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फ़रवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्यों पड़ जाते है अक्सर लोग जीवन के धर्म संकट में life mantra

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 क्यों पड़  जाते है अक्सर लोग जीवन के  धर्म संकट में  life mantra धर्म का अर्थ शायद हम समझ नहीं पा रहे हैं और यही वजह है की अक्सर लोग धर्म संकट में पड़ जातें हैं | अपने जीवन को सही तरीके से ता उम्र नहीं जी पाते हैं | जीवन का आनंद नहीं ले पाते हैं |  life mantra धर्म और जीवन दोनों एक दूसरे के सहयोगी हैं   जो लोग धर्म और जीवन को नहीं समझ पाते वो अपने जीवन को बेड़ियों में उलझा कर उसे अपने धर्म का पालन करना समझतें हैं | जबकि कोई भी धर्म यह नहीं कहता की धर्म के पालन के लिए अपने आप को या दूसरों को दुःख पहुंचाओ |  https://goo.gl/images/WojLyk अक्सर हम अपने आप को या दूसरों को बेवजह आसान जीवन जीने की जगह कठिन जीवन जीने की सलाह देने को अपना धर्म समझतें हैं जीवन के नियम कायदे हम अपने आप को मुसीबत से बचने के लिए बनाते हैं, हमारी व्यवस्थाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिए तथा  हमारी आत्मसंतुष्टि के लिए बनाते है |  https://goo.gl/images/NSDH9V   life  mantra क्यों कर लेते हैं हम  जिंदगी के आनंद को ख़त्म ? धार्मिक ग्रन्थ चाहे वो किसी भी धर्म से सम्बंधित हो यह सन्देश नहीं देता की धर्म के नाम पर

सिर्फ इसलिए किसी की बात का समर्थन नहीं करें की वह पढ़ा लिखा है

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समझदारी साबित करने की चीज़ नहीं है  | समझदारी तो दिखाने की बात होती है | अधिकतर लोग आर्थिक लाभ  कमाने  और पढ़ लिख जाने को समझदारी समझते है | https://goo.gl/images/Zka1fo   जबकि समझदारी का क्षेत्र बहुत विस्तृत है सकारात्मक सोच समझदारी की परिचायक है  | खुद  को  तथा परिवार को  स्वस्थ्य रखना भी समझदारी है घर परिवार तथा समाज के साथ ताल मेल बैठना भी समझदारी है | https://goo.gl/images/ksrxGD समझदारी कभी भी किसी का बुरा करने में नहीं दिखती किसी को नीचा  दिखाने में नहीं दिखती  लड़ने झगड़ने में नहीं दिखती | किसी को दुःख पहुंचने या दुखी होने में नहीं दिखती बात बात पे गुस्सा  होने तथा चिड़चिड़ाने पे नहीं दिखती | रो रो कर ज़िंदगी जीने में नहीं दिखती | https://goo.gl/images/rYdAG8 समझदारी तो दिखती है लड़ाई झगड़ों को रोकने में किसी का भला करने  में किसी को ऊपर उठाने में किसी को सुख पहुंचाने और सुखी दिखने में समझदारी दिखती है हसने हँसाने प्रसन्नचित रहकर स्वस्थ रहने और तनाव मुक्त जीवन जीने में | समझदारी दिखती है विपरीत परिस्थिति में निर्णय लेने की क्षमता में |  अक्सर लोग किताबी ज्ञान से  य

जिंदगी में तो हर पल परीक्षा देनी पड़ती है ना उस परीक्षा की तिथि निर्धारित होती है, ना सिलेबस

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                            परीक्षा परीक्षा ,इम्तिहान  इंटरव्यू  देने के लिए हमें तैयारी करनी पड़ती है|  परीक्षा इंटरव्यू कोई भी हो उसकी तिथि निर्धारित होती है । और तिथि निर्धारित होने के बावजूद भी  हम गलतियां कर बैठते हैं कुछ लोग अच्छे अंक ले आते हैं, कुछ नहीं ला पाते हैं, कोई सफल होते हैं ,कोई असफल। परिणाम आने पर कोई पछताता है, कोई अपनी गलतियों को सुधारता है, कोई रोता है ,कोई हंसता है। यह स्थिति तब होती है जब हमें उसकी तिथि पहले से पता होती है, सिलेबस पता  होता है, समय अवधि पता होती है। फिर भी हम गलतियां कर बैठते हैं |                       जिंदगी में तो हर पल परीक्षा देनी पड़ती है ना उस परीक्षा की तिथि निर्धारित होती है, ना सिलेबस ना समय अवधि। यह परीक्षा ता उम्र चलती है |  जन्म से लेकर मृत्यु तक किस समय किस विषय की परीक्षा हो जाए यह भी पता नहीं परीक्षा केंद्र कहां होगा यह पता नहीं|  परीक्षा की कोई उम्र भी तय नहीं होती। छोटे से बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक  किसी की भी हो सकती है। किसी के लिए कोई जातिगत आरक्षण नहीं न कोई महिला पुरुष का भेदभाव न अमीरी गरीबी का सवाल|  सवाल सिर्फ

