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मई, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जीवन में सफलता कैसे पायें - पढें लेख विकल्प

                     विकल्प कभी-कभी जीवन जीना बहुत मुश्किल हो जाता है। जीवन में हर दिन हर समय नई कठिनाईयां सामने आती है। दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो बिना कठिनाई के जीवन बिता रहा हो फर्क सिर्फ इतना है कि जो लोग विकल्पों का प्रयोग अवसर आने पर कर लेते हैं वो कठिनाइयों और समस्याओं का सामना आसानी से कर लेते हैं जो लोग विकल्पों की ओर ध्यान नहीं देते या यूं कहें अपने विचारों को बदलना नहीं चाहते हैं वे समस्याओं में और उलझते जाते हैं । जब हम किसी बात का एक ही उपाय लेकर चलते हैं और उसी के अनुसार बार-बार असफल होने पर बार-बार बिगाड़ होने पर बार-बार विरोध होने पर भी उसका अन्य विकल्प प्रयोग नहीं करते हैं तो निराशा हाथ लगती है और जब निराशा हाथ लगती है  तो आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो जाता है और फिर हम किसी कार्य को बेहतर ढंग से कर सकते थे उसे कर पाने में असहज महसूस करने लगते हैं उस कार्य को करने के लिए दोुबारा मन नहीं बना पाते हैं और परिणाम स्वरुप हम अच्छे वाले कार्य को बीच में ही छोड़ देते हैं यही गलती हम जीवन में हर मोड़ पर बार-बार करते हैं और नई-नई समस्याओं को जन्म दे देते हैं

जीवन से तनाव दूर कैसे करें

                               जब हम किसी के प्रति एक बार कुण्ठा पाल लेते हैं , तो अधिकतर हम उस के विपरीत जाने की कोशिश करते हैं और एक दूसरे के विरोधी बन जाते हैं। और फिर हम जान बूझकर एक दूसरे को नीचा दिखाने के उद्देश्य से ऐसे मुकाम पर पहुंच जाते हैं, जहां सारी हदें ताक पर रख देते हैं, हमें ना हमारे नफे नुकसान की चिंता होती है, न ओरों के, ना हमें हमारी प्रतिष्ठा की चिंता होती है, ना दूसरों की । मर्यादा की सीमाएें खत्म हो जाती हैं। एक दूसरे के अच्छे बुरे परिणाम हम भूल जाते हैं। अतीत में हमने एक दूसरे के लिए  चाहे अपनी जान की बाजी लगा दी हो लेकिन हम अब एक दूसरे के परंपरागत विरोधी के रूप में पहचाने जाने लगे हैं।                                 हमारे कई और विरोधी भी इस युद्ध का भरपूर आनंद लेने लगे हैं जिसके परिणाम कभी भी सही नहीं आ सकते और जब तक हम यह बात समझते हैं तब तक काफी देर हो चुकी होती है। दोस्ती दुश्मनी में बदल जाती है, इमानदारी बेईमानी बन जाती है, अच्छाइयां बुराइयां हो जाती है, विश्वास अविश्वास का रूप ले लेता है, रिश्ते नाते बदल जाते हैं, सफलता असफलता में बदल जाती है, मानसिक

परेशानियों के समाधान

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                                    जीवन की परेशानियां  जीवन में पग-पग पर परेशानी का सामना करना पड़ता है। हम सोचते हैं, समस्या परेशानी सिर्फ हमारे सामने ही है बाकी दुनिया सुख चैन से सो रही है।लेकिन  ऐसा नहीं है, समस्या हर व्यक्ति के सामने खड़ी है। किसी के सामने आर्थिक समस्या है, किसी के सामने मानसिक समस्या है, किसी के सामने शारीरिक और किसी-किसी के सामने तो तीनों ही है कोई बेटे की समस्या से चिंतित है, कोई बेटी की पति ने पत्नी को टेंशन दे रखी है तो कहीं पत्नी ने पति को किसी घर में सास बहू की नहीं सुनती है तो किसी घर में बहु सास की नहीं बनती है कहीं दहेज देने की समस्या है, कहीं दहेज ना देने की, कोई पड़ोसी से परेशान है, कोई पड़ोसन से, कोई उधार मांगने वालों से परेशान है, तो कोई उधार लेने से, कोई रोज के रोने से परेशान है, तो कोई किसी के हंसने से दुखी है, किसी को मरने की फुर्सत नहीं है, किसी को जीने की, कोई काम ना मिलने से परेशानी में है, कोई काम मिलने से, किसी को देश की चिंता है, किसी को विदेश की, कोई अपने दुख से उतना दुखी नहीं है जितना दूसरों के सुख से, कोई  अमीरी से दुखी है, कोई गरीबी

