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क्या आप भी अपने सपने पूरा करना चाहते हैं

               सपने देखें टूटने पर दुखी न हों दोबारा पूर्ण उत्साह से देखें                                                                                       हर व्यक्ति के अपने सपने होते हैं |  कोई सोते हुए सपने देखता है कोई जागते हुए। सपने देखना कोई बुरी बात नहीं है किसी का सपना अच्छी नौकरी पाने का होता है, किसी का घर बनाने का ,किसी का प्यार पाने का कोई अपने मां-बाप के लिए कुछ करने का सपना संजोए बैठा है|  तो कोई अपने बच्चों का भविष्य बनाने का सपना देखता है|  कोई सपने राजकुमार के देखता है, कोई राजकुमारी के|  किसी का सपना अमीर बनने का होता है, तो किसी का शरीफ। इंसान जब सपने सोते हुए देखता है तो वह अच्छे बुरे दोनों तरह के सपने देखता है|  लेकिन जागते हुए सपने में एक खास बात होती है जागकर  देखे हुए सपने कभी भी बुरे नहीं देखे जाते हैं|  उनमें ललक होती है, इच्छा शक्ति होती है, इमानदारी होती है, नेक नियति होती है|                                                                                                                                                                              

सिनेमा और जीवन

सिनेमा यानी फिल्म हमारे समाज का आईना होती है हमारे समाज में फैली हुई बुराइयों कुरीतियों को हम तक पहुंचाने का प्रयास करती है लेकिन आजकल हम फिल्में सिर्फ मनोरंजन की दृष्टि से देखते हैं यह बात सही है की फिल्में हमारा मनोरंजन करती है लेकिन फिल्मों को हमें सिर्फ मनोरंजन की दृष्टि से ही नहीं देखना चाहिए फिल्मों के माध्यम से हमें संदेश मिलता है सिनेमा में अभिनित हर किरदार का अपना महत्व होता है फिल्मों के माध्यम से आदर्श पति पत्नी बन सकते हैं कई फिल्मों में बच्चों के किरदार इतने सशक्त होते हैं , कि एेसे बच्चे यदि असल जीवन में हो तो  माँ बाप का जीवन सार्थक हो जाए जाता है एक आदर्श बहू अपने पूरे परिवार का दिल जीत लेती है एक आदर्श सास अपनी बहू को बेटी का दर्जा देकर पूरे परिवार का सर गर्व से ऊंचा कर देती है । कई फिल्मों में दोस्ती की मिसालें दी गई है भाई बहन ननंद भोजाई के रिश्ते में कड़वाहट  व मिठास भी कई फिल्मों में पेश की गई है भाभी का देवर के प्रति स्नेह और देवर की भाभी के प्रति श्रद्धा को कैमरे में कैद कर आम जनता तक पहुंचाना कोई आसान काम नहीं है पारिवारिक झगड़ा सामाजिक राजनीतिक मुद्दें भी फिल

जीत

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 क्या आपको जितना अच्छा लगता है ? क्या आप भी कभी हारना नहीं चाहते यदि आपका उत्तर हाँ है तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़े  क्योकि जीतने से पहले यह जानना जरूरी है की आखीर जीत होती क्या है ?                                               हर कोई जीतना चाहता है|  हारना कोई नही चाहता | कुछ लोग जीत कर भी हार जाते हैं|  कुछ लोग हार कर के भी जीत जाते हैं । जीतना  हर किसी को अच्छा लगता है। जीतने से मान सम्मान बढ़ता है, प्रतिष्ठा बढ़ती है| आत्म विश्वास  बढ़ता है, खुशी मिलती है ,चेहरे प्रसन्न होते हैं, जीत एक दो या कुछ व्यक्तियों की होती है लेकिन अप्रत्यक्ष रुप से इस जीत की खुशी में कितने लोग शामिल होते हैं इसका अन्दाज नही लगा या जा सकता। जीत की यदि हम बात करें तो जीतने के प्रकार और किस्में भी कई प्रकार की होती है|  कोई खेलों में जीतना चाहता है ,कोई बिजनेस में, कोई पढ़ाई में जीतना चाहता है, कोई लड़ाई में ,कोई दिलों को जीतना चाहता है, कोई किलों को, कोई चुनावों में जीतना चाहता है, कोई गुनाहों में ,कोई धरती को जीतना चाहता है, कोई आसमान को ,कोई लठ से जीतना चाहता है ,कोई बुद्धि से |  सबकी अपनी - अपनी स

