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अक्तूबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मन से मिटाना होगा अपने पराये का भेद फिर हम सबके और सब हमारे होंगे

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आज हम जीवन को पूर्ण रूप से कृत्रिम बना चुकें हैं जो चीज़ प्रकृति ने हमें उपहार में दी है उसे भी हम भोतिक रूप से कृत्रिम बना चुकें हैं | प्रेम, प्यार, भावनाएं, स्वभाव ये सब प्राकृतिक होतें हैं | लेकिन हम इन्हे भी कृत्रिम रूप से प्रदर्शित कर रहें हैं | नफरत, गुस्सा, क्रोध भी हम स्वाभाविक रूप से प्रदर्शित नहीं कर पा रहें हैं |  https://goo.gl/images/kuoogf यही वजह है की हर इंसान हमें गिरगिट की तरह रंग बदलता हुआ नज़र आ रहा है | सोचकर देखें क्यों कोई अपना सा लगने के बाद भी कुछ ही दिनों में पराया सा लगने लगता है ? क्यों जिसे हम बहुत ज़्यादा चाहने लगतें हैं कुछ ही दिनों में अनजान सा लगने लगता है ? क्यों हमें लोग अचानक ही बदलते से नज़र आने लगतें हैं ? क्यों हम किसी को पहचानने में भी बड़ी भूल करते नज़र आने लगतें हैं ? https://goo.gl/images/xLbR3t क्यों किसी व्यक्ति को जिससे हमें बहुत उम्मीद होती है जो हमारा परम हितेषी लगने लगता है उससे दूरी बनाने लगतें हैं ? ऐसी कई सारी बातें हैं जो इस बात को साबित करती है की क्यों इंसान अपनी स्वाभाविक पहचान छिपाना चाहता है क्यों अपने को पराया और पर

क्या आप जीते जी लेना चाहतें हैं स्वर्ग का आनंद ?

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स्वर्ग नर्क की हम सिर्फ बातें करतें हैं ऐसा कहा जाता है जो जीवन में अच्छे कर्म करता है वह मरने के बाद स्वर्ग में जाता है और जो बुरे कर्म करता है उसे मरने के बाद नर्क नसीब होता है | प्रश्न दिमाग में बहुत सरे होतें हैं |  https://goo.gl/images/wAzjcY क्या स्वर्ग नर्क सिर्फ कर्मों का फल होता है ? क्या स्वर्ग नर्क नसीब पर निर्भर करता है ? मरने के बाद हर व्यक्ति स्वर्ग में जाना चाहता है | ऐसा मरने के बाद ही क्यों सोचा जाता है ? क्या जीते जी स्वर्ग की कामना नहीं की जा सकती ? जिस स्वर्ग के आनंद को हम मरणोपरांत भोगना चाहतें हैं क्या हम उस स्वर्ग के आनंद को जीते जी नहीं भोग सकतें है ? https://goo.gl/images/KxjX2g  हर वो पल जो हमे खुशियां देता है हमारे मन को प्रसन्नता देता है जिन बातों से हमारा मन बल्लियों उछालना चाहता है यह सब कुछ स्वर्ग का आनंद ही है | जब हमारा मन उदास होता है ,दुखी होता है, मायूस होता है, जिस बात से हमे जीवन जहर के समान लगने लगता है यह नर्क भोगना ही होता है |  https://goo.gl/images/SpVond  वास्तव में स्वर्ग और नर्क का एह्सास करना चाहतें हैं तो उस समय कर

जानिए क्यों हम धर्म संकट में पड़ जाते हैं

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धर्म का अर्थ शायद हम समझ नहीं पा रहे हैं और यही वजह है की अक्सर लोग धर्म संकट में पड़ जातें हैं | अपने जीवन को सही तरीके से ता उम्र नहीं जी पाते हैं | जीवन का आनंद नहीं ले पाते हैं | धर्म और जीवन दोनों एक दूसरे के सहयोगी हैं जो लोग धर्म और जीवन को नहीं समझ पाते वो अपने जीवन को बेड़ियों में उलझा कर उसे अपने धर्म का पालन करना समझतें हैं | जबकि कोई भी धर्म यह नहीं कहता की धर्म के पालन के लिए अपने आप को या दूसरों को दुःख पहुंचाओ |  https://goo.gl/images/WojLyk अक्सर हम अपने आप को या दूसरों को बेवजह आसान जीवन जीने की जगह कठिन जीवन जीने की सलाह देने को अपना धर्म समझतें हैं जीवन के नियम कायदे हम अपने आप को मुसीबत से बचने के लिए बनाते हैं, हमारी व्यवस्थाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिए , हमारी आत्मसंतुष्टि के लिए बनाते है |  https://goo.gl/images/NSDH9V  धार्मिक ग्रन्थ चाहे वो किसी भी धर्म से सम्बंधित हो यह सन्देश नहीं देता की धर्म के नाम पर लोग दंगे फसाद करे एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाएं गीता कुरान बाइबल गुरुग्रन्थ या कोई भी धार्मिक पुस्तक जातिगत भेदभाव नहीं करती , चोरी अन्याय

