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नवंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्षमा करने वाला और क्षमा माँगने वाला दोनों साधुवाद के पात्र हैं

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गलतियों का अहसास कराना और फिर हंसते-हंसते माफ कर देना क्षमा कहलाता है | क्षमा करने और क्षमा मांगने  का गुण हर व्यक्ति में नहीं होता लेकिन जिस व्यक्ति में यह गुण होता है वह दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति होता है | जो व्यक्ति क्षमा करना जानता है और दिल से क्षमा मांगना जानता है  वह कभी भी किसी का बुरा नहीं करता | वह भगवान का रूप होता है वह नहीं चाहता कि दुनिया में अपराध हो, वह नहीं चाहता दुनिया से भाई चारा खत्म हो, वह नहीं चाहता पड़ोसी - पड़ोसी का दुश्मन बने, वह नहीं चाहता कि लोगों के जीवन में तनाव बढ़े | https://goo.gl/images/n7kphT  जरा सोच कर देखिए जब आप से कोई गलती हुई हो और आप इस गलती के लिए कभी भगवान से प्रार्थना करते हैं कभी अपने इष्ट मित्रों रिश्तेदारों से एक गलती दोबारा न करने का वादा करते हैं | आप चाहते हैं कि बस एक बार मुझे क्षमा मिल जाए फिर मैं ऐसी गलती दोबारा नहीं करुंगा और यदि किसी तरह से लोग आपको क्षमा कर देते हैं सोच कर देखिए क्या प्रतिक्रिया आपके मन में होती होगी | https://goo.gl/images/bqFS1L अापकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता आप तनावमुक्त हो जाते हैं | आप आगे ग

ये बाते ख़त्म करती पति पत्नी का प्रेम

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 रिश्ते की अहमियत को स्त्री पुरुष दोनों को समझना बहुत जरूरी है रिश्तों की यदि बात की   जाये तो सभी रिश्ते महत्वपूर्ण होते है  | लेकिन ऐसा रिश्ता जो सभी रिश्तों  को बनाये रखने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाता है वह  है पति पत्नी का रिश्ता  |  इस रिश्ते की मजबूती पर परिवार की सुख समृद्धि निर्भर करती है |  इसलिए इस रिश्ते की अहमियत को स्त्री पुरुष दोनों को समझना बहुत जरूरी है | https://goo.gl/images/CjUBdj  आज के युग में पति पत्नी में अनबन आम बात हो गई है  जब पति पत्नी के रिश्ते बिगड़ते है रिश्तों  में खटास पैदा होती है तो आर्थिक मानसिक शारीरिक सभी समस्याएँ पैदा हो जाती है |   सामाजिक प्रतिष्ठा मान सम्मान दांव पर लग जाता है | |  इसलिए इस रिश्ते  को  बनाये रखने का हर सम्भव प्रयास पति  पत्नी  दोनों  को  करना चाहिए |  आज के युग में पति पत्नी में अनबन आम बात हो गई है | और इसी  के चलते परिवारों में तनाव बना रहता है | परिवारों  की   शांति भंग हो  जाती  है | https://goo.gl/images/QEAbvh   स्त्री पुरुष दोनों ही गलत फ़हमियों का शिकार हो जाते हैं    गलती करना मानव स्वभाव है अधिकत

नाराजगी ज़ाहिर करने से दुश्मनी भी बदल सकती है दोस्ती में

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नाराजगी मनुष्य का स्वाभाविक गुण है| जब कोई हमारी बात नहीं सुनता, हमारी बात नहीं मानता, हमारे दुख दर्द को नहीं समझता, हमें आर्थिक शारीरिक या मानसिक नुकसान पहुंचाता है, तो स्वाभाविक ,है नाराजगी जाहिर करनी पड़ती है| https://goo.gl/images/fEsJp6  नाराजगी हर रिश्तो में होती है| चाहे पति- पत्नी,हो बाप- बेटा हो ,भाई- भाई हो, सास- बहू हो, दोस्त -दोस्त, पड़ोसी- पड़ोसी, मालिक- नौकर लेकिन एक रिश्ता ऐसा होता है जिससे हम कभी नाराज होते ही नहीं है, और वह रिश्ता हे दुश्मनी का| https://goo.gl/images/zhsXCR हम दुश्मनों के सामने कभी नाराजगी जाहिर करते ही नहीं हैं| दुश्मनों से तो हम नाराजगी जाहिर किए बिना दुश्मनी निकालते हैं| या यूं कह लें जिनके सामने हम अपनी नाराजगी जाहिर नहीं कर सकते या तो हम उन्हें दुश्मन मान चुके हैं या वो हमें अपना दुश्मन मान चुके हैं| https://goo.gl/images/2wQxsH  जब दो व्यक्ति आपस में अपनी नाराजगी जाहिर नहीं कर रहे हैं, तो यह तय है, कि वहां दुश्मनी पल रही है| वहां एक दूसरे के प्रति मन में ज़हर इकट्ठा हो रहा है चाहे वह पति- पत्नी हो, भाई -भाई हो, बाप -बे

