जिंदगी में तो हर पल परीक्षा देनी पड़ती है इस परीक्षा की कोई उम्र तय नहीं होती life tips
जिंदगी में तो हर पल परीक्षा देनी पड़ती है इस परीक्षा की कोई उम्र तय नहीं होती life tips परीक्षा
परीक्षा ,इम्तिहान इंटरव्यू देने के लिए हमें तैयारी करनी पड़ती है| परीक्षा इंटरव्यू कोई भी हो उसकी तिथि निर्धारित होती है । और तिथि निर्धारित होने के बावजूद भी हम गलतियां कर बैठते हैं कुछ लोग अच्छे अंक ले आते हैं, कुछ नहीं ला पाते हैं, कोई सफल होते हैं ,कोई असफल। परिणाम आने पर कोई पछताता है, कोई अपनी गलतियों को सुधारता है, कोई रोता है ,कोई हंसता है। यह स्थिति तब होती है जब हमें उसकी तिथि पहले से पता होती है, सिलेबस पता होता है, समय अवधि पता होती है। फिर भी हम गलतियां कर बैठते हैं |
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जिंदगी में तो हर पल परीक्षा देनी पड़ती है ना उस परीक्षा की तिथि निर्धारित होती है, ना सिलेबस ना समय अवधि। यह परीक्षा ता उम्र चलती है | जन्म से लेकर मृत्यु तक किस समय किस विषय की परीक्षा हो जाए यह भी पता नहीं परीक्षा केंद्र कहां होगा | इस परीक्षा की कोई उम्र भी तय नहीं होती। छोटे से बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक किसी की भी हो सकती है। किसी के लिए कोई जातिगत आरक्षण नहीं | न कोई महिला पुरुष का भेदभाव अमीरी गरीबी का सवाल भी नहीं उठा सकते | क्यों की सिर्फ जिंदगी की ही एक परीक्षा ऐसी है जिसमे पैसा होते हुए भी रिश्वत नहीं चल सकती | सृष्टि के सामने हर कोई मजबूर नजर आता है | सवाल सिर्फ यह है कि इस परीक्षा में सफल कैसे हो ?
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यदि इस परीक्षा में पास होना है तो हम हमारे घर की पाठशाला में पढ़कर ,परिवार की पाठशाला में पढ़कर ,समाज की पाठशाला में पढ़कर , भूतकाल के अनुभव के आधार पर अपने आंख, कान, दिल और दिमाग को खोलकर ताकत से नहीं बल्कि हिम्मत से, मर - मर कर नहीं बल्कि जिंदा रह कर, रो - रो कर नहीं बल्कि मुस्कुराकर यह परीक्षा बहुत सहज होकर दे पाएंगे। अपने तन को साफ और शुद्ध रखने के साथ-साथ अपने मन को साफ व शुद्ध रखें अपने घर के जाले साफ करने के साथ-साथ अपने मन के जाले साफ करें।
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एक दूसरे पर जहर उगल - उगल कर हम प्रकृति को भी जहरीला बना चुके हैं | यह परीक्षा हमें हर पल देनी है, हर कदम पर देनी है, जीवन पर्यंत देनी है। कम से कम खुली और शुद्ध हवा में सुख शांति से तो दें। इस परीक्षा में महत्व अंकों का नहीं है, महत्व है सिर्फ विपरीत परिस्थितियों में बिना चीटिंग के कितने समय में ? कितनी विनम्रता से ? कितनी मितव्ययता से ? जीवन पर्यंत देते रहते हैं | क्योंकि सिर्फ यही एक परीक्षा है जिसका रिजल्ट हमें जीते जी कभी नहीं मिल सकता । यही एक परीक्षा है जो जीवन पर्यन्त देनी होती है |
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