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दिसंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मानना न मानना सुनना न सुनना समझना न समझना के इर्द गिर्द घूमता है हमारा जीवन

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यह जीवन वास्तव में इतना बुरा नहीं है जितना हमने बना दिया दुःख जीवन में इतने नहीं हैं जितने हमने मोल ले लिए लोग  इतने बुरे नहीं हैं जितने हमे दिखाई देने लगे हैं फर्क सिर्फ नजरिये का है |  बात मानने  न  मानने  का है, समझने  और न समझने का है,  देखने और न देखने का है, कहने और न कहने का है, सुनने और न सुनने का है, सकारात्मक और नकारात्मक सोच का है |  https://goo.gl/images/w8YGSc  अक्सर यह कहा जाता है मेरी कोई बात मानता  ही नहीं है पहले तो यह बताओ आज तक जितनी मानी  उसका क्या हिसाब है? दूसरी बात यदि नहीं भी मानी तो इतना बवाल क्यों? और यदि आपकी मान ली तो जिनकी नहीं मानी  वो क्यों दुखी हैं ?इस बात को समझने  वाले कितने लोग हैं ?और न समझने वालों की लाइन तो  बहुत ही  बड़ी होगी इस समझने और न समझने के  खेल को  समझा समझा कर लोग थक गए और इसी वजह से अंतिम वाक्य के रूप में ये वाक्य काम में लिए जाते हैं कौन माथा फोड़ी करे ? कौन समस्या मोल ले ?  समझकर कौन बेइज्जती कराएगा ? यही नकारात्मकता हमे  ही नहीं किसी को भी सकारात्मक  नहीं होने देती |  https://goo.gl/images/JToH3C   यह बात सही है कि  कि

स्वतंत्रता के सदुपयोग से सुधारी जा सकती है सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था

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आज बिगड़ती सामाजिक व्यवस्था हर व्यक्ति की चिंता का कारण  बनती जा रही है |  चाहकर भी सामाजिक सुधार हम नहीं कर पा  रहें हैं  | शिक्षा  सामाजिक व्यवस्था सुधरने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा  करती है  है | बच्चों की शिक्षा पर हम आवश्यकता से भी अधिक खर्च कर रहें हैं लेकिन इसके बावजूद हम सामाजिक   सोच नहीं बदल पा  रहें हैं शिक्षा का सामाजिक उदेश्य  पूरा नहीं कर पा  रहें हैं | https://goo.gl/images/vGv19r  कानून हमारी सुरक्षा के लिए होतें हैं | कानून की मदद से सामाजिक व्यवस्था सुधारी जा सकती  है लेकिन कानूनों का  भी दुरूपयोग बढ़ता जा रहा है | शिक्षा और कानून की मदद  से हम स्वतंत्र होकर जीवन जी सकतें हैं |   स्वतंत्रता चाहे  एक नागरिक  के रूप में हो खान पान  की मिले   या  सड़क पर चलने की स्वतंत्र होकर     अधिकारों  के प्रति हम तुरंत जागरूक होते है  लेकिन कर्तव्यों को हम अनदेखा कर देते है | https://goo.gl/images/FqSxQs भौतिक सुख सुविधाओं की यदि बात  करें तो आज हमारी भौतिक सुख सुविधाओं पर निर्भरता ज़रुरत से ज़्यादा हो गयी है बिना सुख सुविधा के हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पा  रहें हैं भौतिक स