jeevan me samajhdari ka mahatv in hindi

                       समझदारी जीवन में पग-पग पर समझदारी की आवश्यकता पड़ती है।  लेकिन आज के युग में हम आर्थिक  नफे नुकसान को ही समझदारी समझते हैं। बिजनेस में या किसी वस्तु का क्रय - विक्रय में आर्थिक नफे -  नुकसान की समझदारी रखना तो जायज है। लेकिन कई बातें जीवन में ऐसी होती है, जिनका आकलन हम मूल्य में नहीं कर सकते वहां हमें समझदारी जीवन मूल्यों में दिखानी पड़ेगी। कुछ लोग पढ़े-लिखे  होने को समझदारी समझते हैं, सर्फ पढ़ा-लिखा होना समझदार होने का प्रमाण नहीं है। एक कम पढ़ा लिखा व्यक्ति भी अपने निर्णय विचारों, और अनुभवों के माध्यम से अपनी समझदारी साबित कर सकता है। हां यह अलग बात है एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति यदि चाहे तो वह उस काम को और अच्छी तरह से कर सकता है जिस काम को एक कम पढ़ा लिखा या अनपढ़ व्यक्ति  करता है क्योंकि उसके पास भाषा और तकनीकी शिक्षा का अतिरिक्त अनुभव होता है परंतु व्यक्ति के अनुभव के आधार पर बनन कम पढ़े लिखे व्यक्ति की समझदारी पर शक नहीं कर सकते कई बार पढ़े लिखे व्यक्तियों को शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ जाती है। हम उनसे पढ़ाई लिखाई के आधार पर समझदारी की अपेक्षा करते हैं कई लोगों

jeevan me kese krne juban ka prayog (how to use tung)

                           ज़ुबान यह हमारी जुबान ही है जो बने बनाए खेल को बिगाड़ देती है और बिगड़े हुए खेल को बना देती है जुबान का प्रयोग हमें बड़ी सावधानी से करना चाहिए एक कहावत है कमान से निकला हुआ तीर और जुबान से निकले हुए शब्द कभी वापस नहीं आते इसलिए जब भी बोलो सोच समझकर बोलो मीठा बोलो मीठा बोलने का अर्थ यह नहीं है कि किसी की चापलूसी करें मतभेद हो लेकिन मनभेद नहीं तऱ्क  हो  लेकिन कुतऱ्क नही हो मौके की नजाकत को समझते हुए शब्दों का प्रयोग करें ऐसी जुबान नहीं बोले जो किसी के जले पर नमक छिड़कने जैसी लगे जुबान से यदि गलत बात निकल गई हो तो क्षमा अवश्य मांगे यदि किसी से मतभेद हो भी जाए तो शालीन शब्दों का प्रयोग करें किसी भी बात को कहने के लिए सिर्फ जुबान हीलानी पड़ती है लेकिन उसे करने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है इसलिए बात करने से पहले करने के बारे में भी सोचे जरूरत से ज्यादा बोलना भी नुकसानदायक होता है संस्कृत में एक कहावत है `वाचालो लभते नाशम` जो ज्यादा बोलते हैं उनका नाश होता है इसलिए अपनी बात को नपे तुले वजनदार शब्दों में कहें बेसिर पैर की बात नहीं करें दूसरों को भी अपनी बात कहन

क्या आप अपने सपने पूरा करना चाहते हैं ?

