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जुलाई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रतन टाटा को भी करना पड़ा था बुरे वक्त का सामना

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 रतन टाटा को भी करना पड़ा था बुरे वक्त का सामना  उतार चढ़ाव हर व्यक्ति के जीवन में आते है |  ऐसे कई प्रसिद्द लोग  जिन्होंने अपने जीवन में असफलता से सिख लेकर सफलता पाई है |  उन्ही में से एक है भारत के प्रसिद्द उद्योग पति रतन टाटा |  रतन टाटा भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति जमशेदजी टाटा के पौत्र  हैं|  जमशेदजी टाटा के पुत्र नवल टाटा  ने रतन टाटा को गोद  लिया था तब उनकी उम्र मात्र 10 वर्ष थी |  टाटा समूहों का आज दुनिया के 100 देशों में व्यापर चल रहा है |  टाटा चाय से लेकर पांच   सितारा होटलों एवं सुई से लेकर हवाई जहाज तक के व्यापर से टाटा समूह जुड़ा हुआ है |  टाटा समूह को आज विश्व के टॉप व्यावसायिक घरानो में गिना जाता है |  टाटा समूह की प्रतिष्ठा बढ़ने में रतन टाटा का योगदान महत्वपूर्ण है इस योगदान के लिए रतन टाटा का संघर्ष भी कम नहीं रहा है |   1991 में  रतन टाटा को टाटा समूह का चेयरमेन बना  या गया |  1998 में  टाटा मोटर्स ने इंडिका लांच की इसके  बाद रतन टाटा के जीवन और व्यवसाय में काफी उतर चढ़ाव आये |  एक समय ऐसा भी आया जब रतन टाटा को फोर्ड के चेयर मेन के पास टाटा मोटर्स क

कुदरत बनाती है हमशक्लों की जोड़ी

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           कुदरत बनाती है हमशक्लों की जोड़ी                                  इस तस्वीर को गौर से देखिये क्या यह किसी प्रसिद्द अभिनेता की है ?                                          खा गए न धोखा यह तस्वीर टाइगर श्रॉफ की नहीं है |                                             यह तस्वीर है टाइगर श्रॉफ के हमशक्ल की |                                          इनका नाम है डेविड सहरिया  यह  असम के रहने वाले हैं |                                                डेविड सहरिया                            टाइगर श्रॉफ                                                                                           यह शक्ल से ही  टाइगर  श्रॉफ  जैसे नहीं लगते  हैं   बल्कि इनकी बॉडी को भी इन्होने टाइगर श्रॉफ की तरह मेनटेन किया हुआ है | →                                                                     टाइगर  श्रॉफ फ़िलहाल डेविड मोडलिंग  कर रहे हैं |  असमी फल्मों में भी रोल निभा चुके हैं | आज कल  टाइगर श्रॉफ के हमशक्ल के रूप में प्रसिद्धि  पा रहे   हैं | 

8 वर्ष की उम्र में अभिनय की शुरुआत करने वाले अभिनेता का नाम यह है

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जी हाँ   यह अभिनेता है आज के मिस्टर परफेक्ट आमिर खान | बचपन में 8 वर्ष की उम्र में यादों की बारात फिल्म से अभिनय की शुरुआत करने वाले आमिर खान आज दुनिया के महान  कलाकारों की गिनती में  हैं | आपको आमिर खान की कौनसी 5 फिल्मे सबसे अच्छी लगती है और क्यों हमें कमेंट बॉक्स में बताएं | आपकी पसंद हमारी पसंद से कितनी मेल खाती है यह जानने के लिए हमारी अगली पोस्ट देखें   क्यों हैं आमिर खान की ये 5  फिल्मे  सर्वश्रेष्ठ ?

पहचानिये बॉलीवुड के प्रसिद्द अभिनेता की बचपन की तस्वीर

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यह एक प्रसिद्द बॉलीवुड अभिनेता के बचपन की तस्वीर है | 8 वर्ष की उम्र में पहली बार ये अभिनेता फिल्मों में नज़र आए  थे |  इनकी पहली बचपन की फिल्म यादों की बारात है |  आप इन्हे पहचानते हैं तो उत्तर कमेंट बॉक्स में लिखें  यदि नहीं तो हमारी अगली पोस्ट देखें  8 वर्ष की उम्र में अभिनय की शुरुआत करने वाले अभिनेता का नाम  यह है | 

