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मार्च, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हमे थोड़ी मालूम था हमने तो अपनी जिम्मेदारी निभा दी

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जिम्मेदारी  अपनी जिम्मेदारी  अक्सर हर व्यक्ति समझता भी है और पूर्ण  करता  भी है |  दुनिया में ऐसे  कम ही  लोग होंगे जो अपनी जिम्म्मेदारी नहीं निभा पाते है |  परन्तु बावजूद इसके   ऐसा क्यों महसूस होता  है की पति- पत्न्नी एक दूसरे के  प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहे  है |  कहीं  बच्चे माता -पिता से फर्ज  निभाने के लिए असंतुष्ट है  तो कहीं  माता- पिता अपने बच्चो से खफा नजर आते है | कहीं  जनता   सरकार से तो कहीं सरकार  जनता से मालिक नौकर से नौकर मालिक  से  | असल में बात जिम्मेदारी निभाने तक ही  सीमित  हो कर रह गई है   |   कोई जिम्म्मेदारी निभाने  से आगे के परिणामों  के बारे में सोचता ही नहीं है  |असल में  जो फर्ज   निभा कर उससे आगे उसके परिणामों के बारे में  भी सोच पाता  है  लोगों  का भरोसा उसी पर  मजबूत हो  पाता  है  |  जो अपनी जिम्मेदारी निभाकर इति श्री कर लेते है उन्हें उसके परिणामों  से कोई मतलब नहीं होता की परिणाम सकारात्मक है  या नकारात्मक | वो अपनी जिम्मेदारी से अपने आपको   यह समझ  कर  मुक्त कर  लेते है की  उन्होंने तो अपनी जिम्म्मेदारी पूर्ण कर ली अपना फर्ज पूरा कर दिया

यदि समाज को बदलना चाहते है तो शुरुवात अपने स्वयं से करें

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हर कोई समाज में बदलाव चाहता है | समाज में बदलाव की आवश्यकता हर कोई महसूस कर रहा है |  परन्तु यह कोई सोचने और समझने को तैयार नहीं की समाज हम से या हमारे जैसे लोगो से मिल कर ही बना है | अपराध भी हम  जैसे लोगो में से कोई ना कोई  करता है |  परन्तु जब तक उसके प्रमाण नहीं हो कोई अपने आप को अपराधी मानने के लिए तैयार ही नहीं होता है |  बल्कि प्रमाण  मिलने के बाद  भी अपने आप को सही साबित करने के लिए   दूसरो को भ्रमित करते रहना  एक चलन सा हो गया है  |  ऐसा नहीं है कि  अपराधी  प्रवृति के   लोग हमारे परिवार या पड़ोस में नहीं  होते या   हम उनसे परिचित नहीं होते  |  परन्तु  रिश्ते नाते , स्वार्थ , मजबूरियां, भय,  स्वभाव, परिस्थितियां  ऐसे   कारण है जिनकी  वजह से हम अक्सर अपराध को छिपाने  या अपराधी की  मदद को तैयार  जाते है |  यह बहुत बड़ा सच है  |  चाहे तो आप यह  बात आजमाकर देख लें  | https://images.app.goo.gl/6AKaMW1sJpcd7ygZ7 इसलिये समाज में यदि बदलाव लाना चाहते है तो सिर्फ क़ानून बनाने से या उसे सख्ती से लागू करने से काम नहीं चलेगा  | क्योंकि  आज भी हम अपराधियों को खत्म करने की सोच रह

geeta updesh in hindi .गीता उपदेशों से कैसे करें तनाव दूर

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भगवत गीता के उपदेश यदि मनुष्य अपने जीवन में उतार  ले तो वह अपनर तनाव ग्रस्त  जीवन से तनाव मुक्त हो सकता है साथ साथ सामाजिक जीवन को भी सुधार सकता है | लेकिन किसी भी मनुष्य के लिए सम्पूर्ण गीता के उपदेशों को अपने जीवन में लागू कर पाना या उन पर चल पाना आज के इस आधुनिक जीवन में संभव नहीं है | फिर भी गीता सार को   समझ कर गीता से सीख  लेकर  भी  आज के कष्टमय और तनाव ग्रस्त जीवन को दुःखी होकर जीने की बजाये प्रसन्नता पूर्वक भी  जीया जा सकता है |   Third party image reference 1. गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कर्म किये जा फल की इच्छा मत कर लोग कर्म तो शुरू करते हैं लेकिन फल की इच्छा में उसे पूर्ण होने से पहले ही छोड़ देते हैं | जबकि थोड़ा कष्ट सहन करके बिना फल की इच्छा किये अपने कार्य को लगातार जारी रखा जाए तो उसका फल निश्चित रूप से मिलेगा |  2. गीता में उपदेश दिया गया है अपने मन की बात हमे किसी न किसी से अवश्य शेयर  करनी चाहिए क्योंकि हम किसी भी बात को अपने मन में रखकर अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं और उसका जहर हमारे मन में घोलते रहते हैं | जो हमारे लिए तो नुकसानदायक है ही दूसरों के लिए भी

क्या नैतिकता सीखाने की जिम्मेदारी शिक्षक वर्ग की और सीखने की सिर्फ विद्यार्थियों की है ?