                       सपने  हर व्यक्ति के अपने सपने होते हैं  कोई सोते हुए सपने देखता है कोई जागते हुए। सपने देखना कोई बुरी बात नहीं है किसी का सपना अच्छी नौकरी पाने का होता है किसी का घर बनाने का किसी का प्यार पाने का कोई अपने मां-बाप के लिए कुछ करने का सपना संजोए बैठा है तो कोई अपने बच्चों का भविष्य बनाने का सपना देखता है कोई सपने राजकुमार के देखता है कोई राजकुमारी के किसी का सपना अमीर बनने का होता है तो किसी का शरीफ। इंसान जब सपने सोते हुए देखता है तो वह अच्छे बुरे दोनों तरह के सपने देखता है लेकिन जागते हुए सपने में एक खास बात होती है जागकर  देखे हुए सपने कभी भी बुरे नहीं देखे जाते हैं उनमें ललक होती है इच्छा शक्ति होती है इमानदारी होती है नेक नियति होती है सपने बुनना और उन्हें पूरा करना दोनों अलग-अलग बातें होती है अधिकतर लोग अपने सपनों को पूरा करने के लिए पूरी ताकत लगा देते हैं लेकिन सपना बहुत कम लोगों का पूरा हो पाता है कुछ लोग परिस्थिति वश अपने सपने पूरे नहीं कर पाते कुछ अपने सपनों के लिए किस्मत को दोषी ठहराते हैं कोई अपने आप को तो कोई सपना पूरा नहीं होने का ठीकरा दूसरों के

jeevan me swad ka mahatv

                                            स्वाद  जीवन में स्वाद  का बड़ा महत्व है स्वादिष्ट भोजन हर व्यक्ति को अच्छा लगता है यदि भोजन का स्वाद अच्छा नहीं हो तो खाने में मजा नहीं आता खाने पीने की चीजों में हम स्वाद  ढूंढते हैं मिठाई फलाने हलवाई की अच्छी है जूस फलाने जूस वाले के यहां अच्छा मिलता है टिकिया फलाने  पंडित की अच्छी लगती है फास्ट फूड ढिकड़े  फास्ट फूड सेंटर पर लाजवाब  मिलता है आइसक्रीम मुकडे  आइसक्रीम वाले की लाजवाब होती है स्वाद की वजह से ही कई लोगों की पहचान शहर भर में बन जाती है एक डॉक्टर का अलग स्वाद होता है टीचर का अपना पढ़ाने का अंदाज अलग होता है इंजीनियर का अपना स्वाद  होता है कहने का अर्थ यह की पेशेवर से लेकर व्यसायी  तक हर व्यक्ति अपने हुनर के अनुसार स्वादिष्ट होता है जीवन की इस दौड़ में खट्टा  मीठा नमकीन कड़वा स्वाद भी अनुभव किया जाता है हर चीज़  का अपना अलग मजा होता है लेकिन कड़वा स्वाद शायद  किसी को भी अच्छा नहीं लगता लेकिन जब हम बीमार होते हैं तो  हमें कड़वे स्वाद से भी रूबरू होना पड़ता है और इस कड़वे स्वाद की वजह से हम बीमारी से मुक्त होते हैं जिंदगी में भ

जीवन और सिनेमा

 सिनेमा यानी फिल्म हमारे समाज का आईना होती है हमारे समाज में फैली हुई बुराइयों कुरीतियों को हम तक पहुंचाने का प्रयास करती है लेकिन आजकल हम फिल्में सिर्फ मनोरंजन की दृष्टि से देखते हैं यह बात सही है की फिल्में हमारा मनोरंजन करती है लेकिन फिल्मों को हमें सिर्फ मनोरंजन की दृष्टि से ही नहीं देखना चाहिए फिल्मों के माध्यम से हमें संदेश मिलता है सिनेमा में अभिनित हर किरदार का अपना महत्व होता है फिल्मों के माध्यम से आदर्श पति पत्नी बन सकते हैं कई फिल्मों में बच्चों के किरदार इतने सशक्त होते हैं , कि एेसे बच्चे यदि असल जीवन में हो तो  माँ बाप का जीवन सार्थक हो जाए जाता है एक आदर्श बहू अपने पूरे परिवार का दिल जीत लेती है एक आदर्श सास अपनी बहू को बेटी का दर्जा देकर पूरे परिवार का सर गर्व से ऊंचा कर देती है । कई फिल्मों में दोस्ती की मिसालें दी गई है भाई बहन ननंद भोजाई के रिश्ते में कड़वाहट  व मिठास भी कई फिल्मों में पेश की गई है भाभी का देवर के प्रति स्नेह और देवर की भाभी के प्रति श्रद्धा को कैमरे में कैद कर आम जनता तक पहुंचाना कोई आसान काम नहीं है पारिवारिक झगड़ा सामाजिक राजनीतिक मुद्दें भी फि