बहुत कम लोग है जो अपने जीवन में अपार सफलता प्राप्त कर पाते है

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बहुत कम लोग है  जो अपने जीवन में अपार सफलता प्राप्त कर पाते है  कोई कहता है सफलता मेहनत से मिलती है, कोई  कामयाबी के लिए  पुराने संस्कारों  को  जिम्मेदार ठहराता  है  , कोई  कर्मो के  फल को सफलता  मानता  है, तो  कोई किस्मत को सफलता मानता  है ,  कितने ही   लोग है जी तोड़ मेहनत करते है रात  दिन एक कर देते  है  मेहनत के बावजूद  सारी  उम्र वो सफलता की आस में निकल देते है |  परन्तु जीवन भर उन्हें कामयाबी नहीं   मिल पाती | कुछ लोग संस्कारो को कामयाबी मानते है इसके लिए वो पूजा पाठ जप तप सब कुछ करने को तैयार हो जाते है लेकिन बावजूद इसके वे अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाते  है |  कुछ लोगों  का मानना है की  सफलता किस्मत पर भी निर्भर करती है कई लोग अपनी किस्मत बदलने के लिए  ज्योतिषियों से सलाह लेते है वास्तुशास्त्रियों के   अनुसार कार्य करते है परन्तु फिर भी बहुत कम लोग है   जो  अपने जीवन में अपार सफलता प्राप्त कर पाते है  | https://images.app.goo.gl/D8j4ubbLCS7DfJPq8  परिवार के लोग ही  आदर्श वाद से दुखी रहते है तो ये कैसी  सफलता है ?   कई लोग है जो जीवन में अच्छे कर्म भी करते है परन्तु

इंसानो को तलाशे नहीं बल्कि जो मिलें उन्हें तराशें life mantra

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इंसानो को तलाशे नहीं बल्कि जो मिलें उन्हें तराशें life mantra Copyright Holder: Nainika  हर व्यक्ति कुछ-न-कुछ तलाश रहा है| कोई सुख की तलाश में है, कोई पैसे की, किसी को ईमानदार लोगों की तलाश है किसी को अच्छे दोस्तों की, कोई भगवान की तलाश में है, कोई भक्तों की, किसी को छाया की तलाश है, किसी को धूप की, मालिक को तलाश है अच्छे कर्मचारियों की, कर्मचारियों को तलाश होती है अच्छे मालिक की, लड़के को अच्छी लड़की की तलाश है, लड़की को अच्छे लड़के की, मां बाप को बच्चों के भविष्य की तलाश है, जनता को अच्छे नेता की तलाश है, नेताओं को अच्छे कार्यकर्ता की| लिस्ट इतनी लंबी है कि सारी उम्र हम तलाश में ही निकाल देते हैं| लेकिन हमारी तलाश जारी ही रहती है | कभी पूरी ही नहीं हो पाती है | तलाशने की जगह हम यदि तराशने का कार्य करें तो कुछ हद तक हम इस तलाश की समस्या का हल ढूंढ सकते हैं | ihttps://goo.gl/images/gw6CXbmage इंसानो को तलाशे नहीं बल्कि जो मिलें उन्हें तराशें  life mantra  सास - बहू को तराशे बहु - सास को, पति - पत्नी को तराशे पत्नी - पति को, नौकर - मालिक को तराशे मालिक - नौकर को , जनता - नेता

जीवन के बुनियादी सबक

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अक्सर लोग अपना जीवन गुस्सा, क्रोध ,लड़ाई- झगड़े , असंतुष्टि ,दोषारोपण में गुजार देते है और अपने आप को सही, सच्चा, ईमानदार तथा दूसरों  को गलत, झूठा, बेईमान साबित करते रहते है |  इसी उधेड़ बुन  में हंसना ,मुस्कुराना, मानवता, नैतिकता भूल कर सम्पूर्ण जीवन  दुःखों , कठिनाइयों, समस्याओं,  परेशानियों  के हवाले कर  निराशा ,हताशा को अपने मन में बैठा कर कुंठित होकर अच्छे भले जीवन की वाट लगा बैठते है|  हम अपने जीवन का आकलन तो कर नहीं पाते है  दुनिया के जीवन का आकलन करने में अपने   जीवन  को तोड़ मरोड़ कर निचोड़  देते है फिर सबसे खास बात  निचोड़ने के बाद हम उसकी  सलवटे भी नहीं देख पाते है |   ऐसे लोग दूसरो  को भी जीवन नहीं जीने देते है |  इसलिए यदि जीवन को सम्पूर्ण जीना चाहते है तो  अपने ऊपर पड़ी हुई सलवटे भी दूर करने की कोशिश करे  क्योँकि  हम अपना चेहरा खुद कभी नहीं देख सकते  वो हमे कोई दुसरा ही बता सकता है या फिर आईना |  अतः  जीवन के ये दस बुनियादी सबक याद रखें  इन पर अमल  कर पूर्वाग्रहों को दूर करे खुद जिए औरो को भी जीने दें |                                                                    