तालियाँ प्रशंसा का प्रतीक होती है, तालियों की आवाज़ आपके कद्रदानों की संख्या निर्धारित करती है

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                                         दूसरो की प्रशंसा करना आसान काम नहीं  है  |                  आज के युग में दूसरो की सच्ची प्रशंसा करने के लिए मजबूत दिल गुर्दे चाहिए|                                       झूठी प्रशंसा तो कमजोर दिल  वाले  भी  कर लेते है |    हर कोई अपने काम पर तालियाँ बजवाना   चाहता है। बजवाना  भी चाहिएे तालियाँ प्रशंसा का प्रतीक होती है, तालियों की आवाज़ आपके कद्रदानों की संख्या निर्धारित करती है। तालियाँ हमें खुशी प्रदान करती है। ताली बजाने का एक वैज्ञानिक कारण भी है तालियाँ  हमारे शरीर को स्वस्थ रखती है। इसलिए तालियाँ सिर्फ बजवाना ही नही बल्कि बजाना भी चाहिए आज हम सिर्फ ताली बजवाना चाहते हैं बजाना नही, हम यह बर्दाश्त नही करते की कोई दूसरों के लिए भी ताली बजाए, हम यह भूल जाते हैं कि जब हम दूसरों के लिए ताली बजाएेंगे तब हमें अपने लिए भी मिलेगी। https://goo.gl/images/UUUyu2   याद रखें ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है। इसलिए ताली कभी भी बजाएं दिल से बजाएं दूसरों की प्रशंसा करें तो दिल से करें और जब आप दूसरों की प्रशंसा दिल से करेंगे तो आप को भी प्

सोशल मिडिया के यूजर्स बरते सावधानी

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सोशल मिडिया की दीवानगी लोगों  के जीवन में किस कदर हावी हो चुकी है  इस  बात का अंदाजा  सोशल मिडिया पर लोगों की व्यस्तता और इसके दुष्परिणामों से  लगाया जा सकता है इसका आदि होना जहाँ मानसिक विकारो को जन्म दे  रहा है वहीं रिश्तो में खटास पैदा कर कई सारी सामाजिक परेशानियाँ पैदा कर रहा  है इसलिए   यूजर्स को  सावधानी बरतने की आवश्यकता है  https://goo.gl/images/fMUiTf मोबाइल इंटरनेट ने लोगों के जीवन में गज़ब की क्रांति ला दी है वाट्सअप फेसबुक इंस्टाग्राम जैसी  सोशल साइट्स का यदि उचित रूप से उपयोग किया जाए तो यह हमारी प्रगति में सहायक हो सकता है | , क्योंकि इनका  उचित उपयोग करके हम समय बचा सकते हैं पैसा बचा  सकते हैं, |  सम्पूर्ण विश्व की जानकारी एक क्लिक के जरिये प्राप्त कर सकते हैं |  लेकिन किसी भी चीज़ का  यूज  समाज के लिए लाभदायक होता  है और मिसयूज हानिकारक होता है | https://goo.gl/images/FyuB6T   आज कल सोशल  साइट्स का यूज  कम और मिसयूज ज्यादा हो रहा है |  बिजली पानी और प्रकृति का यूज करके हमने नए नए आविष्कार किये हैं नयी  सभ्यताएं विकसित की है रहन सहन का स्तर  सुधारा है |  आर्थि