कैसे हों जीवन के रास्ते

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                                       लेख - रास्ते जीवन रास्ते की तरह होता है जिस तरह रास्तों में कई मोड़ आते हैं  कई दुर्घटनाएें होती है, दो राहे आते हैं तिराहे चौराहे आते हैं उसी तरह हर मनुष्य का जीवन भी कई मोड़ों दुर्घटनाओं दो राहों तिराहों चौराहों से होकर गुजरता है। रास्तों पर जब मोड़ आता है तो मुड़ना पड़ता है मुड़ने के लिएे दाएें - बाएें आगे - पीछे देखना पड़ता है उसी तरह जब हमारे जीवन में मोड़ आएें और मुड़ना पड़े तो दाएें - बाएें आगे - पीछे यहां तक की ऊपर नीचे भी देखना पड़ता है ।जिस प्रकार रास्ते पर बिना देखे मुड़ने पर दुर्घटना होने का भय रहता है उसी तरह यदि हम जीवन में आगे पीछे का सोचकर निर्णय नही लेंगे तो घटना या दुर्घटना होने का डर रहता है।  जहाँ ट्राफिक कम होता है, वहाँ हम बिना यातायात के नियमों का पालन किये सड़क पार कर लेते हैं, लेकिन जहाँ ट्रेफिक अधिक होता है, वहाँ हमें यातायात के नियमों का पालन अवश्य करना चाहिये। उसी प्रकार जीवन में भी जहाँ आवश्यक हो हमें सिद्धांतों और नियमों का पालन अवश्य करना चाहिये।       अनजान रास्तों पर हम कई बार दोराहे, तिराहों, चौराहों पर

क्या होता हे माँ के दूध का फ़र्ज़

                  मां के दूध का फर्ज माँ शब्द जीवन का सबसे अनमोल  शब्द है क्योकि जो काम बच्चों के लिए माँ करती है वो कोई और नहीं कर सकता एक बच्चे के पैदा होने से लेकर माँ के जीवन काल में बच्चे उसके लिए बच्चे ही होते हैं उनकी फिक्र उसे ता उम्र रहती है पैदा करने से लेकर उँगली पकड़ कर चलना सीखाने तक जो कष्ट माँ को सहने पड़ते हैं वह और कोई सह नही सकता इसकी हर कोई सिर्फ कल्पना ही कर सकता है।                माँ की ममता, जिम्मेदारी , क्रोध ,करुणा ,दया ,खुशी ,गम हर शब्द का मूल्य हम पूरा जीवन जीने के बाद भी अदा नही कर सकते। माँ ने हमें जन्म दिया है यह बात हम जैसे - जैसे बड़े होते हैं वैसे - वैसे भूलते जाते हैं , कई बार तो स्थिति यह आ जाती है कि दूसरे लोगों को यह याद दिलाना पड़ता है कि बेटा यह तुम्हारी माँ है इनकी कुछ तो परवाह किया करो कभी - कभी यह भी कहते सुना जा सकता  है कि 'बेटा माँ का दिल नही दुखाया करते' और हद तो तब हो जाती है कि बेटा शादी के बाद अपने परिवार के साथ घूमने फिरने जाने और अपने एन्जायमेन्ट के लिए माँ को कमरे में बन्द कर ताला लगा जाते हैं कई दिनों तक भी भूख से तड़पत

लेख - जीत

हर कोई जीतना चाहता है हारना कोई नही चाहता कुछ लोग जीत कर भी हार जाते हैं कुछ लोग हार कर के भी जीत जाते हैं । जीतना  हर किसी को अच्छा लगता है। जीतने से मान सम्मान बढ़ता है प्रतिष्ठा बढ़ती है आत्म विश्वास  बढ़ता है खुशी मिलती है चेहरे प्रसन्न होते हैं जीत एक दो या कुछ व्यक्तियों की होती है लेकिन अप्रत्यक्ष रुप से इस जीत की खुशी में कितने लोग शामिल होते हैं इसका अन्दाज नही लगीया जा सकता। जीत की यदि हम बात करें तो जीतने के प्रकार और किस्में भी कई प्रकार की होती है कोई खेलों में जीतना चाहता है कोई बिजनेस में कोई पढ़ाई में जीतना चाहता है कोई लड़ाई में कोई दिलों को जीतना चाहता है कोई किलों को कोई चुनावों में जीतना चाहता है कोई गुनाहों में कोई धरती को जीतना चाहता है कोई आसमान को कोई लठ से जीतना चाहता है कोई बुद्धि से  सबकी अपनी - अपनी सोच है अपने - अपने विचार हैं लेकिन जो व्यक्ति दिलों को जीतना चाहता दिलों को जीतना जानता है उसका कोई मुकाबला नही कर सकता जो व्यक्ति दिलों को जीतता है वह बार - बार हारता है लेकिन जीत उसी की होती है उसे न तो किसी के प्रथम और द्वितीय की चिन्ता होती है और न किसी प्र

