जीवन के बुनियादी सबक

अक्सर लोग अपना जीवन गुस्सा, क्रोध ,लड़ाई- झगड़े , असंतुष्टि ,दोषारोपण में गुजार देते है और अपने आप को सही, सच्चा, ईमानदार तथा दूसरों  को गलत, झूठा, बेईमान साबित करते रहते है |  इसी उधेड़ बुन  में हंसना ,मुस्कुराना, मानवता, नैतिकता भूल कर सम्पूर्ण जीवन  दुःखों , कठिनाइयों, समस्याओं,  परेशानियों  के हवाले कर  निराशा ,हताशा को अपने मन में बैठा कर कुंठित होकर अच्छे भले जीवन की वाट लगा बैठते है|  हम अपने जीवन का आकलन तो कर नहीं पाते है  दुनिया के जीवन का आकलन करने में अपने   जीवन  को तोड़ मरोड़ कर निचोड़  देते है फिर सबसे खास बात  निचोड़ने के बाद हम उसकी  सलवटे भी नहीं देख पाते है |   ऐसे लोग दूसरो  को भी जीवन नहीं जीने देते है |  इसलिए यदि जीवन को सम्पूर्ण जीना चाहते है तो  अपने ऊपर पड़ी हुई सलवटे भी दूर करने की कोशिश करे  क्योँकि  हम अपना चेहरा खुद कभी नहीं देख सकते  वो हमे कोई दुसरा ही बता सकता है या फिर आईना |  अतः  जीवन के ये दस बुनियादी सबक याद रखें  इन पर अमल  कर पूर्वाग्रहों को दूर करे खुद जिए औरो को भी जीने दें |


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जीवन के बुनियादी सबक

1  सुख दुःख जीवन की एक प्रक्रिया है  |

2  जीवन में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिससे गलती ना हुई हो भगवान भी इससे अछूते नहीं है |

3  दुनिया में कोई भी इंसान ऐसा नहीं है  जिसने झूठ नहीं बोला हो |

4  यह भी जरूरी नहीं की जीत  हमेशा सच की हो |

5  ये भी कटु सत्य है जरूरी नहीं की  बुरे लोगों  के साथ बुरा ही हो और अच्छों  के साथ अच्छा ही हो  |

6  यह भी कटु सत्य है की विज्ञान चाहे कितनी भी उन्नति कर ले लेकिन ब्रह्माण्ड के नए नए रहस्य इंसान को

रोमांचित करते रहेंगे |

7  ये भी सच्चाई है की जीवन बहुत आसान है परन्तु हमारे अहम वहम  जीवन को कठिन बना देते है  |

8 ईर्ष्या, क्रोध, कुंठा , हठधर्मिता हिंसा   इंसान को मानवता  नैतिकता और इंसानियत दिखाने  से रोकती  है |


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9  इसके विपरीत विनम्रता, मुस्कुराहट ,प्रेम, भाईचारा  अहिंसा की पैरवी हर इंसान करता है  और इसकी अपेक्षा

  वह   दूसरों  से   अपने लिए महसूस करता है  | अपने को छोड़कर

10 अक्सर इंसान अपने अधिकारों के लिए  जागरूक होता है कर्तव्यों के लिये नहीं |


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