परिवार और समाज की खुशहाली के लिए है यह छोटा सा मंत्र

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                                             परिवार और समाज  की खुशहाली के लिए                           अधिकारों के साथ साथ कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक होना जरूरी है                      यह छोटा सा मंत्र बेवजह के तनाव को कम ही नहीं बहुत कम  कर  सकता है       लड़ाइयां हमेशा अधिकारों के लिए लड़ी जाती है | कर्तव्यों की जब बात आती है तो हम बगलें झाकने लगते हैं |  अधिकारों को हांसिल करने के लिए उन्हें लेने के लिए हमेशा लाइन लम्बी नज़र आती है | अधिकारों के प्रति   जानकारी हम तुरंत इकट्ठी करना चाहते हैं  |  जितना हम अधिकारों के प्रति जागरूक होते हैं कर्तव्यों के प्रति भी क्या हमे इतना जागरूक होने की आवश्यकता नहीं है ?  क्या कभी कर्तव्यों के बारे में किसी को सलाह मांगते देखा  है ? क्या जिस तरह अधिकारों की लड़ाई के लिए भीड़ इकट्ठी होती  कभी कर्तव्यों की लड़ाई के लिए भी ऐसी भीड़ इकट्ठी होती देखी है ?  वो इसलिए नहीं की हम चाहते है  भगत  सिंह भी पैदा हो तो दूसरों के घरों में | कर्तव्यों की लड़ाई लड़ने के लिए सत्य अहिंसा पर चलकर  गाँधी बनना पड़ता है |  महाराणा प्रताप की तरह जंगलों की ख़ाक छाननी

लोगों से लड़ने से नहीं बल्कि परिस्थितियों का मुकाबला करने से बदलती है परिस्थितियां

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लोगों से लड़ने से नहीं बल्कि परिस्थितियों का मुकाबला करने से बदलती है परिस्थितियां   अक्सर लोग हर परिस्थिति का अपने पक्ष में होने का इंतज़ार करते हैं | इसी इंतज़ार में जीवन बिना जीए ही गुज़र देतें हैं | हर समाधान जैसा हम चाहतें हैं वैसा नहीं हो सकता | इच्छाएं हमारी अनंत होती है हर इच्छा पूर्ण नहीं हो सकती | सपने हम बहुत देखतें हैं हर सपना पूर्ण नहीं हो सकता यदि हम हर चीज़ अपने अनुसार चाहतें हैं तो इंतज़ार करना आवश्यक है | https://goo.gl/images/TQ83Ej और इंतज़ार करने के लिए धैर्य रखना आवश्यक है | समस्या यह होती है कि हम इंतज़ार तो करना चाहतें हैं लेकिन बिना धैर्य के | धैर्य रखकर परिस्थितियों को अपने पक्ष में बनाने से एक न एक दिन इंतज़ार अवश्य ख़त्म हो सकता है | परिस्थितियों को अपने पक्ष में बनाने के लिए प्रयास करना आवश्यक होता है | हम गलती यह करतें हैं की परिस्थिति को पक्ष में बनने का भी इंतज़ार करतें हैं |जबकि परिस्थिति को पक्ष में बनाने का प्रयास हमें करना चाहिए वह हम करतें नहीं हैं | https://goo.gl/images/eeq5nf कैसे करें परिस्थितियों को पक्ष में सोच का परिस्थितियों के प

स्वतंत्रता मिलने के बाद स्वतंत्रता की क़द्र कर के लाया जा सकता है सामाजिक बदलाव

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स्वतंत्रता मिलने के बाद स्वतंत्रता की क़द्र कर के लाया जा सकता है सामाजिक बदलाव                आज बिगड़ती सामाजिक व्यवस्था हर व्यक्ति की चिंता का कारण बनती जा रही है | चाहकर भी सामाजिक सुधार हम नहीं कर पा रहें हैं |  सामाजिक व्यवस्था सुधरने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है | बच्चों की शिक्षा पर हम आवश्यकता से भी अधिक खर्च कर रहें हैं लेकिन इसके बावजूद हम सामाजिक सोच नहीं बदल पा रहें हैं | शिक्षा का सामाजिक उद्देशय पूरा नहीं कर पा रहें हैं | कानून हमारी सुरक्षा के लिए होतें हैं | कानून की मदद से सामाजिक व्यवस्था सुधारी जा सकती है लेकिन कानूनों का भी दुरूपयोग बढ़ता जा रहा है | शिक्षा और कानून की मदद से हम स्वतंत्र होकर जीवन जी सकतें हैं |  https://goo.gl/images/C2AEmk भौतिक सुख सुविधाओं की यदि बात करें तो आज हमारी भौतिक सुख सुविधाओं पर निर्भरता ज़रुरत से ज़्यादा हो गयी है बिना सुख सुविधा के हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पा रहें हैं | भौतिक सुख सुविधाएं हमारे जीवन को आसान बना सकती है लेकिन इनका दुरूपयोग कर हम जीवन को और कठिन बनाते जा रहें हैं | रिश्ते नातों की अपनी अहमियत होती

क्या जीवन को हम शह और मात का खेल बना रहें हैं ?