ताली बजाना

                        तालियां हर कोई अपने काम पर तालियाँ बजवाना चाहता है। होनी भी चाहिएे तालियाँ प्रशंसा का प्रतीक होती है, तालियों की आवाज़ आपके कद्रदानों की संख्या निर्धारित करती है। तालियाँ हमें खुशी प्रदान करती है।                 ताली बजाने का एक वैज्ञानिक कापण भी है तालिया हमारे शरीर को स्वस्थ रखती है। इसलिए तालियाँ सिर्फ बजवाना ही नही बल्कि बजाना भी चाहिए आज हम सिर्फ ताली बजवाना चाहते हैं बजाना नही, हम यह बर्दाश्त नही करते की कोई दूसरों के लिए भी ताली बजाए, हम यह भूल जाते हैं कि जब हम दूसरों के लिए ताली बजाएेंगे तब हमें अपने लिए भी मिलेगी।         याद रखें ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है। इसलिए ताली कभी भी बजाएं दिल से बजाएं दूसरों की प्रशंसा करें तो दिल से करें और जब आप दूसरों की प्रशंसा दिल से करेंगे तो आप को भी प्रशंसा दिल से मिलेगी और जब आप ताली दूसरों के लिए बजाएेंगे और दूसरे आप के लिए तो ताली दोनों हाथों से बजेगी चारों ओर तालियों की गूंज होगी सारा वातावरण मंगलमय होगा।         एक दूसरे से हमदर्दी होगी परिवार में खुशहाली होगी सभी प्रसन्न चित्त होंगे कहीं कोई दुखी

लेख - सीख

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                                                                                                                            एक छोटे से बच्चे से भी हम बहुत कुछ सीख सकते हैं  https://images.app.goo.gl/w8MJqYWMSJATvcWE9 सीखने की कोई उम्र नही होती किसी भी उम्र में कुछ भी सीखा जा सकता है आवश्यकता है आपकी मानसिकता की आपकी शारीरिक क्षमता की आपके आत्म विश्वास की। एक छोटे से बच्चे से भी हम बहुत कुछ सीख सकते हैं |  छोटे बच्चे से उसका बचपन जीना सीख सकते है |  हम  चाहे तो  हमारी  खुद की गलतियों से दूसरों  की गलतियों से  हमारे अनुभवों से दूसरों  के अनुभवों से भी बहुत कुछ सीख सकते है कुछ लोग अच्छा सीखना चाहतें हैं कुछ लोग बुरा सीखने की कला भी हर किसी में नहीं होती।सीखने के ढ़ंग और तरीके भी अलग अलग होतें हैं कुछ लोग अच्छा सीखना चाहतें हैं कुछ लोग बुरा कुछ लोग नया सीखना चाहतें हैं कुछ पुराना कुछ अपने लिए सीखना चाहतें हैं कुछ दूसरों के लिए कुछ जीवन जीने के लिए सीखना चाहतें हैं कुछ जीवन बर्बाद करने के लिए कुछ सुखी रहने के लिए सीखना चाहते है कुछ दुखी करने  के लिए। यह सब कुछ निर्भर कर

