दिया है यह बात हम जैसे - जैसे बड़े होते हैं वैसे - वैसे भूलते जाते हैं , कई बार तो स्थिति यह आ जाती है कि दूसरे लोगों को यह याद दिलाना पड़ता है कि बेटा यह तुम्हारी माँ है इनकी कुछ तो परवाह किया करो कभी - कभी यह भी कहते सुना जा सकता  है कि 'बेटा माँ का दिल नही दुखाया करते' और हद तो तब हो जाती है कि बेटा शादी के बाद अपने परिवार के साथ घूमने फिरने जाने और अपने एन्जायमेन्ट के लिए माँ को कमरे में बन्द कर ताला लगा जाते हैं कई दिनों तक भी भूख से तड़पती हुई माँ की सुध नही लेते किसी नेक पड़ोसी की मदद ही एसे समय में उसके लिए भगवान का अवतार होती है (वाकया अखबार में छपी खबर के अनुसार ) दुनिया में एसे भी कई लोग हैं जो माँ का आदर नही करते उसके बुढ़ापे का सहारा नही बनते उसकी बीमारी का इलाज नही कराते अपने शोक मोज पर चाहे कितना भी पैसा खर्च कर लें लेते हैं लेकिन एक असहाय बीमार बेसहारा का सहारा नही बन पाते । एेसे भी कई बेटे  हैं जिन्हें अपनी जन्म देने वाली माँ से ज्यादा प्यारी अपनी पत्नि की माँ लगती है लगनी भी चाहिये इसमें कोई दो राय नही अपनी सास भी माँ का ही रुप होती है उसको सम्मान देना , दुख - सुख में साथ देना , बुरे समय में मदद करना फर्ज बनता है लेकिन यह फर्ज अापका तब सार्थक होगा जब आप अपनी माँ के लिए उतनी ही जिम्मेदारी दिखाते हो।
     
         प्रसिद्ध साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी 'बूढ़ी काकी' का उल्लेख करना चाहूँगा की आज 60 - 70 साल बाद भी हमारे इस समाज में एेसी बूढ़ी काकियॉ नज़र आ जाती है जिनके भाई भतीजे या रिश्तेदार दौलत के लालच में उन्हें सब्ज बाग दिखाकर दौलत हड़प लेते हैं और एसी बुजुर्ग महिलाओं को दो जून की रोटी तक के लिए तरसा देते हैं उनका अपमान तक करने से नही चूकते हैं ।
          आज भी हमारे समाज में  जन्म देने वाली माताओं की स्थिति मुंशी जी की 'बूढ़ी काकी' की तरह है। कहीं आप के आस - पास या आपके घर परिवार में एेसा हो रहा हो तो मदर्स डे पर संकल्प लें एेसी घटनाएें समाज में नही हो लोगों को इस लेख के माध्यम से प्रेरित करें बुजुर्गों को सम्मान दिलाएें और अपना जीवन सफल बनाएें ।

            मदर्स डे पर माँ को समर्पित


             मदर्स डे की शुभकामनाएें

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