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एक सभ्य समाज के लिए नैतिकता की बात करना समाज के हर वर्ग के  उत्थान के लिए जरूरी है | नैतिकता का प्रश्न जब भी खड़ा होता है नेता -अभिनेता, स्त्री- पुरुष, ईमानदार- बेईमान, अपराधी- साहूकार, ज्ञानी- अज्ञानी सभी अपने आप को नैतिक बताने और साबित करने में जुट जाते है | और यदि कुछ अनैतिक लगता भी है तो हम सभी मिलकर स्कूली शिक्षा को नैतिकता के लिए जिम्मेदार ठहराते है |  क्योंकि हर कोई यह मानता  है की   नैतिकता सीखाने की जिम्मेदारी शिक्षक वर्ग की और सीखने  की सिर्फ विद्यार्थियों की है | https://images.app.goo.gl/xgssKtE2kquPd4S89   हम छोटे- छोटे  बच्चो से नैतिकता की अपेक्षा रखते है क्या बड़ो  को नैतिकता सीखने  की आवश्यकता नहीं है ? क्या बड़ो को अपने अंदर झाँकने की आवश्यकता नहीं है  की हम कितने नैतिक है ? जब कोई भी व्यक्ति स्वयं कोई कार्य करता है तब वह नैतिकता और अनैतिकता के मुद्दे पर इतना गंभीर नहीं होता लेकिन जब वही  कार्य  कोई दूसरा करता है तब हमें  नैतिक अनैतिक का आभास होता है | ऐसा क्यों ? जरा सोचिए झूठ सच करना या गाली गलोच करना बच्चे घर या आस पास के माहौल से सीखते है और  हम सुधार  की अ

जिंदगी में तो हर पल परीक्षा देनी पड़ती है इस परीक्षा की कोई उम्र तय नहीं होती life tips

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           जिंदगी में तो हर पल परीक्षा देनी पड़ती है इस  परीक्षा की कोई उम्र  तय नहीं होती life tips    परीक्षा परीक्षा ,इम्तिहान  इंटरव्यू  देने के लिए हमें तैयारी करनी पड़ती है|  परीक्षा इंटरव्यू कोई भी हो उसकी तिथि निर्धारित होती है । और तिथि निर्धारित होने के बावजूद भी  हम गलतियां कर बैठते हैं कुछ लोग अच्छे अंक ले आते हैं, कुछ नहीं ला पाते हैं, कोई सफल होते हैं ,कोई असफल। परिणाम आने पर कोई पछताता है, कोई अपनी गलतियों को सुधारता है, कोई रोता है ,कोई हंसता है। यह स्थिति तब होती है जब हमें उसकी तिथि पहले से पता होती है, सिलेबस पता  होता है, समय अवधि पता होती है। फिर भी हम गलतियां कर बैठते हैं |    life tips  जिंदगी में तो हर पल परीक्षा देनी पड़ती है   ना उस परीक्षा की तिथि निर्धारित होती है, ना सिलेबस ना समय अवधि। यह परीक्षा ता उम्र चलती है |  जन्म से लेकर मृत्यु तक किस समय किस विषय की परीक्षा हो जाए यह भी पता नहीं परीक्षा केंद्र कहां होगा | इस  परीक्षा की कोई उम्र भी तय नहीं होती। छोटे से बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक  किसी की भी हो सकती है। किसी के लिए कोई जातिगत आरक्षण नहीं |

शिक्षा वो भी है जो वक्त परिस्थिति तथा अपने अनुभव से प्राप्त की जाती है |

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                    शिक्षा वो भी है जो वक्त परिस्थिति तथा अपने अनुभव से प्राप्त की जाती है                                                             यदि आप ऐसा मानते हैं तो इस लेख को एक बार जरूर पढ़ें  यातायात के साधनों के साथ - साथ मनोरंजन , खेल - कूद ,फैशन से लेकर शिक्षा और प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में अविश्वसनीय प्रगति हमारे देश में हुई है | सुख - सुविधाओं में वृद्धि होने के बावजूद भी हर व्यक्ति अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता में रहता है| और इसी वजह से भारी तनाव महसूस करता है| बच्चों की अच्छी परवरिश तनाव को कम करने में मददगार हो सकती है| परवरिश यानि लालन-पालन हर माँ-बाप की इच्छा होती है की वो बच्चों की परवरिश बहुत अच्छी तरह से करें| उन्हें अच्छी शिक्षा दें, संस्कार दें ताकि समाज में उनकी और उनके बच्चों की प्रतिष्ठा बनें | और अपने पूर्वजों का सम्मान बना रहें | लेकिन विडम्बना यह है की लाख चाहने के बावजूद कहीं न कहीं हमें इस बात का मलाल रहता है की जैसा हम चाहते थे वैसा नहीं हुआ | इस बात का अफ़सोस करते हुए लोगो  से  सुना जा सकता है की कही  न कही  हमारी  परवरिश में कमी र