क्यों बजाएँ ताली ? जानिए ताली बजाने के चमत्कार

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                  जानिए ताली बजाने के चमत्कार  क्यों बजाएँ तालियाँ  ?                हर कोई अपने काम पर तालियाँ बजवाना   चाहता है। बजवाना  भी चाहिएे तालियाँ प्रशंसा का प्रतीक होती है, तालियों की आवाज़ आपके कद्रदानों की संख्या निर्धारित करती है। तालियाँ हमें खुशी प्रदान करती है। ताली बजाने का एक वैज्ञानिक कारण भी है तालियाँ  हमारे शरीर को स्वस्थ रखती है। इसलिए तालियाँ सिर्फ बजवाना ही नही बल्कि बजाना भी चाहिए आज हम सिर्फ ताली बजवाना चाहते हैं बजाना नही, हम यह बर्दाश्त नही करते की कोई दूसरों के लिए भी ताली बजाए, हम यह भूल जाते हैं कि जब हम दूसरों के लिए ताली बजाएेंगे तब हमें अपने लिए भी मिलेगी। https://as2.ftcdn.net/jpg/00/52/07/21/500_F_52072119_1CUwwby7Ae4gQPjSH1nRUbGS5mDmkYxc.jpg                             याद रखें ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है। इसलिए ताली कभी भी बजाएं दिल से बजाएं दूसरों की प्रशंसा करें तो दिल से करें और जब आप दूसरों की प्रशंसा दिल से करेंगे तो आप को भी प्रशंसा दिल से मिलेगी|  और जब आप ताली दूसरों के लिए बजाएेंगे और दूसरे आप के लिए तो ताली दोनों हाथों

सोच

जो व्यक्ति आज को जीना जानता है वह सबसे सुखी व्यक्ति है हम भविष्य और भूतकाल के चक्कर में वर्तमान को भी नही जी पाते हैं।      जो व्यक्तु आज को जीना जानता है उसकी सोच अधिकतर सकारात्मक होती है जो व्यक्ति आज को जीना मही जानता उसकी सोच अधिकतर नकारात्मक होती है सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति समस्याओं का हल जल्दी निकाल लेते हैं जबकि नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति समस्याओं को और उलझा देते हैं।जिससे समस्या का हल निकालने में अधिक समय लगता है । सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति खुश रहने की कोशिश करते हैं जबकि नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति दुखी रहते हैं और दूसरों को भी दुखी करते हैं इसलिए हमेशा छोटी-छोटी बातों को सकारात्मक नजरिये से देखना चाहिए समस्याएें जिन्दगी का एक हिस्सा होती है। हर पल नई समस्या हमारे सामने होती है। हम समस्याओं के हल निकालने की बजाय सामाजिक रीती-रिवाजों और नकारात्मक सोच सिद्धांतों की बेड़ियों में अपने आप को बांधे रहते हैं लोग क्या कहेंगे? लोग क्या सोचेंगे कहीं हम  गलत तो नही यही नकारात्मक ख्याल हमारे दिमाग में चलता रहता है। जबकी हम उस समस्या का सकारात्मक हल  निकाल चुके होते हैं। लेकिन हमारी

जीवन की मूलभूत आवश्यकता

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समय, पैसा और स्वभाव वैसे तो कहा जाता है जीवन की मूलभूत आवश्यकताएँ रोटी, कपड़ा और मकान है| लेकिन इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हमें साधन चाहिए और वह साधन है पैसा| माना कि पैसा सब कुछ नहीं है| लेकिन पैसा बहुत कुछ है| यदि आपके पास पैसा है, और समय नहीं है, तो उस पैसे का क्या फायदा जिसका आप समय ना होने की वजह से उपयोग ही नहीं कर सकते और यदि आपके पास समय हे और पैसा नहीं है तो उस समय का क्या फायदा जिसे आप पैसा न होने की वजह से गुजार ही नहीं पा रहे हैं| तीसरी बात यदि आपके पास पैसा भी है समय भी है लेकिन यदि आप कंजूस प्रवृति के है, क्रोधी है , इर्षालु है, झगड़ालू है, अनैतिक है, अत्याचारी है , बेईमान है दूसरों का अहित चाहते हैं तो आपके इस स्वभाव की वजह से यही पैसा आपके लिए मुसीबत बन सकता है| पैसे की वजह से हर पल आपके दुश्मनों की संख्या बढ़ती जाएगी| और सारा समय आप इन्हीं चिंताओं में व्यर्थ गवा देंगे कि कहीं कोई आपकी खिलाफत तो

