पैसा बहुत कुछ है परन्तु सब कुछ नहीं

 पैसा बहुत कुछ होता है  सब कुछ तो नहीं |  इस बात के समर्थन में लोग हामी जरूर भरते देखे जा सकते है लेकिन वास्तविकता इससे कुछ और ही है |  आज हर किसी के लिए पैसा सब कुछ ही हो  गया है  तभी तो लोग अपने फायदे के लिए रिश्ते नातों  तथा व्यवहारिकता को भूल कर दूसरों  को नुक्सान पहुंचाते  वक्त ये  साबित कर  देते है की पैसा ही सब कुछ है |  परन्तु ऐसी सोच रख कर  व्यक्ति  दूसरों  का तो  नुक्सान कर रहा है  अपना भी कोई फायदा नहीं कर रहा है |  जिस तरह से आप अपने फायदे के लिए किसी और को नुक्सान पहुंचा रहे  है उसी प्रकार कोई और अपने फायदे के लिए आपको नुक्सान पहुंचा रहा है  | और आप अपने आप को यह कह कर समझदार साबित करने में लगे हुए है कि पैसा  ही सब  कुछ है  |  यकीन मानिये ये आपकी बहुत बड़ी गलत फहमी है |   आप सिर्फ नुक्सान नुक्सान खेल रहे है |   क्योँकि  जो लोग पैसो का फायदा देखते है  वो सिर्फ अपने बैंक बेलेंस और धन सम्पदा के केलकुलेशन तक ही सीमित  रह जाते है    उन्हें तन और मन के फायदे नजर ही नहीं आते है |   जबकि वास्तव में आप  अपनी एसेट्स का सही आकलन करना चाहते है तो  अपनी गुडविल को भी उसमे शामिल करें   सिर्फ धन सम्पदा के आधार पर  आपकी वेल्यू नहीं आंकी  जा सकती |  
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 जिस तरह किसी भी व्यापार  की वेल्यू  का आंकलन करने के लिए  लाभ में उसकी गत वर्षो  की  गुडविल को भी शामिल किया जाता है     उसी प्रकार किसी भी मनुष्य की वेल्यू का आंकलन भी उसकी धन सम्पदा के साथ साथ उसकी गुडविल से लगाया जाता है    जो वक्त आने पर ही पता चलती है  उसके जीवन काल में उसका व्यवहार , स्वभाव, मानवीय दृष्टिकोण,  सामाजिकता , पारिवारिक जिम्मेदारियों  की  भूमिका  उसकी  गुडविल  के आंकलन करने में महत्वपूर्ण होती है और उसका स्वास्थ्य  भी उसकी बहुत बड़ी  गुडविल है    |  परन्तु व्यक्ति जीवन भर पैसे के पीछे दौड़ने में इन सबको भूल जाता है  | और अपनी धन सम्पत्ति  को बढ़ता हुआ देख देख कर  उसी  से ही अपनी  वेल्यू आँकता  रहता है |   उसकी असली वेल्यू तो अंत समय में पता चलती है जब कुछ  लोग उसकी धन सम्पदा के लिए  लड़ते झगड़ते है   या उस पर चर्चा करते है  | और कुछ लोग उसके व्यवहार, स्वभाव , मानवता , सामाजिकता का आंकलन करते है  |
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  यकीन कीजिये  धन सम्पत्ति  पर चर्चा करने वाले लोग उसकी जल्द से जल्द मैात की कामना करते है  लेकिन  व्यवहार, स्वभाव,  मानवता ,सामाजिकता का आंकलन करने  वाले लोग उसकी जिंदगी के लिए आंसू बहाते  है  |    तब यह बात  कही  जाती  है पैसा बहुत कुछ होता है  सब कुछ तो नहीं सब कुछ तो उसके कर्म पर ही निर्भर होता है | यदि लोग यह बात समझने लग जाए कि  पैसा बहुत कुछ है परन्तु सब कुछ नहीं  तो दुनिया की बहुत सी समस्याएं समाप्त हो जाए |   जिसमे सबसे बड़ी समस्या  जो आज महामारी का रूप ले चुकी है वह  है टेंशन   और स्वाथ्य   यदि परिवार में सुख शांति और बिना टेंशन के जीवन जीना चाहते है तो इस बात पर जरूर अमल करें  की पैसा बहुत कुछ है परन्तु सब कुछ नहीं |  

                                                                                      कोरोना 

                                                                  को   --------      कोई  दुकानदारो को 


                                                                  रो   ------------   रोको  टोको 

                                                                   ना -----------  



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