सिर्फ इसलिए किसी की बात का समर्थन नहीं करें की वह पढ़ा लिखा है
समझदारी साबित करने की चीज़ नहीं है | समझदारी तो दिखाने की बात होती है | अधिकतर लोग आर्थिक लाभ कमाने और पढ़ लिख जाने को समझदारी समझते है |
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जबकि समझदारी का क्षेत्र बहुत विस्तृत है सकारात्मक सोच समझदारी की परिचायक है | खुद को तथा परिवार को स्वस्थ्य रखना भी समझदारी है घर परिवार तथा समाज के साथ ताल मेल बैठना भी समझदारी है |
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समझदारी कभी भी किसी का बुरा करने में नहीं दिखती किसी को नीचा दिखाने में नहीं दिखती लड़ने झगड़ने में नहीं दिखती | किसी को दुःख पहुंचने या दुखी होने में नहीं दिखती बात बात पे गुस्सा होने तथा चिड़चिड़ाने पे नहीं दिखती | रो रो कर ज़िंदगी जीने में नहीं दिखती |
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समझदारी तो दिखती है लड़ाई झगड़ों को रोकने में किसी का भला करने में किसी को ऊपर उठाने में किसी को सुख पहुंचाने और सुखी दिखने में समझदारी दिखती है हसने हँसाने प्रसन्नचित रहकर स्वस्थ रहने और तनाव मुक्त जीवन जीने में | समझदारी दिखती है विपरीत परिस्थिति में निर्णय लेने की क्षमता में | अक्सर लोग किताबी ज्ञान से या पढ़ाई लिखाई में अव्वल आने को समझदारी समझते है | जो बिल्कुल गलत है | यही वजह है की आधुनिक युग में कम पढ़े - लिखे, गरीब तथा बुजुर्गो की समझदारी भरी बातो को गौण कर आधुनिक दिखने वाले और पढ़े लिखे लोगों के गलत कामों गलत तर्कों को भी प्रशंसा प्राप्त हो जाती है | सिर्फ इसलिए किसी की बात का समर्थन नहीं करें की वह पढ़ा लिखा है | तर्कों और परिस्थतियों को समझ कर समर्थन करें चाहे वो अमीर हो या गरीब बुजुर्ग हो या नौजवान स्त्री हो या पुरुष शिक्षित हो या अशिक्षित छोटा हो या बड़ा | किसी की प्रतिभा को नजरंदाज नहीं करे चाहे किसी के पास उसकी डिग्री हो या ना हो | लोगों की क्षमताओं को पहचान कर उनका आकलन करना बहुत जरूरी है | समाज को सही दिशा देने में ये बहुत ही महत्व पूर्ण कदम हो सकता है |
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