जिस बात को हम अपने लिए गलत समझते हैं वह दूसरों के लिए कभी सही नहीं हो सकती

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भगवत गीता वैसे तो कई सन्देश देती है जिनको यदि मनुष्य अपने जीवन में उतारले तो वह अपने जीवन के साथ साथ सामाजिक जीवन को भी सुधार सकता है | लेकिन किसी भी मनुष्य के लिए सम्पूर्ण गीता के उपदेशों को अपने जीवन में लागू कर पाना या उन पर चल पाना आज के इस आधुनिक जीवन में संभव नहीं है | फिर भी गीता के इन उपदेशों के कुछ अंशों पर गौर कर लिया जाए तो आज के कष्टमय और तनावग्रस्त जीवन को दुःखी होकर जीने की बजाये प्रसन्नता पूर्वक जीया जा सकता है |  Third party image reference 1. गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कर्म किये जा फल की इच्छा मत कर लोग कर्म तो शुरू करते हैं लेकिन फल की इच्छा में उसे पूर्ण होने से पहले ही छोड़ देते हैं | जबकि थोड़ा कष्ट सहन करके बिना फल की इच्छा किये अपने कार्य को लगातार जारी रखा जाए तो उसका फल निश्चित रूप से मिलेगा |  2. गीता में उपदेश दिया गया है अपने मन की बात हमे किसी न किसी से अवश्य करनी चाहिए क्योंकि हम किसी भी बात को अपने मन में रखकर अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं और उसका जहर हमारे मन में घोलते रहते हैं | जो हमारे लिए तो नुकसानदायक है ही दूसरों के लिए भी नुकसान दायक है

जीवन को पतंग और पतंग की डोर की तरह बनाओ जब चाहो ढील दो जब चाहो खींच लो

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पतंग की डोर हमेशा पतंग उड़ाने वाले के हाथ में होती है फिर भी उसे कभी ढीला छोड़ना पड़ता है तो कभी वापस भी खींचना पड़ता है यदि आप पतंग को आसमान की ऊंचाई छू आना चाहते हैं तो उसे ढील देनी ही पड़ेगी आसमान की बुलंदी पर पहुँचने के लिए आपको यह भी ध्यान रखना पड़ेगा की कोई आपकी पतंग को काट नहीं दे | Third party image reference जब आप किसी की पतंग को काटने का उत्साह रखते हैं तो दूसरे भी दुगने उत्साह से आपकी पतंग को काटने की कोशिश कर  सकते  है और कई बार हमारे हाथ में होते हुए भी हवा के रुख से पतंग की दिशा बदल जाती है यही सब कुछ हमारी ज़िंदगी में भी होता है फिर क्यों हम इन बातो से अनजान बने रहते हैं? क्यों हम स्वाभाविक जीवन को सिद्धांतो में बांधने की नाकाम कोशिश करते हैं ? Third party image reference जबकि हम यह भी जानते हैं कई बार विज्ञानं के बड़े बड़े सिद्धांत भी किसी न किसी वजह से काम नहीं कर पाते हैं फिर क्यों हम नहीं समझ पाते हैं की ज़िंदगी के सिद्धांत भी कभी कभी किसी न किसी वजह से लागू नहीं हो पाते हैं| जीवन को पतंग और पतंग की डोर की तरह बनाओ जब चाहो ढील दे सको आवश्यकता पड़े तो खींच

अमिताभ बच्चन के संघर्ष पूर्ण जीवन से ली जा सकती है प्रेरणा

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Third party image reference अमिताभ बच्चन फिल्म इतिहास के एक मात्र ऐसे अभिनेता रहे हैं | जिन्होंने एक आम आदमी की तरह संघर्ष पूर्ण जीवन जिया है | बावजूद इसके की वे हर क्षेत्र में बचपन से मजबूत रहे हैं |  Third party image reference पिता हरिवंश राय बच्चन प्रसिद्द कवि रहे हैं | पर्व प्रधानमंत्री स्व ० राजीव गाँधी उनके मित्र रहे हैं | वह खुद सांसद रह चुके हैं | पारिवारिक पृष्ठ भूमि अच्छी रही है | राजनीति में पकड़ रही उसके बावजूद उन्हें जीवन भर संघर्ष करना पड़ा |  Third party image reference फिल्मो में आने के लिए भी उन्हें कठिन संघर्ष करना पड़ा | फिल्मों में सफल होने के बाद उनका पारिवारिक जीवन अभिनेत्री रेखा के साथ उनके रिश्तों की वजह से काफी उलझन में रहा | राजनीति में हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे कद्दावर नेता को मात देकर सफलता प्राप्त की | लेकिन राजनीती भी उन्हें रास नहीं आई| Third party image reference कुली फिल्म के दौरान हुई दुर्घटना में मौत को मात देकर अपने संघर्षशील जीवन में एक अध्याय और जुड़वाया | उसके बाद उनकी कंपनी के. बी. सी. के घाटे में जाने से उन्हें आर्थिक नुक्सान

