हर जगह कन्फूजन है सत्य से हर व्यक्ति अछूता है

जीवन में हर इंसान सत्य से अछूता है |   क्योंकि  अधिकतर  इंसान यह मानकर चलता   है की सच तो सिर्फ मैं  बोल रहा हूँ   | दूसरे चाहे कितने ही सच्चे हो हम उनकी सच्चाई  जानने  में कोई रूचि ही नहीं लेते है  | लेकिन  अक्सर अपने स्वार्थ के लिए  हम दूसरों  को सुने बिना समझे बिना   या सिर्फ इसलिए कि  वह हमारा नजदीकी है या रिश्तेदार है  उसकी बातों  कि  सच्चाई  जाने बिना भीड़ का हिस्सा बन  जाते है |   जो सच और झूठ  की हकीकत ही सामने नहीं  आने देते है |   दुनिया में  कई  मुद्दे  आज भी ऐसे है जिनकी सच्चाइयों  तक  पहुंच पाना इसलिए मुश्किल होता है कि  सच्चाई से ध्यान भटकाने के लिए चार ऐसे मुद्दे और उछाल दिए जाते है  जो पहले  वाले मुद्दे से ध्यान हटाने पर मजबूर कर दे  |
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  आज देश की  पॉलिटिक्स में  यही हो रहा है  |  देश से किसी को कोई मतलब नहीं चाहे कोई कितना ही सच्चा हो कितना ही अच्छा हो  विरोधियों  को बाल की खाल निकालकर सच को झूठ  और झूठ को सच  बताकर जनता को गुमराह करना है |   बेचारी भोली भाली जनता इस आस में, इस उम्मीद में की कोई तो सच बोले, कोई तो उनका साथ दे, कभी इस पलड़े  में जाती है कभी उस पलड़े में |  कभी इस राजनैतिक दल  की बात को सही मानती है कभी उसकी  |  लेकिन सभी राजनैतिक दल अपने आप को  सही साबित करने में अपनी अपनी  पूरी ताकत लगा देते है चाहे  बात सही हो या गलत हो   जैसे ही कोई सच्चाई तक पहुंचना  चाहता है उससे पहले ही कोई नया मुद्दा  जनता के सामने लाकर छोड़ देते है |
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  भोली भाली  जनता  को वो  मुद्दे  लड्डुओं  की तरह दिखाई देते है  जिन्हे वो खाना भी चाहती है  परन्तु इतने सारे लड्डू देखकर वह सोचती है की किस लड्डू को खाऊं  |  बड़ा, छोटा, अच्छा, खराब  कोई मुहं के पास कोई मुहं से दूर  भूख भी लगी होती है  तो  जो हाथ लग जाता है उसे ही खा लेती है  |  जब सत्य पता चलता है  तो मलाल होता है गलत लड्डू खा लिया |   इससे तो दूसरा वाला  खा लेते तो अच्छा था |   बाकि  के  लड्डुओं के सत्य से अछूते रह कर  आने वाले पॉँच  सालों  या आने वाले मुद्दों पर सावधानी बरतने  और सत्यता  जानने के लिए फिर इन्तजार  |  यही अनुभव  इंसान को  सामाजिक ,पारिवारिक जीवन में भी हो रहे है वहां भी  हर मुद्दे राजनैतिक हो गए है |  जिनकी सच्चाई तक पहुंच पाना बहुत ही कठिन हो गया है  यही वजह है की  आज अधिकतर  लोग सामाजिक, पारिवारिक और राजनैतिक रूप से अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है  क्योंकि  हर जगह कन्फूजन है सत्य से हर व्यक्ति अछूता है  | 

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