लेख - जन्म

                          जन्म मनुष्य जन्म लेता है अपना परिवार बनाता है सामाजिक रीति रिवाजों को निभाता है और 65-70 वर्ष (औसत आयु ) अपना जीवन यापन करता है और दुनिया से विदा ले लेता है। इस दौर में अच्छा बुरा समय उसके साथ आता है अच्छे बुरे लोग उसे मिलते हैं,अच्छे बुरे कर्म वह करता है। लेकिन मरते दम तक उसकी इच्छाएें अधूरी रह जाती है । जो वह चाहता है पूरा नही हो पाता अपने सारे सपनों को वह अधूरा छोड़ कर चला जाता है । बहुत कम लोग होते है जो अपने जीवन षे संतुष्ट पाते हैं । यदि हम अपने जन्म को सफल बनाना चाहते हैं तो हमें 'खुद जियो ओरों को भी जीने दो' का सिद्धांत अपनाना होगा । नाम, शोहरत और पैसा कमा लेना ही जीवन की सफलता नही है । सफलता इसमें नही है कि आप कितने खुश हैं बल्कि आपसे कितने लोग खुश हैं । जो लोग नाम, पैसा या शोहरत कमाने के लिए एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं । एक दूसरे को परेशानी में डालते हैं । एक दूसरे का अपमान करते हैं । वे सफल होते हुए भी किसी ना किसी मोड़ पर असफल हो जाते हैं। यदि अपने जन्म को सफल बनाना चाहते हैं तो दिलों से नफरत निकालने का प्रयास करें अ

लेख - स्पष्टता

                                          हर व्यक्ति अपने आप को स्पष्टवादी कहता है|  कभी भी कही भी चाहे मुद्दा सामाजिक हो, राजनैतिक या पारिवारिक|  जब भी किसी विषय पर बहस होती है तो आमतौर पर हर व्यक्ति  यही कहता है कि मै तो स्पष्ट बोलता हूँ |  मेरी आदत लाग लपेट करने की नही है। क्या सिर्फ यह  कहना  कि मै तो स्पष्ट बोलता हूँ स्पष्टवादी होने का प्रमाण है |  यदि ऐसा हो तो दुनिया की सबसे लम्बी लिस्ट स्पष्टवादियों की होगी। क्योंकि हर व्यक्ति साबित कर देगा की वह स्पष्टवादी है|   फिर तो दुनिया में किसी बात की समस्या ही नहीं रहेगी।                                         क्योंकि जहाँ स्पष्टता विद्यमान होती है वहाँ न झूठ चल सकता है न बुराई, न धोखा चल सकता है न विश्वासघात, न जाति चल सकती है, न धर्म|  बेईमानी के लिए स्थान ही नही बचेगा। दुख बेचारा कहाँ खड़ा हो सकेगा ? निराशा को तो कोई पूछेगा भी नहीं |  क्रोध किस पर उतारोगे ?लड़ाई- झगड़े सब शान्ति के साथ विश्राम करेंगे। नियम कानूनों की बड़ी - बड़ी किताबों का क्या होगा ? सब समस्याएं खत्म|   भगवान को भी अपना मोबाईल स्विच आफ़ करने की आवश्यकता नही

लेख - जीवन की किस्मत बदल देगा यह नजरिया प्रेम प्यार पाना होगा मजेदार

जीवन की राह बहुत कठिन है जीवन जीना बहुत मुश्किल हो गया है ,आने वाला समय बहुत खराब आ रहा  है आगे की जिन्दगी कैसी होगी ? जीवन नीरस हो गया है जिन्दगी बहुत लम्बी है कैसे गुज़रेगा जिन्दगी का सफर आदि कई तरह की बातें आम बातें हो गई है कोई भी घटना जब हमारे आस-पास घटित होती है तो कई जुबाने इस तरह के वाक्यों का प्रयोग करती है      जो लोग जीवन में हंसना नही जानते उनके लिए जीवन जीना और भी कठिन हो जाता है एक खुश मिजाज व्यक्ति अपने जीवन को हंसी खुशी जीता है और अपने आस-पास के लोगों को भी खुश रखता है ।          माना की जीवन में कई पल एसे आते हैे जब व्यक्ति पूरी तरह से घबरा जाता है , टूट जाता है और घबरा कर कई गलत निर्णय ले लेता है लेकिन धेर्य रखा जाए तो कोई न कोई रास्ता अवश्य निकलता है          लेकिन कई बार इंसान के धैर्य की भी परीक्षा होती है उसकी भी इन्तेहा हो जाती है । जीवन में कई बार हम बेवजह अपनी प्रतिष्ठा अहम् स्वभाव की वजह से समस्याये  मोल ले लेते हैं। छोटी-छोटी बातों में हमें गुस्सा आ जाता है कई बार तो गुस्से में हमें सही सलाह भी गलत लगने लगती है और हम  उस व्यक्ति को भी गलत मान बैठते है