समाज को दिशा देने में होती है फिल्मो की अहम् भूमिका

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फिल्मे चलचित्र सिनेमा हमारे जीवन को प्रतिबिम्बित करते है समाज का आईना दिखाते है समाज को दिशा देने में फिल्मो की अहम भूमिका होती है | फिल्मे मनोरंजन करती ही है पारिवारिक सामाजिक और देश भक्ति से ओत प्रोत फिल्मे लोगों के दिलो को छू जाती है | संदेश छोड़ जाती है प्रेरणा बन जाती है | ये पांच फिल्मे जो आपके लिए प्रेरणा दायक हो सकती है 1 अवतार Third party image reference राजेश खन्ना शबाना आज़मी अभिनीत यह फिल्म एक पारिवारिक फिल्म है एक स्वाभिमानी व्यक्ति की कहानी है जो विपरीत परिस्थितियों में अपने हौसले के दम पर संघर्ष कर झूठी शान और शौकत को चुनौती देकर सफलता की इबारत लिख डालता है | 2 गदर एक प्रेम कथा सन्नी देओल , अमीषा पटेल अभिनीत फिल्म भारत पाकिस्तान के विभाजन के समय लोगो के साथ क्या बीती, सियासत की वजह से एक आम आदमी पर क्या बीतती है और जब जुल्मो की इंतेहा हो जाती है तो एक सीधा साधा आदमी भी अपने प्रेम की खातिर पुरे मुल्क पर भारी पड़ सकता है कथा संवाद और अभिनय की दृष्टि से फिल्म दमदार है 3 बागवान Third party image reference अमिताभ बच्चन , हेमा मालिनी के अभिनय तथा आज की

ऐसे खतरनाक ट्रेन रुट पर कभी यात्रा नहीं की होगी आपने

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बुराड़ी में 11 लोगों की मौत कहीं अन्धविश्वास का परिणाम तो नहीं ?

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नहीं रहे डॉक्टर हंसराज हाथी सही बात है |

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ये हैं लोगों की अजीबों गरीब मनोरंजक हरकते

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ये हैं स्वामी विवेकानंद की कुछ प्रेरणादायक बाते जो युवाओं को प्रभावित करती हैं

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स्वामी विवेकानंद आज भी युवाओं के आदर्श हैं | वो इसलिए की स्वामी विवेकानंद की सोच आज भी युवा नज़र आती है | उन्होंने आध्यात्मिक सांस्कृतिक और समाजिक जीवन पर गहन अध्ययन किया |  Third party image reference  अपने भाषण में हमेशा वर्तमान में जीवन जीने की बात कही | जो एक प्रगति शील और युवा सोच का प्रतीक है | उन्होंने लम्बी उम्र के दुखी जीवन जीने की बजाये 40 साल के खुशहाल जीवन जीने को प्रमुखता दी |  ये   हैं स्वामी विवेकानंद की कुछ प्रेरणादायक बाते   जो युवाओं को प्रभावित करती हैं Third party image reference 1. दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो |  2. किसी दिन जब आपके सामने समस्या न आये तो आप सुनिश्चित हो सकते हैं की आप गलत मार्ग पर जा रहे हैं |  3. शक्ति जीवन है निर्बलता मृत्यु है प्रेम जीवन हैं द्वेष मृत्यु है |  Third party image reference 4. शारारिक बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से जो कमजोर बनाता है उसे जहर की तरह त्याग दो |  5. कुछ मत पूछो बदले में कुछ मत मांगो देना है वो दो वो तुम तक वापस आएगा पर उसके बारे में अभी मत सोचो | 