सिक्के के पहलुओं का जीवन में क्या है महत्व ? जानिए

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सिक्के के पहलू हर सिक्के के दो पहलू होते हैं| लेकिन हमारी नजर सिर्फ एक पहलू पर पड़ती है| जब तक हम उसे पलट कर नहीं देखेंगे हम पता नहीं कर पाएंगे , दूसरी ओर क्या लिखा है | अक्सर जीवन में हम यही करते हैं| हम सिर्फ एक तरफ के हिस्से को ही देखते हैं और उसी आधार पर सारे निर्णय ले लेते हैं| दूसरे पहलू को नजरअंदाज करने से हमारे फैसले प्रभावित होते हैं | हमारी राय प्रभावित होती है| जो व्यक्ति गुनहगार नहीं है वह गुनहगार साबित हो जाता है| और जो गुनहगार है वह आसानी से बरी हो जाता है इसलिए हमारी नज़र सिक्के के दोनों पहलुओं पर होनी चाहिए | जो चीज हमें नजर नहीं आ रही है, उसे नजर में लाने के लिए भगवान ने हमें शरीर के अंग दिये है| आंखों से हम देख सकते हें , कानों से हम सुन सकते हैं, जुबान से हम बोल सकते हैं, दिमाग से विचार कर सकते हैं सोच सकते हैं| लेकिन इन प्रकृति प्रद्दत अंगों का उपयोग भी हम सही तरीके से नहीं करते हैं | दुनिया में अधिकतर समस्याएँ हमारे इन अंगों के सही उपयोग

जीवन

जीवन की राह बहुत कठिन है |जीवन जीना बहुत मुश्किल हो गया है |आने वाला समय बहुत खराब आ रहा  है |आगे की जिन्दगी कैसी होगी ? जीवन नीरस हो गया है| जिन्दगी बहुत लम्बी है कैसे गुज़रेगा जिन्दगी का सफर आदि कई तरह की बातें आम बातें हो गई है कोई भी घटना जब हमारे आस-पास घटित होती है तो कई जुबाने इस तरह के वाक्यों का प्रयोग करती है         जो लोग जीवन में हंसना नही जानते उनके लिए जीवन जीना और भी कठिन हो जाता है| एक खुश मिजाज व्यक्ति अपने जीवन को हंसी खुशी जीता है और अपने आस-पास के लोगों को भी खुश रखता है ।          माना की जीवन में कई पल एसे आते हैे जब व्यक्ति पूरी तरह से घबरा जाता है , टूट जाता है और घबरा कर कई गलत निर्णय ले लेता है | लेकिन धैर्य रखा जाए तो कोई न कोई रास्ता अवश्य निकलता है |          लेकिन कई बार इंसान के धैर्य की भी परीक्षा होती है उसकी भी इन्तेहा हो जाती है । जीवन में कई बार हम बेवजह अपनी प्रतिष्ठा , अहम् स्वभाव की वजह से समस्याएें मोल ले लेते हैं। छोटी-छोटी बातों में हमें गुस्सा आ जाता है | कई बार तो गुस्से में हमें सही सलाह भी गलत लगने लगती है | और हम  उस  व्यक्ति को भ