अपने ग़मों को कम करने के लिए दूसरों की खुशियों में दिल से हो जाइये शामिल

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जीवन में खुशी का बड़ा महत्व है | खुश रहने का संबंध हमारे स्वास्थ्य से होता है | जिस तरह से हरियाली या प्राकृतिक दृश्यों को देखकर मन प्रसन्न होता है, खिले हुए फूलों को देख कर खुशी मिलती है, उसी तरह लोगों के प्रसन्न और खिले हुए चेहरों को देख कर खुशी मिलती है | कई लोग अपने उन मित्रों से सिर्फ इसलिए मिलना पसंद करते हैं कि उनके चेहरे हमेशा फूलों की तरह खिले नजर आते हैं | उनमें उत्साह नज़र आता है उमंग होती है |  https://goo.gl/images/FVtDxr  जिन चेहरों पर हमेशा उदासी झलकती है , चिंता की लकीर हमेशा नजर आती है, जो लोग चेहरे से ही दुख प्रकट कर देते हैं, ऐसे लोगों से लोग कम मेलजोल रखते हैं और उनके दुखों में लोग दिल से शामिल नहीं होना चाहते | ऐसे लोगों का असली दुःख कभी पता ही नहीं चल पाता है| जिन लोगों के चेहरे पर हमेशा प्रसन्नता रहती है उनका दुख तुरंत पता चल जाता है | और ऐसे लोगों के दुख दर्द में लोग तुरंत और दिल से शामिल होते हैं| जो लोग खुश मिजाज नहीं होते हैं उनके लहजे हमेशा शिकायत भरे होते हैं| जबकि एक खुशमिजाज व्यक्ति की शिकायत भी स्वादिष्ट लगती है |  https://goo.gl/images/yPW

रास्ते की तरह होता है जीवन रास्ते की गणित से समझें ज़िन्दगी का गणित

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जीवन रास्ते की तरह होता है जिस तरह रास्तों में कई मोड़ आते हैं कई दुर्घटनाएें होती है, दो राहे आते हैं तिराहे चौराहे आते हैं उसी तरह हर मनुष्य का जीवन भी कई मोड़ों दुर्घटनाओं दो राहों तिराहों चौराहों से होकर गुजरता है। रास्तों पर जब मोड़ आता है तो मुड़ना पड़ता है मुड़ने के लिएे दाएें - बाएें आगे - पीछे देखना पड़ता है उसी तरह जब हमारे जीवन में मोड़ आएें और मुड़ना पड़े तो दाएें - बाएें आगे - पीछे यहां तक की ऊपर नीचे भी देखना पड़ता है । https://goo.gl/images/1FJqjj जिस प्रकार रास्ते पर बिना देखे मुड़ने पर दुर्घटना होने का भय रहता है उसी तरह यदि हम जीवन में आगे पीछे का सोचकर निर्णय नही लेंगे तो घटना या दुर्घटना होने का डर रहता है | जहाँ ट्राफिक कम होता है, वहाँ हम बिना यातायात के नियमों का पालन किये सड़क पार कर लेते हैं, लेकिन जहाँ ट्रेफिक अधिक होता है, वहाँ हमें यातायात के नियमों का पालन अवश्य करना चाहिये। उसी प्रकार जीवन में भी जहाँ आवश्यक हो हमें सिद्धांतों और नियमों का पालन अवश्य करना चाहिये। https://goo.gl/images/agMAo8 अनजान रास्तों पर हम कई बार दोराहे, तिराहों, चौराहों

क्यों ज़रूरी है पटाखे मुक्त दीपावली मनाना

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                                              दीपावली की बहुत बहुत शुभ कामनायें  प्रदूषण ने हमारी साँसों को कम कर दिया है  | प्रदूषण की वजह से नई नई बीमारियां पनप रही है | प्रदूषण  पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है |  हवा जहरीली हो गयी है | घर- घर में बिमारियों का बोल बाला है |   व्यक्ति की सबसे बड़ी दौलत उसका स्वास्थ्य है  | आज जिस घर में कोई व्यक्ति गंभीर बीमारी से पीड़ित हो जाता है उस   घर की  आर्थिक स्थिति चरमरा जाती है |  घर खर्च तक चलाने  में परेशानी आ जाती है |  खाना चाहे हम कम खा ले लेकिन हवा और पानी शुद्ध मिलना निहायत ही ज़रूरी है  | और यह तभी संभव है जब हम पर्यावरण के प्रति हम सचेत होंगे सावधान होंगे |   त्योहारों को भी हम हंसी ख़ुशी से तभी मना पाएंगे जब घर के सभी लोग स्वस्थ होंगे |  हमारे और परिवार के स्वास्थ्य के लिए यह आवश्यक है की हम पर्यावरण को प्रदूषित होने  से बचाएं  | इसलिए कोशिश करे की इस बार दीपावली को पटाखा मुक्त बनाने का प्रयास करें |  यह प्रदूषण को कम करने में बहुत बड़ा योगदान होगा |   व्यापारी भाइयों के लिए यह नुकसान का विषय हो सकता है लेकिन शुद्ध