उर्दू में रामायण का अनुवाद कर लोगों तक की संदेश पहुंचने की कोशिश

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आज देश में सांप्रदायिक सौहार्द की आवश्यकता है | इसके लिए आवश्यक है की हम कुछ न कुछ ऐसा करे जिससे समाज में धर्म निरपेक्षता का सन्देश जाये और ऐसा सन्देश देने का प्रयास करने वालों से हमे प्रेरणा लेनी चाहिए | उनकी हौसला अफ़ज़ाई करनी चाहिए।  Third party image reference कानपूर की मुस्लिम महिला डॉक्टर माही तलत सिद्दीकी ने भगवान श्री राम को अपना आदर्श मानते हुए सांप्रादियक सौहार्द की मिसाल पेश की है | डॉ माही ने उर्दू भाषा में रामायण लिखकर रामायण जैसे पवित्र धार्मिक ग्रन्थ के सन्देश उन लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है जो हिंदी पढ़ना नहीं जानते।  Third party image reference  डॉ माही का मानना है कि रामायण को पढ़ने के बाद तनाव से मुक्ति मिलती है और मन को शांति मिलती है।साधुवाद की पात्र है डॉक्टर माही जिन्होंने यह बीड़ा उठाया | भगवान राम के आदर्शो पर चल कर पवन पुत्र हनुमान जैसे भक्त मिल सकते है लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न जैसे आज्ञा कारी और निस्वार्थी भाई जिन्हे धन दौलत का कोई मोह नहीं हो ऐसे भाईयों का साथ मिल सकता है रास्ते में मिलने वाले अंजान लोग भी आप से प्रभावित होकर आपके मिशन में शामि

सच्चा प्यार वो है जो जिंदगी जीना सिखाये मरना और मारना नहीं

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वास्तव में पति पत्नी और वो की कहानी कई लोगों की जिंदगी में भूचाल ला देती है | ऐसे संबंधो पर कई फिल्मे बनी है | पुरानी फिल्मो में अक्सर कहानी का अंत बहुत ही सुखद और प्रेरणा दायक दिखाया जाता था | प्यार उस जमाने में भी हुआ करता था लेकिन वो ऐसा जमाना था जब हक़ीक़त में प्यार दिल से हुआ करता था | तन से तन का मिलन भले ही न हो लेकिन मन से मन का मिलन , त्याग , वफ़ा और ज़मीर मोह्ब्तो की मिसालें बन जाया करती थी दोस्ती के लिए प्यार की कुर्बानी देकर दिलों को जीता जाता था |  Third party image reference लेकिन आज प्यार सिर्फ वासना की पूर्ति का साधन बनता जा रहा है | जिसकी परिणीति निखिल हांडा द्वारा शैलजा दिवेदी की हत्या के रूप में सामने आती है | ऐसी घटनाओ पर फिल्मे आज भी बनती है लेकिन उनका अंत पति पत्नी और वो में से किसी एक के मर्डर से होता है या किसी न किसी को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ता है | दोनों ही स्तिथि परिवार के लोगों के लिए दुखद होती है | जाने वाला अपनी जान से चला जाता है | कुछ लोग जो इस षड्यंत्र के जिम्मेदार होते है वो अपनी मौत को सलाखो के पीछे से देखते है | और परिवार के बचे हुए ल

बच्चों को अनुशासन सीखाने के लिए आवश्यक नहीं है मारपीट करना

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आज के इस महंगाई के दौर में बच्चों को पाल पोस कर बड़ा करना बड़ा मुश्किल काम हो गया है | बच्चे मासूम होतें हैं, नासमझ होतें हैं, कोमल होतें हैं, प्यारे होतें हैं | इसी वजह से उनमे भगवान का वास नज़र आता है | जो लोग यह बात समझते हैं उन्हें बच्चों की पीड़ा देखकर बड़ा कष्ट होता है | https://goo.gl/images/JXtgGv कई बार मासूमियत और नासमझी की वजह से बच्चे गलतियां कर बैठते हैं और आर्थिक नुकसान करवा देतें हैं | ऐसी स्थिति में हमें गुस्सा आ जाता है | कई बार पढाई - लिखाई में शिकायत मिलने पर भी हमें गुस्सा आ जाता है | कई बार बच्चों की शरारतों की वजह से हम अपने आप को अपमानित महसूस करतें हैं और इन्ही शरारतों और शिकायतों की वजह से हम बच्चों को अनुशासित रखना चाहतें हैं | https://goo.gl/images/APPP1X अनुशासन सीखाने के लिए दंड स्वरुप हम मार -पीट का सहारा लेते हैं | कई बार तो लोग बच्चों की पिटाई इस कदर करतें हैं की उन्हें गंभीर चोंटें तक आ जाती है | याद करके देंखें क्या बचपन में आप से गलतियां नहीं हुई ? क्या बचपन में आपसे नुकसान नहीं हुआ ? क्या बचपन में मोहल्ले के लोग आपकी शिकायत लेकर आप के घर