भोजन

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कहा जाता है जैसा खाओगे अन्न वैसा रहेगा मन ओर मन पर ही जीवन का आनन्द  निर्भर है। क्योकि मन ही हमें दुखी करता है मन ही हमें सुखी मन ही हमें परेशानियों मे डालता है मन ही समस्याओं से निकालता है मन ही दुविधा में फँसाता है मन ही दुविधा से निकलता  है। जिस व्यक्ति ने मन पर विजय पा ली उसने समस्याओं के रहते भी जीवन जी लिया |  अपने मन को प्रसन्न रखकर हम दूसरों के मन को खुशी दे सकते हैं। और दूसरों को खुशी देने से बड़ा सुख कोई और हो नही सकता| ख़ुशी चाहे दूसरों की हो या स्वयं की  हमेशा मन की प्रसन्नता पर निर्भर करती है  और  मन को प्रसन्न रखने में भोजन  का बड़ा महत्व है।                                          यदि हम पौष्टिक  भोजन ग्रहण करेंगे तो हम स्वस्थ रहेंगे शरीर स्वस्थ रहेगा अक्सर हम भोजन को स्वाद की दृष्टि  से ग्रहण करते हैं स्वास्थ्य  की दृष्टि  से नही |  यह सच है कि स्वादिष्ट भोजन हमे खाने मे अच्छा लगता है परन्तु स्वस्थ शरीर के लिए स्वाद के साथ साथ पौष्टिकता भी जरूरी है यह जरूरी नही कि हम बादाम, काजू, घी, दूध से भोजन को पौष्टिक बनाए हम कम खर्चे में सब्जियों तथा विभिन्न प्रकार के अनाजो

गलती

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 गलती करना मानव स्वभाव है गलतियाँ मनुष्य को बहुत कुछ सिखाती है गलती इन्सान से होती है लेकिन एक गलती को बार-बार करना ठीक नही है |      गलतियाँ कई प्रकार की होती है कुछ गलतियाँ स्वाभाविक होती है कुछ मजबूरी में होती है कुछ जानकारी के अभाव में होती है लेकिन कभी-कभी गलतियाँ सकारात्मक प्रभाव भी छोड़ जाती है गलतियाँ भी हमारे जीवन का अंग है जो व्यक्ति गलती करने से डरता है वह कभी कुछ सीख नही पाता  लेकिन गलतियाँ बार-बार करना उनमें कुछ सुधार नही करना  समझदारी नहीं है|        क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया नैसर्गिक नियम है। जो व्यक्ति कार्य करेगा ही नही उससे गलती होगी भी नही गलती किसी कार्य को करने से ही होती है यदि हम पानी में पैर रखने से ही डरेंगेे तो पानी की गहराई का पता ही नही चल पाएेगा और हम कभी तैरना नही सीख पाएेंगे यदि हम परीक्षा में फैल होने से डरेंगे तो परीक्षा ही नही दे पाएेंगे यदि हम हार से डरेंगे तो खेल खेलना ही नही सीख पाएेंगे।    जीवन में गलती के डर से यदि हम समस्याओं से दूर भागेंगे तो हम समाधान नही खोज पाएेंगे और हम जीवन नही जी पाएेंगे और फिर हम अपने से जुड़ी हर जिन्द

नजरिया

नींद से जागने के बाद सुबह हम अपने आप को तरो ताजा महसूस करते हैं हर व्यक्ति हर रोज कुछ नया चाहता है ताकि वह अपना नजरिये को अपने द्रष्टीकोण को तरो ताजा बना सके।     ' Old is gold' लेकिन हर पुरानी चीज़ सोना हो इसकी कोई गारन्टी नहीं  और हर नई चीज़ सोना हो यह भी जरुरी नही। देश काल परिस्थिति के अनुसार हमें अपने आप में अपने विचारों में परिवर्तन कर अपने नजरिये को बदलना ही समाज के लिए , देश के लिए हितकारी होता है।          क्योंकि कोई कहता है 'मुझे दो ही रोटी मिली' और कोई कहता है'मुझे दो तो मिली' यही नजरिये का फर्क है ।        दो भूखे व्यक्तियों को दो-दो रोटी मिली है उनमें से एक कहता है मुझे दो ही रोटी मिली और दूसरा  कहता है मुझे दो तो मिली पहले व्यक्ति के नजरिये से प्रतीत होता है उसे अभी और भू्ख है उसे और मिलनी चाहिएे नही तो वह छीन भी सकता है। उसके मन में अभी और चाहत है या लालच है  नजरिया देखें। यदि उसने दो रोटी से अधिक का परिश्रम किया है और उसे दो ही रोटी मिली है तो यह उसकी चाहत है और यदि उसने परिश्रम दो रोटी से कम का किया है फिर भी चाहत अधिक की है तो यह उसका ल