लेख - सोच

जो व्यक्ति आज को जीना जानता है वह सबसे सुखी व्यक्ति है हम भविष्य और भूतकाल के चक्कर में वर्तमान को भी नही जी पाते हैं।      जो व्यक्तु आज को जीना जानता है उसकी सोच अधिकतर सकारात्मक होती है जो व्यक्ति आज को जीना मही जानता उसकी सोच अधिकतर नकारात्मक होती है सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति समस्याओं का हल जल्दी निकाल लेते हैं जबकि नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति समस्याओं को और उलझा देते हैं।जिससे समस्या का हल निकालने में अधिक समय लगता है । सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति खुश रहने की कोशिश करते हैं जबकि नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति दुखी रहते हैं और दूसरों को भी दुखी करते हैं इसलिए हमेशा छोटी-छोटी बातों को सकारात्मक नजरिये से देखना चाहिए समस्याएें जिन्दगी का एक हिस्सा होती है। हर पल नई समस्या हमारे सामने होती है। हम समस्याओं के हल निकालने की बजाय सामाजिक रीती-रिवाजों और नकारात्मक सोच सिद्धांतों की बेड़ियों में अपने आप को बांधे रहते हैं लोग क्या कहेंगे? लोग क्या सोचेंगे कहीं हम  गलत तो नही यही नकारात्मक ख्याल हमारे दिमाग में चलता रहता है। जबकी हम उस समस्या का सकारात्मक हल  निकाल चुके होते हैं। लेकिन हमारी

लेख - गलती

  दुनिया  में कोई व्यक्ति आज  तक पैदा नहीं हुआ जिसने जीवन में कोई गलती नहीं की हो यदि कोई व्यक्ति ऐसा दावा  करता है तो सबसे बड़ी गलती तो उसकी यही है                                                        गलती करना मानव स्वभाव है इसलिए न तो किसी को ऐसा दावा  करना चाहिए  न ही किसी स्वाभविक गलती पर शर्मिंदगी और मलाल करना चाहिए और ना ही  किसी से गलती होने पर उसके साथ बुरा बर्ताव करना चाहिए बल्कि गलती होने पर सांत्वना देकर उसमे सुधार करवाने के लिए प्रेरित करना चाहिए जबकि करते हम इसका उल्टा है गलती करने वाले से सुधार करवाना तो दूर उस पर इस कदर पिल पड़ते है की अपना बचाव करने के चक्कर में वो बेचारा और झुठ सच करके दो गलतियां  और कर बैठता है  अक्सर लोग गलती करने वाले के साथ गलत बर्ताव करते है यही वजह है की वह सच्चाई छुपाने की कोशिश करता है यदि गलती करने वाले को गलती सुधारने का मौका दिया जाये तो यह सम्भव है की  बात की सच्चाई सामने आ जाये दूसरा काम से काम आगे तो गलती ना  हो लेकिन यह तर्क संगत बात बहुत काम लोगों  के समझ में आती है यही वजह है की आज घर परिवारों रिश्ते नातो   में गलतफहमी पलने का मुख्य

नजरिया

                         नजरिया नींद से जागने के बाद सुबह हम अपने आप को तरो ताजा महसूस करते हैं हर व्यक्ति हर रोज कुछ नया चाहता है ताकि वह अपना नजरिये को अपने द्रष्टीकोण को तरो ताजा बना सके।     ' Old is gold' लेकिन हर पुरानी चीज़ सोना हो इसकी कोई गारन्टी नहीं  और हर नई चीज़ सोना हो यह भी जरुरी नही। देश काल परिस्थिति के अनुसार हमें अपने आप में अपने विचारों में परिवर्तन कर अपने नजरिये को बदलना ही समाज के लिए , देश के लिए हितकारी होता है।          क्योंकि कोई कहता है 'मुझे दो ही रोटी मिली' और कोई कहता है'मुझे दो तो मिली' यही नजरिये का फर्क है ।        दो भूखे व्यक्तियों को दो-दो रोटी मिली है उनमें से एक कहता है मुझे दो ही रोटी मिली और अगर कहता है मुझे दो तो मिली पहले व्यक्ति के नजरिये से प्रतीत होता है उसे अभी और भू्ख है उसे और मिलनी चाहिएे नही तो वह छीन भी सकता है। उसके मन में अभी और चाहत है या लालच है  नजरिया देखें। यदि उसने दो रोटी से अधिक का परिश्रम किया है और उसे दो ही रोटी मिली है तो यह उसकी चाहत है और यदि उसने परिश्रम दो रोटी से कम का किया है फिर