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आज हर व्यक्ति अपनी जीत चाहता है मात यानि हार कोई नहीं चाहता यह सही है कि खेलों में अपनी जीत के लिए दूसरों को हराना आवश्यक होता है लेकिन उसके भी कुछ नीति नियम होतें हैं | https://goo.gl/images/s8QWyw आज हम जीवन में भी खेलों की तरह ही अपनी जीत के लिए दूसरों को हराना आवश्यक समझने लगें हैं जबकि जीवन में हमे अपनी जीत को जीतने के लिए दूसरों को हराना बिलकुल आवश्यक नहीं है जीवन को हम शह और मात का खेल बना रहें हैं |  https://goo.gl/images/pJHdcd आज लोग जीवन की प्लानिंग इस तरह से कर रहें हैं की अपनी शह के साथ हम दूसरों को किस प्रकार मात दे और यही वजह है की हम दूसरों को मात देने के लिए तनावपूर्ण जीवन जी रहें हैं दुखी जीवन जीने पर मजबूर हैं यदि हम दूसरों को मात देने की जगह हमारी जीत की प्लानिंग करें तो शायद हमे न तो तनाव लेने की आवश्यकता होगी न दुखी होने की | https://goo.gl/images/5PJwJm जीवन को हमने खेल का मैदान बना दिया है राजनीती का अखाडा बना दिया है | शतरंजी चालों की वजह से हम सुख शांति खो चुकें हैं | हर बात में हम अपने आप को जीताना चाहतें हैं और दूसरों को हराना चाहतें है

भूत, भविष्य की चिंता छोड़कर क्यों जीना ज़रूरी है वर्तमान को ?

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 हर कोई भविष्य को संवारने में लगा हुआ है लेकिन वर्तमान को बिगड़ कर हम किस तरह भविष्य को संवार सकते है बहुत कम लोग है जो  वर्तमान का मतलब समझ रहे है अधिकतर लोग जो हो चूका है उसका रोना  रोते  रहते है जो होने वाला है उसके बारे में सोचते है बहुत काम लोग है जो वर्तमान   पर बात करते है  जो अभी औरआज  पर बात करते है वास्तव में वो लोग वर्तमान को जी रहे है  बाकि तो भूत और  भविष्य में उलझे हुए है    https://goo.gl/images/7Unffw                 भूतकाल जो बीत चुका है| भविष्य काल जो आने वाला है| वर्तमान जो चल रहा है| भूत काल की घटनाओं से हम सबक लेकर सीखते हैं और वर्तमान को जीने की कोशिश करते हैं| भविष्य के लिए हम योजनाएं वर्तमान में ही बनाते हैं | इस लिहाज़ से वर्तमान महत्वपूर्ण होता है और अक्सर लोग सबसे महत्वपूर्ण और सबसे स्वर्णिम काल को भूत और भविष्य के चक्कर में जीना ही भूल जाते हैं| भूतकाल की घटनाओं और गलतियों से सबक लेकर उन्हें वर्तमान में सुधार कर हम भविष्य को सुनहरा बना सकते हैं| किंतु अक्सर लोग वर्तमान को समझ नहीं पाते हैं सिर्फ भूत और भविष्य को ही वर्तमान मानकर जीवन गुजार देते