होली का अर्थ सिर्फ रंगो से खेलना ही नहीं है

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रंगो में छुपी है जीवन की सुरक्षा  रंगो का हमारे जीवन से गहरा नाता है |  यदि हमारे जीवन में रंग नहीं हो तो जीवन ही बदरंग हो जायगा |  कुछ रंग  हमे प्रिय  होते है ,कुछ रंग हमे आकर्षित करते है |  रंग हमारी भावनाओं को भी प्रदर्शित करते है होली जैसा त्यौहार हमारी संस्कृति की  इसी सोच को प्रदर्शित करता है  |  होली का अर्थ सिर्फ रंगो से खेलना ही नहीं है बल्कि रंगो के महत्व को समझना भी जरूरी  है |   यही वजह है की सुरक्षा की दृष्टि से भी रंग हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण होते है | कही  हमारे बच्चो की सुरक्षा के लिए तथा कही  हमारी सुरक्षा , एहतियात , चेतावनी देने के लिए तथा वस्तुओ की उम्र बढ़ाने के लिए भी किया जाता है रंगो का इस्तेमाल | https://images.app.goo.gl/NuREVJwXj2vRNmoo6 क्यों किया जाता है स्कूल बसों का रंग पीला https://images.app.goo.gl/d5pziz1D1P7wEQrNA पीला रंग तुरंत आकर्षित करता है था इसे कोहरे में या  अँधेरे में भी देखा जा सकता है  | सुरक्षा की दृष्टि से स्कूली वाहन का रंग पीला रखा जाता है | एक खास बात और दुनिया के अधिकतर देशो में स्कूली वाहनों का रंग पीला ही है

लोगों के प्रसन्न और खिले हुए चेहरों को देख कर भी खुशी मिलती है

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जीवन में खुशी का बड़ा महत्व है | खुश रहने का संबंध हमारे स्वास्थ्य से होता है | जिस तरह से हरियाली या प्राकृतिक दृश्यों को देखकर मन प्रसन्न होता है, खिले हुए फूलों को देख कर खुशी मिलती है, उसी तरह लोगों के प्रसन्न और खिले हुए चेहरों को देख कर खुशी मिलती है | कई लोग अपने उन मित्रों से सिर्फ इसलिए मिलना पसंद करते हैं कि उनके चेहरे हमेशा फूलों की तरह खिले नजर आते हैं | उनमें उत्साह नज़र आता है उमंग होती है |  https://goo.gl/images/FVtDxr  जिन चेहरों पर हमेशा उदासी झलकती है , चिंता की लकीर हमेशा नजर आती है, जो लोग चेहरे से ही दुख प्रकट कर देते हैं, ऐसे लोगों से लोग कम मेलजोल रखते हैं और उनके दुखों में लोग दिल से शामिल नहीं होना चाहते | ऐसे लोगों का असली दुःख कभी पता ही नहीं चल पाता है| जिन लोगों के चेहरे पर हमेशा प्रसन्नता रहती है उनका दुख तुरंत पता चल जाता है | और ऐसे लोगों के दुख दर्द में लोग तुरंत और दिल से शामिल होते हैं| जो लोग खुश मिजाज नहीं होते हैं उनके लहजे हमेशा शिकायत भरे होते हैं| जबकि एक खुशमिजाज व्यक्ति की शिकायत भी स्वादिष्ट लगती है |  https://goo.gl/images/yPW

नदी की तरह बनकर करें जीवन में परिवर्तन

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jeevanamrat.com                         परिवर्तन  यदि आप किसी से कहें कि बिल्कुल नाक की सीध में सीधा जाना है| इसका अर्थ यह है, कि हमें बताई गई दिशा में जाना है| इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है, कि आपको दाईं ओर जाना है, अथवा बाईं और सड़क पर चलना है या फुटपाथ पर ऊपर देखकर चलना है या नीचे देखकर| कहने का अर्थ यह है कि किसी को रास्ता दिखाते समय अंदाजा दिशा का बताया जाता है| रास्ते में आने वाले कंकड़-पत्थर, थोड़ा बहुत घुमाव , गड्ढे , सामने से गलत दिशा में आ रहे लोगों के बारे में नहीं बताया जाता है| ठीक यही बात हमारे जीवन के साथ है| Google image यदि हमें कोई जीवन में सफलता का रास्ता बता रहा है तो उस रास्ते पर आने वाली कठिनाइयों और परेशानियों की जानकारी हमें ही जुटानी पड़ेगी|  और कोई भी सड़क या रास्ता बिल्कुल सीधा नहीं होता है|  रास्ते में गड्ढे भी आते हैं उनसे बचना पड़ता है|  रास्ते में मोड़ भी आते हैं उन पर मुड़ना भी पड़ता है|  रास्ते में गति अवरोध ( speed breaker ) भी आते हैं उन पर धीरे चलना होता है|  रास्ते में गलत दिशा में आने वाले वाहनों