इसे पढ़ने के बाद मन की बात शेयर करने में नहीं हिचकिचाएंगे

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नमस्कार दोस्तों , आप भी अपने मन की बात किसी से शेयर करने में हिचकिचाते है |  यदि हाँ तो आप बहुत बड़ी गलती करते है |  अपने मन में भरी हुई हीन  भावना को निकलने   और अपने परिवार , रिश्ते नातो को दुखी होने से बचने के लिए मेरा यह आर्टिकल अवश्य पढ़े |  यह आर्टिकल आप के डर  को दूर करने में सहायक होगा |  क्या गलती बताने से इंसल्ट होने का डर रहता है ? अधिकतर लोग अपने जीवन में यह गलती करते हैं कि न जाने किस वजह से वह अपने मन की बात किसी से कह नहीं पाते हैं | और इस वजह से अपने मन के अंदर ही अंदर घुट-घुट कर जहर बनाते रहते हैं | सोचो जब जहर अपना असर दिखाता है तो क्या होता है ? यह जहर किसी न किसी के लिए अवश्य नुकसानदायक होगा | इसलिए किसी ना किसी से अपने मन की बात जरुर शेयर करें | अपने मन को हल्का रखें |   कभी कभी आपको ऐसा लगता है कि मन की बात कहें किससे ? माँ से कहेंगे तो समस्या पिता से कहने की   हिम्मत नहीं |  पति से कहेंगे तो परिवार में क्या पता क्या बवाल खड़ा हो जाएगा ? पत्नी से कहा तो ओर मुसीबत हो जाएगी |  बच्चों से तो यह बात कर ही नहीं सकते | दोस्तों को बताएंगे तो इंसल्ट होने का डर रहता

बिना मार पीट के भी सिखाया जा सकता है बच्चों को अनुशासन

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आज के इस महंगाई के दौर में बच्चों को पाल  पोस कर बड़ा करना बड़ा मुश्किल काम हो गया है | बच्चे मासूम होतें हैं,  नासमझ होतें हैं, कोमल होतें हैं, प्यारे होतें हैं |  इसी वजह से उनमे भगवान का वास  नज़र आता है | जो लोग यह बात समझते हैं उन्हें बच्चों की पीड़ा देखकर बड़ा कष्ट  होता है | कई बार मासूमियत और नासमझी की वजह से बच्चे गलतियां कर बैठते  हैं और आर्थिक नुकसान करवा देतें हैं | ऐसी स्थिति में हमें गुस्सा आ जाता है   https://goo.gl/images/hf3MNY | कई बार पढाई - लिखाई  में शिकायत मिलने पर भी हमें गुस्सा आ जाता  है | कई बार बच्चों की शरारतों की वजह से हम अपने आप को अपमानित महसूस करतें हैं और इन्ही शरारतों और शिकायतों की वजह से हम बच्चों को अनुशासित रखना चाहतें हैं |  और अनुशासन सीखने के लिए दंड स्वरुप हम मार -पीट का सहारा लेते हैं |   कई बार तो लोग बच्चों की पिटाई इस कदर करतें हैं की उन्हें गंभीर  चोंटें तक आ जाती है |  https://goo.gl/images/ziSyC2  याद करके देंखें क्या बचपन में आप से गलतियां नहीं हुई  ? क्या बचपन में आपसे  नुकसान नहीं हुआ है ? क्या बचपन में मोहल्ले के लोग 

छात्र जीवन से यह पांच बातें हमें अवश्य सीखनी चाहिए -

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छात्र जीवन हर व्यक्ति के लिए अनुभव लेने ,निर्णय लेने और प्रेरणा लेने का समय होता है | गलतियां करने और गलतियों से सीख लेने का समय छात्र जीवन ही होता है | जीवन के सपनों को बुनकर मुकाम हासिल करने का जरिया छात्र जीवन ही होता है | शौक ,मौज ,मस्ती का स्वर्णिम काल यही होता है | कुल मिलाकर जीवन को बनाने और बिगाड़ने में छात्र जीवन का स्थान महत्वपूर्ण होता है | https://goo.gl/images/1pgqEt छात्र जीवन से यह पांच बातें हमें अवश्य सीखनी चाहिए - https://goo.gl/images/EZUuKH 1. हित - अहित , भले - बुरे का ज्ञान छात्र जीवन दिलाता ध्यान | 2. ,हौसला ,संघर्ष और हिम्मत छात्र जीवन की बढ़ाते है क़ीमत 3. समस्याएं ,समाधान छात्र जीवन की है पहचान | 4. प्यार, मोहब्बत, धोखा छात्र जीवन में ही होगा | 5. इज्जत, प्रतिष्ठा ,सम्मान इन्ही से बढ़ाये छात्र जीवन का मान | https://goo.gl/images/NvG2S8 छात्र जीवन विद्यार्थियों के साथ - साथ माता - पिता व गुरुजनों के जीवन की भी सबसे बड़ी परीक्षा होती है | छात्र जीवन में ऐसा कोई काम न करें जिससे स्वयं को आत्म ग्लानि महसूस हो ,गुरुजन को ठ