पहचान दुश्मन और दोस्त की

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दुश्मन इंसान को अपनी बुराई कभी भी स्वयं नजर नहीं आती| जो लोग अपनी बुराइयों को समझना चाहते हैं, जानना चाहते हैं, उन्हें दूसरों की बातों को गौर से सुनना और समझना चाहिए हमारा अहम और वहम हमें हमारी बुराइयों तक नहीं पहुंचने देना चाहता है और इसी वजह से हमें सिर्फ वो लोग अच्छे लगते हैं जो हमारी तारीफ करते हैं, या हमारी बात को मन रखने के लिए जैसा का तैसा स्वीकार कर लेते हैं| जो लोग हमारी कमियों को, हमारी बुराइयों को हमारे सामने लाते हैं उन्हें हम अपना दुश्मन समझने लगते हैं और जो लोग आप की बुराइयों को या कमियों को सामने लाकर आपका हित चाहते हैं, आपका भला चाहते हैं ऐसे लोगों से हम दूरी बनाना शुरु कर देते हैं| और इसे हम अपनी समझदारी समझते हैं| याद रखे ऐसे लोग जो आप की कमियों को आपके सामने ला रहे हैं वह आपके सबसे सच्चे हिमायती और दोस्त होते हैं| भगवान से हम हमेशा यही मांगते हैं रहते हैं कि हम में कोई बुराई नहीं हो और जब हमारी बुराई हमारे सामने आती है तो हम उसे दूर करने की जगह मन ही मन उस व्यक्ति को दोष देने लगते हैं जो उसे हमा

क्या भी तनाव ग्रस्त है ? तनाव से छुटकारा पाना चाहते है तो यह पढ़े

क्या भी तनाव ग्रस्त है ? तनाव से छुटकारा पाना चाहते है तो यह पढ़े हर कोई तनावग्रस्त है तनाव से छुटकारा भी पाना चाहता है परन्तु तनाव के कारणों को नहीं समझना चाहता अधिकतर मामलो में तनाव हम खुद बढ़ाते है | आप विचार करें सोचकर देखें की ऐसी बाते है ऐसे काम है जिन्हे यदि हम नहीं भी करे तो कोई कहने वाला नहीं होगा कोई सोचने वाला नहीं होगा परन्तु हम यह सोचकर की दुनिया क्या सोचेगी? दुनिया क्या कहेगी ? यही सोच सोच कर तनाव लेते रहते है | अपने भले बुरे की बात भी हम दुनिया के भरोसे पर सोचते है | और दूसरो के भले बुरे की परवाह किये बगैर हम हमारी जिद और कुंठा दूसरो पर थोपने को तैयार रहते है | जीवन मैं कई बातें हमारे तनाव का कारण बनती है यही वजह है कि आज हर कोई अपना जीवन तनाव के हवाले कर चुका है| जीवन मैं कई बातें हमारे तनाव का कारण बनती है | जिनमें से कुछ बातें ऐसी होती है जो हम जानबूझकर मोल लेकर तनाव को बढ़ा देते हैं | यह बातें हमारे स्वभाव के कारण हो सकती है, हमारी ना समझी के कारण हो सकती है, हमारे अति विश्

भ्रम का माया जाल

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                                                   भ्रम  आज लोग इतने भ्रम में है, कि सच और झूठ, अच्छा और बुरा ,ज्ञान- अज्ञान, सही -गलत का फैसला भी नहीं कर पाते हैं इसके लिए हम लोग ही जिम्मेदार है क्योंकि यदि कोई अच्छा कर रहा है तो उसे बुरा साबित करने में हम अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं| कोई सच कह रहा है तो हम उसे झूठा साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं | कोई ज्ञानी है तो उसे अज्ञानी हम खुद ही बना देते हैं | कोई सही काम कर रहा है तो गलत करने के लिए हम लोग ही मजबूर कर देते हैं | कारण इसका सिर्फ एक ही है हमारा स्वार्थ | जब हम झूठ बोलते हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन दूसरा बोल दे तो हम उसे झूठा साबित करने के लिए एडी से चोटी तक का जोर लगा देते हैं | जब गलती हम करते हैं तो पहली बात तो हम उसे मानने के लिए तैयार ही नहीं होते हैं | और यदि 4 लोगों के कहने से मान भी लें तो हम सामने वालों की गलतियां ढूंढने में पूरी जिंदगी लगा देते हैं यह सोचकर की बस एक गलती पकड़ में आ जाए तो बदला पूरा हो जाए| कोई हमारा चाहे कितना ही अच्छा कर दे लेकिन गलती से यदि कोई एक भी बुरा