जानिए जीवन की परीक्षा को पास करने के आसान उपाय

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                                 परीक्षा परीक्षा ,इम्तिहान  इंटरव्यू ये ऐसे शब्द हैं, जिन्हें देने के लिए हमें तैयारी करनी पड़ती है|  परीक्षा इंटरव्यू कोई भी हो उसकी तिथि निर्धारित होती है । और तिथि निर्धारित होने के बावजूद भी  हम गलतियां कर बैठते हैं कुछ लोग अच्छे अंक ले आते हैं, कुछ नहीं ला पाते हैं, कोई सफल होते हैं ,कोई असफल। परिणाम आने पर कोई पछताता है, कोई अपनी गलतियों को सुधारता है, कोई रोता है ,कोई हंसता है। यह स्थिति तब होती है जब हमें उसकी तिथि पहले से पता होती है, सिलेबस पता  होता है, समय अवधि पता होती है। फिर भी हम गलतियां कर बैठते हैं|                       जिंदगी में तो हर पल परीक्षा देनी पड़ती है ना उस परीक्षा की तिथि निर्धारित होती है, ना सिलेबस ना समय अवधि। यह परीक्षा ता उम्र चलती है |  जन्म से लेकर मृत्यु तक किस समय किस विषय की परीक्षा हो जाए यह भी पता नहीं जिंदगी में तो हर पल परीक्षा देनी पड़ती है ना उस परीक्षा की तिथि निर्धारित होती है, ना सिलेबस ना समय अवधि। यह परीक्षा ता उम्र चलती है |  जन्म से लेकर मृत्यु तक किस समय किस विषय की परीक्षा हो जाए यह भी पत

सिक्के के पहलुओं का जीवन में क्या है महत्व ? जानिए

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सिक्के के पहलू हर सिक्के के दो पहलू होते हैं| लेकिन हमारी नजर सिर्फ एक पहलू पर पड़ती है| जब तक हम उसे पलट कर नहीं देखेंगे हम पता नहीं कर पाएंगे , दूसरी ओर क्या लिखा है | अक्सर जीवन में हम यही करते हैं| हम सिर्फ एक तरफ के हिस्से को ही देखते हैं और उसी आधार पर सारे निर्णय ले लेते हैं| दूसरे पहलू को नजरअंदाज करने से हमारे फैसले प्रभावित होते हैं | हमारी राय प्रभावित होती है| जो व्यक्ति गुनहगार नहीं है वह गुनहगार साबित हो जाता है| और जो गुनहगार है वह आसानी से बरी हो जाता है इसलिए हमारी नज़र सिक्के के दोनों पहलुओं पर होनी चाहिए | जो चीज हमें नजर नहीं आ रही है, उसे नजर में लाने के लिए भगवान ने हमें शरीर के अंग दिये है| आंखों से हम देख सकते हें , कानों से हम सुन सकते हैं, जुबान से हम बोल सकते हैं, दिमाग से विचार कर सकते हैं सोच सकते हैं| लेकिन इन प्रकृति प्रद्दत अंगों का उपयोग भी हम सही तरीके से नहीं करते हैं | दुनिया में अधिकतर समस्याएँ हमारे इन अंगों के सही उपयोग नहीं करने की वज़ह से पैदा होती हे | https://goo.gl

यदि आप पशु पक्षी प्रेमी है तो क्यों और कैसे करें पशु पक्षी की सेवा ?

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       जानवर और इंसान https://goo.gl/images/7Tg43w जानवर और इंसान में एक बड़ा   फर्क होता है | जानवर बोल नहीं सकता, असहाए, मजबूर और दूसरों पर निर्भर होता है। जब कि इंसान को भगवान ने बोलने के लिए जबान दी है मजबूरों असहायों  की सेवा करने का अवसर दिया है | कई लोग घरों में जानवर पालते हैं उन्हें कार में घूमाते हैं | उनके लिए हर भौतिक सुख सुविधाएं उपलब्ध  कराते हैं |कुछ लोग जानवरों को शोक के लिए पालते हैं कुछ अपनी सुरक्षा के लिए पालते हैं कुछ लोग इन्हें अपने स्वार्थ के लिए भी  पालते हैं |  कुत्ते पालना आजकल एक फैशन बन गया है एक से एक नस्ल के कुत्ते बाज़ारों में उपलब्ध हैं महंगे से महंगे कुत्ते खरीदना उन्हें अपने शौक के लिए पालना और फिर यह प्रदर्शित करना कि हम पशु प्रेमी हैं। यह पशु प्रेम न्याय संगत नहीं कहा जा सकता जब तक कि आप के मन में आवारा पशुओं के लिए यह ख्याल नहीं आए कि इन बेसहारों का कोई पालनहार नहीं है। हमें थोड़ा पशु प्रेम इन के प्रति भी दिखाना चाहिए | https://goo.gl/images/iWABwc क्या कभी आपने पक्षियों को दाना डालने के लिए सोचा है? क्या कभी सोचा है कि गर्मियों के मौसम

प्रेम ही एक ऐसी अदभुत चमत्कारिक शक्ति है जो हमे सच्चाई और ईमानदारी की तरफ ले जा सकती है