C B S E 12TH की डेट शीट हो चुकी है जारी

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                                 C B S E  की  12TH  की डेट  शीट हो चुकी है जारी        DATE SHEET CBSE की OFFICIAL WEBSITE पर देखें  एग्जाम के दिनों में तनाव कैसे कम करें  जैसे-जैसे परीक्षा नजदीक आती है एग्जाम का तनाव बढ़ता जाता है | यदि आप तनाव को खत्म करना चाहते हैं तो यह पांच तरीके अवश्य अपनाएं | https://goo.gl/images/XQttPu 1. परीक्षा के दिनों में स्वास्थ्य का बिगड़ना आपके तनाव को बढ़ा सकता है इसलिए स्वास्थ्य का ध्यान रखें , खान-पान का ध्यान रखें | नींद पूरी नहीं होने से शरीर तनाव ग्रस्त हो सकता है इसलिए कम से कम 6 घंटे की नींद अवश्य लें जिससे सुबह उठने पर ताजगी महसूस हो | https://goo.gl/images/CEJjJ4 2 . मन को प्रसन्न रखे सोच सकारात्मक रखें कम ज्यादा अंको की गणित में इस समय उलझकर तनाव नहीं बढ़ाएं |  3. परीक्षा के दिनों में सिर्फ उन्हीं प्रश्नों को दोहराएँ जिनका आपने पूर्ण अभ्यास किया है जिन प्रश्नों में आप कठिनाई महसूस कर रहे हैं उनमें उलझकर आप तनाव नहीं बढ़ाएं | https://goo.gl/images/RtJMPD  4. बेवजह गुस्सा बेवजह की बहस बाजी तथा समय का दुरुपयो

किताबी ज्ञान के साथ- साथ मानवीय और सामाजिक मुल्यों का विकास कर अपनी कॉलेज यात्रा को स्वर्णिम बनाया जा सकता है

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स्कूली जीवन  और कॉलेज जीवन में कुछ समानता  होती  है, कुछ असमानता |  स्कूली जीवन जहाँ  समय की पाबंदी ,दैनिक उपस्थिति, ड्रेस कोड, टीचर्स की नज़दीकी, होम वर्क का  तनाव बच्चे को स्कूली होने का एहसास कराता है |  स्कूलो में   पिंजरे के पंछी  तरह बच्चे फड़फड़ाते नज़र आतें हैं |  जैसे ही वे कॉलेज की दहलीज पर कदम रखते है ख़ुशी के मारे   उन्मुक्त गगन में पंछी की तरह चहकने और पंख फैलाकर उड़ने का मन करता है   |  https://goo.gl/images/ce9JkP  200 वर्षों की अंग्रेज़ों की गुलामी के बाद प्रथम स्वतंत्रंता दिवस मनाने पर जिस ख़ुशी  का एहसास लोगो को हुआ था वही एहसास  स्कूल से कॉलेज में पहुंचने पर विद्यार्थियों  को  होता नज़र आता है |  जो बच्चे इस स्वतंत्रंता का यूज़ करना चाहते हैं वो उड़ना तो चाहते हैं    लेकिन अपनी सरहदों को ध्यान में रखकर |   https://goo.gl/images/nv5ixE  कई विद्यार्थी इस स्वतंत्रता से , मिसगाइड  होते हैं वे इसका मिसयूज करते हैं और खुद भी दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं दूसरो को भी दुर्घटनाग्रस्त करते हैं |  स्कूली जीवन में हम अपने माता पिता के सपनो को पूरा करते हैं |  अपने सपनो को