पहिया, आग, पानी और हम

पौराणिक काल में मनुष्य जंगलों में रहा करता था| जंगलों में ही उसने पत्थरों को रगड़कर आग जलाना सीखा | आग जलाकर उसने भोजन पकाना सीखा, पका हुआ भोजन कच्चे भोजन से अधिक स्वादिष्ट होता है| इस बात की जानकारी उसे यहीं से मिली फिर उसने पहिये का आविष्कार किया | जिस तरह पहिए के आविष्कार से दुनिया को गति मिली और सभ्यताओं का विकास हुआ उसी तरह आग ने भी हमारी सभ्यताओं को विकसित किया आग लगाना हम सीख गए लेकिन बुझाने के लिए उपाय मिला पानी| इस तरह पहिया, आग और पानी से हमारी सभ्यता पनपती गई| इन तीनों के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते ,लेकिन जिन चीजों से सभ्यताएं विकसित हुई दुनिया प्रगति की ओर अग्रसर हुई, नए-नए आविष्कार हुए, आर्थिक विकास हुआ, आज उसी पहिये, आग, और पानी के दुरूपयोग की वजह से हम शारीरिक और मानसिक विकास को खोते जा रहे हैं | पहिये ने हमें गति प्रदान की लेकिन जिस गति से हम जिंदगी को दौड़ा रहे हैं उससे हम शारीरिक और मानसिक रुप से पिछड़ रहे हैं आग से हमने भोजन बनाना सीखा, भोजन बनाते-बनाते हम उसी आग से हथियार बनाना सीख गऐ और अब तो दुनिया आग से खेलने लगी है| 

सुई, तलवार ,कैंची और हम

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सुई, तलवार ,कैंची और हम  हम अपना जीवन सुई , तलवार और कैंची की तरह जीते हैं अधिकतर लोग अपने जीवन को तलवार और कैंची की तरह जीते हैं जबकि जीवन को सुई की तरह बनाना चाहिए| तलवार और कैंची एक को दो करने का काम करते हैं जबकि सुई दो को एक करने का काम करती है यही हमारे जीवन जीने का नजरिया हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग समस्याओं को जन्म देता है और जीवन में आ रही कठिनाइयों, बाधाओं, समस्याओं की सच्चाई भी यही बयां करती है कि अधिकतर लोग सुई की जगह तलवार और किसी से अपनी समस्याओं का हल निकालना चाहते हैं परिवार हो या पड़ोस हम छोटी-छोटी बातों में छोटी-छोटी समस्याएं जो एक सुई से हल हो सकती है, उसके लिए भी हम तलवार का उपयोग करने की कोशिश करते हैं| जबाने हमारी कैंची की तरह चलती है जो कभी दो को एक नहीं होने देती बल्कि एक के न जाने कितने टुकड़े कर देती है किसी को दर्द महसूस कराने के लिए सुई चुभो दो तो दर्द महसूस हो जाता है न खून खराबे की जरूरत है पुलिस ठाने की लेकिन एक छोटा सा दर्द महसूस करने के लिए हम अपने परिवार में भी उपयोग तलवारों और कैंचियों का कर र