जैसा खाओगे अन्न वैसा रहेगा मन ओर मन पर ही जीवन का आनंद निर्भर है।

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                           खान पान  का लोगों  का अपना अपना नजरिया होता है                          किसी को  खाने से  ख़ुशी मिलती है किसी को   खिलाने से                                  लेकिन दोनों में मन का होना बहुत जरूरी है                         मन से खाने और खिलाने में परम आनंद का एहसास होता है   कहा जाता है जैसा खाओगे अन्न वैसा रहेगा मन ओर मन पर ही जीवन का आनंद  निर्भर है। क्योकि मन ही हमें दुखी करता है मन ही हमें सुखी मन ही हमें परेशानियों मे डालता है मन ही समस्याओं से निकालता है मन ही दुविधा में फँसाता है मन ही दुविधा से सुलझाता है। जिस व्यक्ति ने मन पर विजय पा ली उसने समस्याओं के रहते भी जीवन जी लिया अपने मन को प्रसन्न रखकर हम दूसरों के मन को खुशी दे सकते हैं। और दूसरों को खुशी देने से बड़ा सुख कोई और हो नही सकता रही बात भोजन की तो मन को प्रसन्न रखने में खाने का बड़ा महत्व है। https://goo.gl/images/ehyJrS        यदि हम पोष्टिक भोजन ग्रहण करेंगे तो हम स्वस्थ रहेंगे शरीर स्वस्थ रहेगा अक्सर हम भोजन को स्वाद की द्रश्टि से ग्रहण करते हैं स्वास्थय की दृषि्ट से नही यह

क्या बच्चों की अच्छी परवरिश मददगार हो सकती है तनाव को कम करने में ?

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                   क्या बच्चों की अच्छी परवरिश मददगार हो सकती है तनाव को कम करने में ?                                                       यदि आप ऐसा मानते हैं तो इस लेख को एक बार जरूर पढ़ें  यातायात के साधनों के साथ - साथ मनोरंजन , खेल - कूद ,फैशन से लेकर शिक्षा और प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में अविश्वसनीय प्रगति हमारे देश में हुई है | सुख - सुविधाओं में वृद्धि होने के बावजूद भी हर व्यक्ति अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता में रहता है| और इसी वजह से भारी तनाव महसूस करता है| बच्चों की अच्छी परवरिश तनाव को कम करने में मददगार हो सकती है| परवरिश यानि लालन-पालन हर माँ-बाप की इच्छा होती है की वो बच्चों की परवरिश बहुत अच्छी तरह से करें| उन्हें अच्छी शिक्षा दें, संस्कार दें ताकि समाज में उनकी और उनके बच्चों की प्रतिष्ठा बनें | और अपने पूर्वजों का सम्मान बना रहें | लेकिन विडम्बना यह है की लाख चाहने के बावजूद कहीं न कहीं हमें इस बात का मलाल रहता है की जैसा हम चाहते थे वैसा नहीं हुआ | इस बात का अफ़सोस करते हुए लोगो  से  सुना जा सकता है की कही  न कही  हमारी  परवरिश में कमी रही होगी  |

पारम्परिक उपहारों और प्राकृतिक उपहारों का जानिये सच

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Copyright Holder: Nainika Gupta उपहार लेना और देना एक सामाजिक परिपाटी है, रिवाज है| जीवन में कई अवसर ऐसे आते हैं जब हमें पारंपरिक तौर पर उपहारों का आदान - प्रदान करना पड़ता है उपहार हमारी भावनाओं का प्रतीक होते हैं| और भावनाओं को कीमत में व्यक्त नहीं किया जा सकता| वैसे तो उपहार देने व लेने के लिए कई अवसर जीवन में आते हैं| शादी - विवाह, जन्मदिन, प्रेम की निशानी के तौर पर यह एक सामाजिक परंपरा हैं| https://goo.gl/images/sGbTnK  लेकिन आज के इस युग में उपहार फैशन के तौर पर भी दिए जाते हैं| कहीं- कहीं अपना काम निकलवाने के लिए भी भेंट स्वरूप उपहार दिये जाते है| पारंपरिक और सामाजिक रीति रिवाजों के रूप में उपहारों का लिया व दिया जाना एक सीमा तक जायज है| लेकिन अपना काम निकलवाने के लिए अथवा अपने शोक मौज के लिए दिए गए उपहार आपके लिए नुकसानदायक हो सकते हैं| ऐसे उपहारों के लेन-देन में सावधानी बरतना आवश्यक है| https://goo.gl/images/pcwZky एेसे उपहारों के लेन - देन से आपका मान-सम्मान व प्रतिष्ठा प्रभावित हो सकती है| महंगे उपहारों के लेन - देन में कानूनी प्रक्रिया को ध्यान में रखना