हमे थोड़ी मालूम था हमने तो अपनी जिम्मेदारी निभा दी
जिम्मेदारी अपनी जिम्मेदारी अक्सर हर व्यक्ति समझता भी है और पूर्ण करता भी है | दुनिया में ऐसे कम ही लोग होंगे जो अपनी जिम्म्मेदारी नहीं निभा पाते है | परन्तु बावजूद इसके ऐसा क्यों महसूस होता है की पति- पत्न्नी एक दूसरे के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहे है | कहीं बच्चे माता -पिता से फर्ज निभाने के लिए असंतुष्ट है तो कहीं माता- पिता अपने बच्चो से खफा नजर आते है | कहीं जनता सरकार से तो कहीं सरकार जनता से मालिक नौकर से नौकर मालिक से | असल में बात जिम्मेदारी निभाने तक ही सीमित हो कर रह गई है | कोई जिम्म्मेदारी निभाने से आगे के परिणामों के बारे में सोचता ही नहीं है |असल में जो फर्ज निभा कर उससे आगे उसके परिणामों के बारे में भी सोच पाता है लोगों का भरोसा उसी पर मजबूत हो पाता है | जो अपनी जिम्मेदारी निभाकर इति श्री कर लेते है उन्हें उसके परिणामों से कोई मतलब नहीं होता की परिणाम सकारात्मक है या नकारात्मक | वो अपनी जिम्मेदारी से अपने आपको यह समझ कर मुक्त कर लेते है की उन्होंने तो अपनी जिम्म्मेदारी पूर्ण कर ली अपना फर्ज पूरा कर दिया