सीखने की कला यानी अभ्यास

अभ्यास अभ्यास यानी 'प्रैक्टिस'| अभ्यास आप जिस चीज का करोगे निश्चित रुप से धीरे -धीरे उसे सीख जाओगे निर्भर करता है आपके अभ्यास नियमित करने पर| जिस तरह किसी भी भाषा का ज्ञान करने के लिए उसकी ABCD या वर्णमाला का अभ्यास जरुरी है, गणित सीखने के लिए गिनती पहाड़ों का अभ्यास जरुरी है, उसी तरह जिंदगी को जीने के लिए जिंदगी की ABCD उसकी वर्णमाला का अभ्यास जरुरी है| बचपन में हमे हिंदी के स्वर- व्यंजन, इंग्लिश की ABCD गिनती पहाड़े याद थे लेकिन आज हमसे कोई पूछ बैठें तो अधिकतर लोग क्रम से नहीं बता पाएंगे, लेकिन जिन लोगों ने अभ्यास जारी रखा हुआ है चाहे वह अपने बच्चों को पढ़ाने के माध्यम से जारी रहा हो या जिज्ञासावश वो लोग तुरंत बता देंगे क्योंकि यह उनके अभ्यास की वजह से याद रहा | ठीक उसी तरह जिंदगी को याद रखने के लिए जिंदगी की ABCD वर्णमाला गिनती पहाड़ों का अभ्यास जरुरी है जो अक्सर लोग नहीं करते हैं और करते हैं तो नियमित नहीं करते हैं यही वजह है कि हम जैसे- जैसे बड़े होते जाते हैं जिंदगी को भूलते जाते हैं क्योंकि ह

वजन -- 1 ग्राम खुशी = 1 किलो दुःख

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दुःख पत्थर की तरह भारी और खुशियाँ फूलों की तरह हल्की होती है एक मोटा बेशेप व्यक्ति जिसका वजन ज्यादा होता है देखने में अच्छा नहीं लगता बैशक चाहे उसका चाल चलन आचरण अच्छा हो| उसी तरह एक दुखी व्यक्ति जो हमेशा अपने दुखों का रोना रोता रहता है वह चाहे आचार विचार से परिपक्व हो, संस्कारित हो लेकिन जो दुखों का वजन अपने ऊपर लेकर चल रहा है वह सुंदर होते हुए भी सुंदर नजर नहीं आता है काराण है दुखों में बहुत वजन होता है दुखों के बोझ तले वह अपने आचरण संस्कारों अच्छाइयों को दबा लेता हैं और गुस्सा, कुंठा, नफरत शरीर में भरता रहता हैं| इस वजह से वह अपने शरीर को बेडोल बेशेप बना लेते हैं| दुख पत्थर की तरह कठोर और भारी होते हैं, जबकि खुशियां फूलों की तरह सुगंधित और खुशबू बिखेरने वाली होती है| जिस तरह से हम पत्थर को देखकर उसके वजन का पता लगा सकते हैं उसी तरफ दुखी व्यक्ति को देखकर उसके दुःख का पता लगाया जा सकता हैं| खुशियों के वजन का पता लगाने के लिए हम रुई के पहाड़ को अपने ऊपर रख कर देख सकते हैं | अंदाजा लगाइये दुखों का वजन हम सहन नहीं कर सकते लेकिन खुशियां जो फूलों और

नाराजगी स्वाभाविक है

नाराज़गी नाराजगी मनुष्य का स्वाभाविक गुण है| जब कोई हमारी बात नहीं सुनता,  हमारी बात नहीं मानता, हमारे दुख दर्द को नहीं समझता, हमें आर्थिक शारीरिक या मानसिक नुकसान पहुंचाता है, तो स्वाभाविक ,है नाराजगी जाहिर करनी पड़ती है| नाराजगी हर रिश्तो में होती है| चाहे पति- पत्नी,हो बाप- बेटा हो ,भाई- भाई हो, सास- बहू हो, दोस्त -दोस्त, पड़ोसी- पड़ोसी, मालिक- नौकर लेकिन एक रिश्ता ऐसा होता है जिससे हम कभी नाराज होते ही नहीं है, और वह रिश्ता हे दुश्मनी का| हम दुश्मनों के सामने कभी नाराजगी जाहिर करते ही नहीं हैं| दुश्मनों से तो हम नाराजगी जाहिर किए बिना दुश्मनी निकालते हैं| या यूं कह लें जिनके सामने हम अपनी नाराजगी जाहिर नहीं कर सकते या तो हम उन्हें दुश्मन मान चुके हैं या वो हमें अपना दुश्मन मान चुके हैं| दोस्तों जब दो व्यक्ति आपस में अपनी नाराजगी जाहिर नहीं कर रहे हैं, तो यह तय है, कि वहां दुश्मनी पल रही है| वहां एक दूसरे के प्रति मन में ज़हर इकट्ठा हो रहा है चाहे वह पति- पत्नी हो, भाई -भाई हो, बाप -बेटा हो ,सास -बहू