जानिए क्यों हम धर्म संकट में पड़ जातें हैं

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धर्म का अर्थ शायद हम समझ नहीं पा रहे हैं और यही वजह है की अक्सर लोग धर्म संकट में पड़ जातें हैं | अपने जीवन को सही तरीके से ता उम्र नहीं जी पाते हैं | जीवन का आनंद नहीं ले पाते हैं | धर्म और जीवन दोनों एक दूसरे के सहयोगी हैं जो लोग धर्म और जीवन को नहीं समझ पाते वो अपने जीवन को बेड़ियों में उलझा कर उसे अपने धर्म का पालन करना समझतें हैं | जबकि कोई भी धर्म यह नहीं कहता की धर्म के पालन के लिए अपने आप को या दूसरों को दुःख पहुंचाओ |  https://goo.gl/images/WojLyk अक्सर हम अपने आप को या दूसरों को बेवजह आसान जीवन जीने की जगह कठिन जीवन जीने की सलाह देने को अपना धर्म समझतें हैं जीवन के नियम कायदे हम अपने आप को मुसीबत से बचने के लिए बनाते हैं, हमारी व्यवस्थाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिए , हमारी आत्मसंतुष्टि के लिए बनाते है |  https://goo.gl/images/NSDH9V  धार्मिक ग्रन्थ चाहे वो किसी भी धर्म से सम्बंधित हो यह सन्देश नहीं देता की धर्म के नाम पर लोग दंगे फसाद करे एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाएं गीता कुरान बाइबल गुरुग्रन्थ या कोई भी धार्मिक पुस्तक जातिगत भेदभाव नहीं करती , चोरी अन्याय

संजू की पहले दो दिन की कमाई 72 करोड़ है |जानिए संजू के कुछ अनजाने पहलू |

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संजय दत्त की बायोपिक पर बनी फिल्म संजू रणबीर कपूर नहीं करना चाहते थे | लेकिन संजू की कहानी सुनने और संजय दत्त के जीवन के कुछ मानवीय पक्ष जब उन्हे पता चले तो वो संजय दत्त से और प्रभावित हुए | Third party image reference और उन्होंने संजू के रोल के लिए अपनी सहमति दे दी | हालाँकि ऋषी कपूर और संजय  दत्त की दोस्ती की वजह तथा पारिवारिक सबंधो के चलते रणबीर कपूर संजय दत्त से परिचित हैं | Third party image reference  लेकिन संजय दत्त के जीवन के अनछुए पहलुओं ने उन्हें संजय दत्त के जीवन पर बनी फिल्म संजू में अभिनय करने के लिए प्रेरित किया | आज रणबीर कपूर के अभिनय की वजह से फिल्म सुपर  हिट हो चुकी है | संजू की   पहले दो दिन की कमाई 72  करोड़ है |  ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है की यह  फिल्म सलमान की रेस 3 को पीछे छोड़ देगी |  संजू फिल्म से रणबीर कपूर के सितारे बुलंद हो गए है |

इंसानियत दिखाने वाले का उत्साहवर्धन जरूरी है वरना लोग इंसानियत का अर्थ भूल जायेंगे

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गुजरात में कच्छ के एक व्यवसाई ने न सिर्फ याददाश्त खो चुके कर्मचारी को उसके परिवार से मिलवाया बल्कि ईमानदारी का परिचय देते हुए कर्मचारी द्वारा उसकी कम्पनी में की गई नौकरी की बचत की रकम भी परिवार को लोटा कर इंसानियत की मिसाल पेश की |   Third party image reference हुआ यूँ की कच्छ गुजरात के कारोबारी भरत भाई गोरसिया ने संतोष उड़के नामक व्यक्ति को अपनी कम्पनी में नौकरी पर रखा | वो ये मानते रहे की कच्छ में आये भूकंप की वजह से संतोष का परिवार ख़त्म हो गया और संतोष की याददाश्त चली गई | भरत भाई ने संतोष को मनोचिकित्सक को दिखाया जिसकी वजह से उसने आधी अधूरी जानकारी अपने परिवार के बारे में भरत भाई को दी | उस आधार पर भरत भाई ने गूगल सर्च कर मध्य प्रदेश में रह रहे संतोष के भाई को ढूंढ निकला | भरत भाई ने संतोष को उसके बिछुड़े परिवार से 22 साल बाद मिलवाने में तो मदद की ही | साथ ही उन्होंने नौकरी से बचाये हुए पैसे भी संतोष के परिवार को लौटाकर इस कलयुग में प्रेरणा दायक काम किया है | हमे भी भरत भाई जैसे लोगो का उत्साहवर्धन करना चाहिए ताकि लोग इंसानियत को शर्मसार करने के बजाए इंसानियत दिखने के लिए