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मार्च, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या 'मै' शब्द ने हमारे जीवन की ज़मीन को दलदल बना दिया है ? life mantra life tips

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क्या 'मै' शब्द ने  हमारे जीवन की  ज़मीन को  दलदल बना दिया है ?  life mantra life tips   स्वार्थी होने की हम बहुत बड़ी सजा भुगत रहे हैं | आज स्वार्थ इस  कदर हावी हो चुका  है की जमीन पर पैर रखने तक की जगह नसीब नहीं हो  पा  रही है |  खड़ा होना  तो दूर की बात जीवन के  धरातल पर स्वार्थ का दलदल इतना बन चुका है  जहाँ  पैर रखो वहीँ धसंता चला जाएगा  | आज आवश्यकता है इस दलदल को समतल करने की |   इस  जमीन को सुधारने की ताकि हम पैर  तो ज़मीन पर रखकर खड़े हो सके |आज  दुनिया में जितनी भी समस्याएं बढ़ रही हैं स्वार्थी होने की वजह से बढ़ रही हैं  | स्वार्थी होने की पुष्टि सिर्फ एक अक्षर का शब्द कर रहा है जिसका नाम है 'मै' |  इस 'मै' शब्द ने हमारे जीवन की  ज़मीन को ऐसा दलदल बना कर रख दिया  है  जहाँ  खड़े होना किसी के भी बस की बात नहीं रही है  |  https://goo.gl/images/bEaWf9 life-mantra-life-tips       'मै'  सही हूँ,  'मै'  स्पष्ट बोलता हूँ , 'मै'  गलत  हो ही नहीं सकता , 'मै'  तो कुछ  बोलता ही नहीं हूँ,    'मै'  किसी  का बुरा नहीं चाह

आधुनिक युग और भौतिक सुख सुविधाएं

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    नमस्कार  दोस्तों,  क्या आप भी मानते हैआज का   युग भौतिक सुख सुविधाओं का युग बन चुका है बिना भौतिक सुख सुविधाओं के इंसान  दर्द से कराह उठता है ? क्या आज परिवारों में रिश्ते नातो  में अधिकतर  विवादो  की जड़ भौतिक सुख सुविधाओं के यूज और मिसयूज  है ? क्या आज लोगो में पैसा कमाने को लेकर जो द्वन्द है उसकी मुख्य वजह भौतिक सुख सुविधाओं की लालसा  है ?  क्या  आवश्यकता पड़ने पर बिना सुख सुविधाओं के भी जीवन जीने की आदत नहीं डालनी चाहिए ?  यदि आप ऐसा महसूस करते है तो यह लेख अवश्य पड़े                    बड़े बड़े महलों में  भी इंसान  खुश तब ही रह सकता है जब वह मन से खुश होगा स्वाभाव से खुश होगा  वरना खुश रहने के लिए तो एक झोपडी ही काफी है जो लोग मन से खुश होते हैं  वो लोग ख़ुशी  से जीवन यापन कर सकते हैं लेकिन जो लोग मन से खुश नहीं रहते वो महलों में रहकर सुख सुविधाएं पाकर भी अपने आप को दुखी करते रहते हैं दूसरों को दुखी करते रहते हैं |आधुनिक  युग भौतिक  सुख सुविधाओं का युग बन चुका है | बिना भौतिक सुख सुविधाओं के जीवन रुक सा जाता है | जहां कुछ लोग सुख सुविधाएं पाकर भी खुश नहीं रहते वहीं  कुछ लोग स

क्या है अहंकार और स्वाभिमान

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आज हम अहंकार और स्वाभिमान में फर्क नहीं समझ पा  रहे हैं | किसी भी बात के लिए दुखी होकर जिद पकड़ना, मदद न लेना, बात को नहीं मानना स्वाभिमान नहीं हो सकता |  आज अधिकतर लोग इसे स्वाभिमान का नाम देकर अपने आप को अहंकारी साबित कर रहे हैं यदि आप वास्तव में स्वाभिमानी बनना चाहते हैं तो पहले स्वाभिमान और अहंकार का अर्थ  समझें |  स्वाभिमान वह होता है जब हम किसी की बता को भले ही माने नहीं किसी की मदद भले ही न लें लेकिन उस बात को न मानने  के लिए किसी  को दोषी न ठहराएं, किसी का अहित करे बिना मदद को  विनम्रता से अस्वीकार करे  ठुकराए नहीं |  https://goo.gl/images/3SQfPA   परिस्थितियों और गलतियों के लिए किसी को दोषी नहीं ठहराएं दोष देना और न देना ही तय करता है की आप स्वाभिमानी हैं या अहंकारी |  यदि आप किसी भी बात को नहीं मानने  के लिए उसकी प्रतिक्रिया बिना लालच बिना  क्रोध बिना द्वेषता के विनम्रता से मन की ख़ुशी से देते  हैं तो यह आपका स्वाभिमान है |  यदि आप यही प्रतिक्रिया मन में जहर भरकर मन को दुखी करके दूसरों को आरोपी  बना देते हैं तो यह कभी स्वाभिमान नहीं हो सकता |  यही अहंकार कहलाता है ज

हम बच्चो को मत बहकाओ

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धर्म और आतंक की इस लड़ाई में एक बच्चे की पीड़ा जो कविता के जरिये  होली और ईद के त्योहारों में भाई चारे की उम्मीद जगाती है   हम तो होली मना रहे हैं रंगों और गुलालों की मेरे पापा खेल रहे हैं होली लहू के रंगों की                        https://goo.gl/images/c861jE पूछ रहा है एक ये बेटा उन आतंकी जल्लादों से  धर्मों को ऊंचा ले जाकर तुम कैसे उठ पाओगे ? फिर धर्मों की सीढ़ी चढ़कर कहाँ आकाश बनाओगे ? पैर जमीन पर रखकर ही तो सीढ़ी चढ़कर जाओगे ? बिखरे लहू के कतरे कतरे सीढ़ी कहाँ लगाओगे ? . https://goo.gl/images/bDqb74 त्योहारों का देश है मेरा सब धर्मों को  संदेश है  मेरा असलम मियां दोस्त है मेरा भानू  पंडित प्रिय है उसका मेरी होली नहीं मनी  तो क्या असलम खुश हो जायेगा? उसकी ईद नहीं मनी  तो मैं  कैसे खुश हो पाऊँगा? . https://goo.gl/images/HR3hxo मेरी गुजियों की खुशबू जब उसके घर को जाती है उसकी अम्मी सेवइँ लेकर मेरे घर पर आती है मेरी मम्मी उसकी अम्मी जब त्यौहार मनाती है दुनिया भर की सारी  खुशियां दोनों घर में आती है . https://goo.gl/images/9RX