मनोरंजन, खेलकूद पर पाबंदी लगाने के बजाए बच्चों को इनके शारीरिक , शैक्षणिक, नैतिक और सामाजिक महत्व को बताये

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   परीक्षा में कम अंक लाना माता- पिता और बच्चों के लिए चिंता का  विषय बन जाता है |  बच्चों के कम अंक आने पर माता- पिता निराश हो जातें हैं, बच्चे निराश हो जातें हैं,  लेकिन शैक्षणिक परीक्षा  में कम अंक पाना यह साबित  नहीं करता है  की आप जीवन की हर परीक्षा में कम अंक के योग्य हैं |  बच्चों  कम  अंको से निराश  माता पिता  https://goo.gl/images/EV95PG  यह बात माता- पिता को भी  समझनी होगी |  कम अंक आने पर कभी भी बच्चों को दोष नहीं दे न ही उन पर किसी प्रकार का दबाव   बनाऐ  इस बात के लिए  माता- पिता को निराश  और हताश होने की कतई  आवश्यकता नहीं है  बल्कि आवश्यकता है  बच्चों को प्रोत्साहित कर    उनका हौसला बढ़ाने की | https://goo.gl/images/GZ49Vz    बच्चों  और माता पिता दोनों को   कम अंक लाने   की वजह ढूंढनी चाहिए  आगे आने वाली शैक्षणिक  परीक्षा की तैयारी कैसे करें यह बात उनके टीचर से मिलकर समझनी चाहिए पढाई में यदि उनकी रुचि नहीं बन पा रही  है तो उनकी रुचि बनाने के लिए उन्हें सकारात्मक माहौल देना  आवशयक है |  डांट  डपट और  मारपीट से बच्चे में  भय पैदा कर के  पढ़ाने की बजाय उनकी

नाराजगी मनुष्य का स्वाभाविक गुण है

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नाराजगी मनुष्य का स्वाभाविक गुण है| जब कोई हमारी बात नहीं सुनता, हमारी बात नहीं मानता, हमारे दुख दर्द को नहीं समझता, हमें आर्थिक शारीरिक या मानसिक नुकसान पहुंचाता है, तो स्वाभाविक ,है नाराजगी जाहिर करनी पड़ती है| नाराजगी हर रिश्तो में होती है| चाहे पति- पत्नी,हो बाप- बेटा हो ,भाई- भाई हो, सास- बहू हो, दोस्त -दोस्त, पड़ोसी- पड़ोसी, मालिक- नौकर लेकिन एक रिश्ता ऐसा होता है जिससे हम कभी नाराज होते ही नहीं है, और वह रिश्ता हे दुश्मनी का| https://goo.gl/images/aiaU2M हम दुश्मनों के सामने कभी नाराजगी जाहिर करते ही नहीं हैं| दुश्मनों से तो हम नाराजगी जाहिर किए बिना दुश्मनी निकालते हैं| या यूं कह लें जिनके सामने हम अपनी नाराजगी जाहिर नहीं कर सकते या तो हम उन्हें दुश्मन मान चुके हैं या वो हमें अपना दुश्मन मान चुके हैं| जब दो व्यक्ति आपस में अपनी नाराजगी जाहिर नहीं कर रहे हैं, तो यह तय है, कि वहां दुश्मनी पल रही है| https://goo.gl/images/mhheuA  वहां एक दूसरे के प्रति मन में ज़हर इकट्ठा हो रहा है चाहे वह पति- पत्नी हो, भाई -भाई हो, बाप -बेटा हो ,सास -बहू हो, नौकर- मालिक

