इंसानो को तलाशे नहीं बल्कि जो मिलें उन्हें तराशें life mantra

इंसानो को तलाशे नहीं बल्कि जो मिलें उन्हें तराशें life mantra

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हर व्यक्ति कुछ-न-कुछ तलाश रहा है| कोई सुख की तलाश में है, कोई पैसे की, किसी को ईमानदार लोगों की तलाश है किसी को अच्छे दोस्तों की, कोई भगवान की तलाश में है, कोई भक्तों की, किसी को छाया की तलाश है, किसी को धूप की, मालिक को तलाश है अच्छे कर्मचारियों की, कर्मचारियों को तलाश होती है अच्छे मालिक की, लड़के को अच्छी लड़की की तलाश है, लड़की को अच्छे लड़के की, मां बाप को बच्चों के भविष्य की तलाश है, जनता को अच्छे नेता की तलाश है, नेताओं को अच्छे कार्यकर्ता की| लिस्ट इतनी लंबी है कि सारी उम्र हम तलाश में ही निकाल देते हैं| लेकिन हमारी तलाश जारी ही रहती है | कभी पूरी ही नहीं हो पाती है | तलाशने की जगह हम यदि तराशने का कार्य करें तो कुछ हद तक हम इस तलाश की समस्या का हल ढूंढ सकते हैं |

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इंसानो को तलाशे नहीं बल्कि जो मिलें उन्हें तराशें  life mantra 
सास - बहू को तराशे बहु - सास को, पति - पत्नी को तराशे पत्नी - पति को, नौकर - मालिक को तराशे मालिक - नौकर को , जनता - नेता को तराशे नेता - जनता को | जब एक मूर्तिकार पत्थर को तराश कर ना जाने क्या- क्या सुंदर आकार दे देता है तो क्या हम इंसानों को तराशकर उन्हें आकर नहीं दे सकते ? किन - किन बातों के लिए हम कानून की तलाश करेंगे ? लोगों को तराशने के लिए नए - नए कानून बनाने पड़ते हैं| कितने कानूनों की किताबें लिखी जाएगी ? कब तक धाराएं जोड़ेंगे कानून की ? सवाल यह है की कानून की किताबों में स्त्री - पुरुषों के संबंधों पर किन - किन बातों के लिए कितनी धाराएँ जोड़ेंगे ? और स्त्री के पक्ष में जोड़ेंगे या पुरुष के ? पति - पत्नी के संबंधों पर किन - किन बातों के लिए कानून बनेंगें ? पति के पक्ष में बनेंगें या पत्नी के पक्ष में ? सास - बहू के किन-किन झगड़ों में क्या-क्या धाराएं होंगी ? सास के पक्ष में होंगी या बहू के ? माँ - बाप और बच्चों के लिए किन-किन बातों के लिए कानून बनेंगे ? बच्चों के पक्ष में बनेंगें या माँ - बाप के ?

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इंसानो को तलाशे नहीं बल्कि जो मिलें उन्हें तराशें  life mantra 
रिश्तों को यदि क़ानूनी प्रक्रिया से चलाया जाए तो क्या ऐसे रिश्ते ज़िंदा रहेंगे ? और जब रिश्ते ही नहीं रहेंगें तो जीवन कितना नीरस होगा ?जीना कितना मुश्किल होगा ? सोच कर देखें कब तक जारी रखेंगें रिश्तों को तलाशना ? तलाशते - तलाशते थक जाएंगे क़ानूनी शिकंजों में पशु पक्षियों की तरह पिंजरें में कैद हो जाएंगे| उड़ना चाहेंगें खुले आसमान में लेकिन उड़ नहीं पाएंगें इसलिए तलाश जारी रखने की बजाय तराशने का काम करें रिश्तों को मधुर बनाने का सबसे आसान उपाय यही है |

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