कैसे हों जीवन के रास्ते

                                       लेख - रास्ते

जीवन रास्ते की तरह होता है जिस तरह रास्तों में कई मोड़ आते हैं  कई दुर्घटनाएें होती है, दो राहे आते हैं तिराहे चौराहे आते हैं उसी तरह हर मनुष्य का जीवन भी कई मोड़ों दुर्घटनाओं दो राहों तिराहों चौराहों से होकर गुजरता है। रास्तों पर जब मोड़ आता है तो मुड़ना पड़ता है मुड़ने के लिएे दाएें - बाएें आगे - पीछे देखना पड़ता है उसी तरह जब हमारे जीवन में मोड़ आएें और मुड़ना पड़े तो दाएें - बाएें आगे - पीछे यहां तक की ऊपर नीचे भी देखना पड़ता है ।जिस प्रकार रास्ते पर बिना देखे मुड़ने पर दुर्घटना होने का भय रहता है उसी तरह यदि हम जीवन में आगे पीछे का सोचकर निर्णय नही लेंगे तो घटना या दुर्घटना होने का डर रहता है।
 जहाँ ट्राफिक कम होता है, वहाँ हम बिना यातायात के नियमों का पालन किये सड़क पार कर लेते हैं, लेकिन जहाँ ट्रेफिक अधिक होता है, वहाँ हमें यातायात के नियमों का पालन अवश्य करना चाहिये। उसी प्रकार जीवन में भी जहाँ आवश्यक हो हमें सिद्धांतों और नियमों का पालन अवश्य करना चाहिये।
      अनजान रास्तों पर हम कई बार दोराहे, तिराहों, चौराहों पर आकर रुक जाते हैं। यदि हमें आगे के रास्ते  के बारे में जानकारी नही होती है तो हम जानकारी हांसिल कर आगे बढ़ते हैं और मंजि़ल तक पहुँच जाते हैं।
         यह जीवन भी हमें कई बार दो राहों तिराहों चौराहों पर लाकर खड़ा कर देता है जहाँ हमें आगे का रास्ता नही सूझ पाता हम दूसरों से सलाह लेते हैं कई बार हमें सही सलाह मिल जाती है और हम अपनी मंजि़ल तक पहुँच जाते हैं ।
            जिस प्रकार कई बार हमारे पास एड्रेस  की सही जानकारी नही होने पर हम सही एड्रेस पर पहुँचने के लिएे इधर - उधर भटकते रहते है उसी प्रकार जीवन में भी सही लक्ष्य पर पहुँचने के लिए हमें भटकना पड़ता है।
      रास्ते पर हम जब नजर दौड़ाते हैं तो हमें रास्ते का कोई छोर (अन्त) नज़र नही आता उसी प्रकार जिन्दगी का रास्ता भी हमें कई बार लम्बा नज़र आता है जब हम रास्ते पर आगे कदम ही नही बढ़ाएेंगे तो रास्ता कम नही होगा उसी प्रकार जीवन में हम लक्ष्य की तरफ नही बढ़ेंगे तो हमें लक्ष्य दूर नज़र आएगा।
      जिस तरह रास्ते  में हमें धोखेबाज और मददगार मिलते हैं उसी तरह ज़िन्दगी में भी हमें धोखेबाज और मददगार लोग मिलते हैं।
      रास्ते में चलते वक्त यदि हमें अहसास होता है  कि हम गलत रास्ते पर जा रहें हैं तो हम रास्ते बदल देते हैं। जीवन में भी जब हमें लगे कि हम कोई गलती कर रहे हैं या गलत कार्य कर रहे हैं तो हमें गलती स्वीकार कर उसमें सुधार करना चाहिये। यदि हम रास्ते की गणित को समझ लेंगे तो हमारे जीवन की गणित को समझने में हमें कोई परेशानी नही होगी। और हमारा जीवन सफल हो जाएगा। किसी ने कहा है - 

                                           ' मंज़िल अपनी जगह है रास्ते अपनी जगह
                                           गर कदम ही साथ ना दे तो मुसाफिर क्या करे '
         

        

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