1 ग्राम खुशी = 1 किलो दुःख

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एक मोटा बेशेप व्यक्ति जिसका वजन ज्यादा होता है देखने में अच्छा नहीं लगता बैशक चाहे उसका चाल चलन आचरण अच्छा हो| उसी तरह एक दुखी व्यक्ति जो हमेशा अपने दुखों का रोना रोता रहता है वह चाहे आचार विचार से परिपक्व हो, संस्कारित हो लेकिन जो दुखों का वजन अपने ऊपर लेकर चल रहा है वह सुंदर होते हुए भी सुंदर नजर नहीं आता है काराण है दुखों में बहुत वजन होता है दुखों के बोझ तले वह अपने आचरण संस्कारों अच्छाइयों को दबा लेता हैं और गुस्सा, कुंठा, नफरत शरीर में भरता रहता हैं| इस वजह से वह अपने शरीर को बेडोल बेशेप बना लेते हैं|  https://goo.gl/images/mgA7Cp  दुख पत्थर की तरह कठोर और भारी होते हैं, जबकि खुशियां फूलों की तरह सुगंधित और खुशबू बिखेरने वाली होती है| जिस तरह से हम पत्थर को देखकर उसके वजन का पता लगा सकते हैं उसी तरफ दुखी व्यक्ति को देखकर उसके दुःख का पता लगाया जा सकता हैं|  खुशियों के वजन का पता लगाने के लिए हम रुई के पहाड़ को अपने ऊपर रख कर देख सकते हैं | अंदाजा लगाइये दुखों का वजन हम सहन नहीं कर सकते लेकिन खुशियां जो फूलों और रुई की तरह बिल्कुल हल्की होती है जितना चाहो उठा लो वजन ही

जानिए क्यों पैदा हो रहा है भ्र्म

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आज लोग इतने भ्रम में है, कि सच और झूठ, अच्छा और बुरा ,ज्ञान- अज्ञान, सही -गलत का फैसला भी नहीं कर पाते हैं |  इसके लिए हम लोग ही जिम्मेदार है क्योंकि यदि कोई अच्छा कर रहा है तो उसे बुरा साबित करने में हम अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं| कोई सच कह रहा है तो हम उसे झूठा साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं | कोई ज्ञानी है तो उसे अज्ञानी हम खुद ही बना देते हैं | कोई सही काम कर रहा है तो गलत करने के लिए हम लोग ही मजबूर कर देते हैं | कारण इसका सिर्फ एक ही है हमारा स्वार्थ | जानिए क्यों पैदा हो रहा है भ्र्म  https://goo.gl/images/K6UPhA  जब हम झूठ बोलते हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन दूसरा बोल दे तो हम उसे झूठा साबित करने के लिए एडी से चोटी तक का जोर लगा देते हैं | जब गलती हम करते हैं तो पहली बात तो हम उसे मानने के लिए तैयार ही नहीं होते हैं | और यदि 4 लोगों के कहने से मान भी लें तो हम सामने वालों की गलतियां ढूंढने में पूरी जिंदगी लगा देते हैं |  यह सोचकर की बस एक गलती पकड़ में आ जाए तो बदला पूरा हो जाए| कोई हमारा चाहे कितना ही अच्छा कर दे लेकिन गलती से यदि कोई एक भी बुरा काम

गणित के लिए महत्व पूर्ण टिप्स

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यदि आप  दसवीं की परीक्षा दे रहे हैं तो आपके लिए हमारा यह ब्लॉग मददगार हो सकता है परीक्षा से पूर्व तैयारी कैसे करें ?अपना व्यवहार परीक्षा के दौरान कैसा रखें ? खान पान और स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखे ? क्या क्या सावधानियां एक परीक्षार्थी को परीक्षा के दौरान बरतनी चाहिए ?                                                                                            गणित के लिए महत्व पूर्ण टिप्स  https://goo.gl/images/FAf6iD माता पिता को आने बच्चों का परीक्षा के दौरान किस प्रकार ध्यान रखना चाहिए  ?और भी बहुत कुछ परीक्षा से सम्बंधित जानकारी आप जुटा सकते हैं हमारे इस चैनल के माध्यम से प्रतिदिन हमारे इस चैनल को देखते रहे कुछ न कुछ परीक्षा से सम्बंधित जानकारी इस पर आप को अवश्य मिलेगी आज हम आपके लिए लेकर आये हैं कुछ महत्वपूर्ण identities

Theek Thaak Hai Bhai Sab Theek Thaak Hai

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