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गुस्सा एक स्वाभाविक क्रिया है गुस्सा दोस्त पर भी आ सकता है दुश्मन पर भी परन्तु अधिकतर लोग गुस्से का प्रदर्शन नफरत को शामिल करके करते हैं | https://goo.gl/images/ZySHws जब गुस्से में नफरत शामिल हो जाती है तो वह गुस्सा गुस्सा नहीं रहता बल्कि हिंसा बन जाता  है गुस्से में यदि प्रेम  हो तो वह गुस्सा तुरंत उतर भी जाता है इसलिये गुस्सा करें लेकिन नफरत की जगह उसमे प्रेम को स्थान दे | https://goo.gl/images/pYzF9e गुस्सा करने वाले को भी समझाइये  गुस्सा करें  अवश्य लेकिन प्रेम भी जताये  क्योंकि  प्रेम ही एक ऐसी अदभुत चमत्कारिक शक्ति है जो हमे सच्चाई और ईमानदारी की तरफ ले जा सकती है |  नफरत और गुस्से की बुनियाद अपराधों को जन्म देती है हिंसा को बढ़ावा देती है | 

तलाश एक अच्छे इंसान की- - यदि हम अच्छे इंसान की तलाश में है तो पहले खुद से सवाल करें हम कितने अच्छे हैं life mantra

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हर व्यक्ति अच्छे इंसान की  तलाश में  है। लड़की  चाहती है उसका होने वाला पति अच्छा इंसान हो। लड़का  चाहता है उसकी  होने वाली पत्नी एक अच्छी इंसान हो। नौकर चाहता है मालिक अच्छा इंसान हो। मालिक चाहता है नौकर अच्छा इंसान हो। मां बाप चाहते हैं उनके बच्चे बड़े होकर अच्छा इंसान बने। पडौसी चाहता है उसका पडौसी अच्छा इंसान हो। इस हिसाब से हर कोई दुनिया में अच्छा इंसान  ढूंढ रहा है। लेकिन हर किसी के मुंह से सुना जा  सकता है कि  "आजकल अच्छे इंसान  मिलते कहाँ  हैं?" तो क्या भगवान ने अच्छे इंसान बनाने  ही बंद कर दिए  है? लेकिन ऐसा शायद नहीं है ।भगवान तो सभी को एक जैसा इंसान बना कर भेजते हैं। लेकिन जैसे ही वह दुनिया में आकर जमीन पर कदम रखता है, वह बदलने लगता है। वह गिरगिट की तरह जीवन भर रंग बदलता रहता है।                                                                             google image कारण एक ही है हम इतने स्वार्थी हो चुके हैं कि हम खुद नहीं चाहते कि कोई अच्छा इंसान इस धरती पर आए और अच्छे काम करें अच्छी बातें करें समाज का भला सोचे जैसे ही हमें लगता है, कि कोई अच्छा इंसान इस धरती

अमिताभ बच्चन शशि कपूर की जोड़ी ने दी है कई हिट फिल्मे

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बॉलीवुड में हर कलाकार एक दूसरे पर भारी पड़ता है |  इस वजह से कई बार बड़े अभिनेता अपने साथी अभिनेताओं के साथ सोच समझ कर फिल्मे करना पसंद करते हैं |  क्योंकि उन्हें दूसरे अभिनेता के अभिनय से अपने अभिनय को कम आँके जाने का भय बना रहता है  |   लेकिन कई दिग्गज अभिनेता इसे चेलेंज  समझ कर अपने साथी अभिनेता के साथ काम करते हैं |  ऐसी ही एक जोड़ी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं| यह जोड़ी है अमिताभ बच्चन  और शशि कपूर की | वैसे तो अमिताभ बच्चन ने राजेश खन्ना , विनोद खन्ना ,धर्मेन्द्र जैसे कलाकारों के साथ कई फिल्मों में अभिनय किया है  |   और सुपरहिट फिल्मे दी है लेकिन शशि कपूर के साथ उन्होंने 15 से भी ज्यादा फिल्मों में साथ - साथ काम किया है और अधिकतर फिल्मे बॉक्स ऑफिस पर सफल रही है | रोटी कपडा  और मकान , नमक हलाल , काला पत्थर  ,कभी- कभी, त्रिशूल, सुहाग , दीवार , सिलसिला ,शान ,अकेला आदि फिल्मे इनकी सुपरहिट रही है |