भूत, भविष्य की चिंता छोड़कर क्यों जीना ज़रूरी है वर्तमान को ?

 हर कोई भविष्य को संवारने में लगा हुआ है लेकिन वर्तमान को बिगड़ कर हम किस तरह भविष्य को संवार सकते है बहुत कम लोग है जो  वर्तमान का मतलब समझ रहे है अधिकतर लोग जो हो चूका है उसका रोना  रोते  रहते है जो होने वाला है उसके बारे में सोचते है बहुत काम लोग है जो वर्तमान   पर बात करते है  जो अभी औरआज  पर बात करते है वास्तव में वो लोग वर्तमान को जी रहे है  बाकि तो भूत और  भविष्य में उलझे हुए है   
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                भूतकाल जो बीत चुका है| भविष्य काल जो आने वाला है| वर्तमान जो चल रहा है| भूत काल की घटनाओं से हम सबक लेकर सीखते हैं और वर्तमान को जीने की कोशिश करते हैं| भविष्य के लिए हम योजनाएं वर्तमान में ही बनाते हैं | इस लिहाज़ से वर्तमान महत्वपूर्ण होता है और अक्सर लोग सबसे महत्वपूर्ण और सबसे स्वर्णिम काल को भूत और भविष्य के चक्कर में जीना ही भूल जाते हैं| भूतकाल की घटनाओं और गलतियों से सबक लेकर उन्हें वर्तमान में सुधार कर हम भविष्य को सुनहरा बना सकते हैं| किंतु अक्सर लोग वर्तमान को समझ नहीं पाते हैं सिर्फ भूत और भविष्य को ही वर्तमान मानकर जीवन गुजार देते हैं| और वर्तमान को तो जी ही नहीं पाते हैं|

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तीनों कालों को हम इस तरह से समझ सकते हैं| बीता हुआ कल भूतकाल है| आज वर्तमान काल है| आने वाला कल भविष्य काल है| ठीक इसी तरह बीता हुआ महीना भूतकाल, आने वाला भविष्य काल और जो चल रहा है वर्तमान काल है| बीता हुआ वर्ष यानी 2017 भूतकाल, 2018 वर्तमान काल, 2019 भविष्य काल| बचपन, जवानी, बुढ़ापा को भी हम भूत , भविष्य और वर्तमान की संज्ञा दे सकते हैं| यदि हम हमारा जीवन जीते जी जीना चाहते हैं, जीवन को हंसी - खुशी और आनंद से जीना चाहते हैं, तो हमें भूत ,भविष्य और वर्तमान को समझना अत्यंत आवश्यक है| जीवन सिर्फ वही है जो हम वर्तमान में जी रहे हैं| अक्सर लोग गलती यही करते हैं| भूत और भविष्य को भी वर्तमान में ही जीते हैं और इसी वजह से वर्तमान को जी ही नहीं पाते हैं|

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गलती होने पर ,बुरा होने पर, दुख. गुस्सा व्यक्त करना स्वाभाविक क्रियाएँ हैं| लेकिन दुखी होकर या गुस्सा करके अपने वर्तमान को प्रभावित करना समझदारी नहीं है| हम क्रोध और गुस्से से अपने वर्तमान को ही नुकसान पहुंचाते हैं| हम हमारा भी वक्त खराब करते हैं और दूसरों का भी| जीवन में अक्सर कई छोटी-छोटी घटनाएं रोजाना एक दूसरे के साथ घटती है| जिन को लेकर हम पूरे दिन का मजा खराब कर लेते हैं| मसलन बच्चों का आपसी विवाद होना , दफ्तर में सहकर्मी से कोई बात हो जाना , परिवार में कोई समस्या आ जाना, पड़ोसियों से किसी बात पर कहा सुनी होना, रस्ते चलते कोई समस्या मोल ले लेना| ऐसी कई छोटी-छोटी बातों के समाधान हम बातचीत से निकाल सकते हैं| लेकिन इन बातों के समाधान का हम प्रयास ही नहीं करते हैं| और दिन प्रतिदिन की बातों के लिए कुंठा पालकर वर्तमान को उलझाते रहते हैं| और जब जिसका दाँव लग जाता है भूतकाल की इन घटनाओं के आधार पर वर्तमान के संबंधों को बिगड़ लेता है|
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अक्सर वर्तमान को हम सोचने - विचारने, उलझने - उलझाने, लड़ने - लड़ाने में ही खर्च करते रहते हैं | भविष्य तक पहुँचने के लिए ये सारी मशक्कत करते रहते हैं| फिर भी हाथ मलते रह जाते हैं| भूतकाल की गलतियों को वर्तमान में सुधारकर वर्तमान को जी कर वर्तमान में ही भविष्य को पहचानें| आज ही  वर्तमान को जीने का संकल्प लें| ऐसा कोई काम नहीं करें जो आपके आज के दिन को दुखी करे| जो आज की रात की नींद बिना तनाव बिना चिंता के सोएगा और जब वह कल उठेगा तो आज की सुनहरी सुबह उसका भविष्य होगी |

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