हर जगह कन्फूजन है सत्य से हर व्यक्ति अछूता है

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जीवन में हर इंसान सत्य से अछूता है |   क्योंकि  अधिकतर  इंसान यह मानकर चलता   है की सच तो सिर्फ मैं  बोल रहा हूँ   | दूसरे चाहे कितने ही सच्चे हो हम उनकी सच्चाई  जानने  में कोई रूचि ही नहीं लेते है  | लेकिन  अक्सर अपने स्वार्थ के लिए  हम दूसरों  को सुने बिना समझे बिना   या सिर्फ इसलिए कि  वह हमारा नजदीकी है या रिश्तेदार है  उसकी बातों  कि  सच्चाई  जाने बिना भीड़ का हिस्सा बन  जाते है |   जो सच और झूठ  की हकीकत ही सामने नहीं  आने देते है |   दुनिया में  कई  मुद्दे  आज भी ऐसे है जिनकी सच्चाइयों  तक  पहुंच पाना इसलिए मुश्किल होता है कि  सच्चाई से ध्यान भटकाने के लिए चार ऐसे मुद्दे और उछाल दिए जाते है  जो पहले  वाले मुद्दे से ध्यान हटाने पर मजबूर कर दे  | https://images.app.goo.gl/2c5fwH6cmrcXVRFv9   आज देश की  पॉलिटिक्स में  यही हो रहा है  |  देश से किसी को कोई मतलब नहीं चाहे कोई कितना ही सच्चा हो कितना ही अच्छा हो  विरोधियों  को बाल की खाल निकालकर सच को झूठ  और झूठ को सच  बताकर जनता को गुमराह करना है |   बेचारी भोली भाली जनता इस आस में, इस उम्मीद में की कोई तो सच बोले, कोई तो उ

इंसान सिर्फ अपने तक ही सीमित क्यों होता जा रहा है ?

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    इंसान सिर्फ अपने तक ही सीमित  क्यों होता जा रहा है ?  यह बात सच है की इंसान आज अपने तक ही सीमित होता जा रहा है |  जो आने वाले समय में सामाजिकता के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन जायगा | किसी जमाने में हम दो  हमारे दो   छोड़  आज हर व्यक्ति हम दो हमारा एक या हमारी एक तक सीमित  होता जा रहा है  |    कहा  जाता है सीमित परिवार सुखी परिवार ये बात सही भी है |  एक समय था जब घर में कमाने वाला एक होता था और खाने वाले 8  -10  होते थे तब भी आदमी बिना तनाव के हंसी ख़ुशी अपने बच्चो का पालन पोषण करता था ,सामाजिक रिति  रिवाजों  में शरीक होता था  |  समय और वक्त ने इन्सान की सोच बदली और एक सामजिक बदलाव की बात सामने आने लगी |  लोग शिक्षा के महत्व को समझने लगे अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए और समाज में जागरूकता लाने के लिए छोटे परिवार की आवश्यकता पर बल दिया जाने लगा  |                                                                        google image  लोगो को ऐसा लगने लगा की शायद बच्चों  को अच्छी शिक्षा और सुख सुविधाएं देने तथा अपने परिवार का ठीक तरह से पालन पोषण करने के लिए छोटे परिवार

पैसा बहुत कुछ है परन्तु सब कुछ नहीं

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 पैसा बहुत कुछ होता है  सब कुछ तो नहीं |  इस बात के समर्थन में लोग हामी जरूर भरते देखे जा सकते है लेकिन वास्तविकता इससे कुछ और ही है |  आज हर किसी के लिए पैसा सब कुछ ही हो  गया है  तभी तो लोग अपने फायदे के लिए रिश्ते नातों  तथा व्यवहारिकता को भूल कर दूसरों  को नुक्सान पहुंचाते  वक्त ये  साबित कर  देते है की पैसा ही सब कुछ है |  परन्तु ऐसी सोच रख कर  व्यक्ति  दूसरों  का तो  नुक्सान कर रहा है  अपना भी कोई फायदा नहीं कर रहा है |  जिस तरह से आप अपने फायदे के लिए किसी और को नुक्सान पहुंचा रहे  है उसी प्रकार कोई और अपने फायदे के लिए आपको नुक्सान पहुंचा रहा है  | और आप अपने आप को यह कह कर समझदार साबित करने में लगे हुए है कि पैसा  ही सब  कुछ है  |  यकीन मानिये ये आपकी बहुत बड़ी गलत फहमी है |   आप सिर्फ नुक्सान नुक्सान खेल रहे है |   क्योँकि  जो लोग पैसो का फायदा देखते है  वो सिर्फ अपने बैंक बेलेंस और धन सम्पदा के केलकुलेशन तक ही सीमित  रह जाते है    उन्हें तन और मन के फायदे नजर ही नहीं आते है |   जबकि वास्तव में आप  अपनी एसेट्स का सही आकलन करना चाहते है तो  अपनी गुडविल को भी उसमे शामिल करे