तलाश एक अच्छे इंसान की- - यदि हम अच्छे इंसान की तलाश में है तो पहले खुद से सवाल करें हम कितने अच्छे हैं life mantra

हर व्यक्ति अच्छे इंसान की  तलाश में  है। लड़की  चाहती है उसका होने वाला पति अच्छा इंसान हो। लड़का  चाहता है उसकी  होने वाली पत्नी एक अच्छी इंसान हो। नौकर चाहता है मालिक अच्छा इंसान हो। मालिक चाहता है नौकर अच्छा इंसान हो। मां बाप चाहते हैं उनके बच्चे बड़े होकर अच्छा इंसान बने। पडौसी चाहता है उसका पडौसी अच्छा इंसान हो। इस हिसाब से हर कोई दुनिया में अच्छा इंसान  ढूंढ रहा है। लेकिन हर किसी के मुंह से सुना जा  सकता है कि  "आजकल अच्छे इंसान  मिलते कहाँ  हैं?" तो क्या भगवान ने अच्छे इंसान बनाने  ही बंद कर दिए  है? लेकिन ऐसा शायद नहीं है ।भगवान तो सभी को एक जैसा इंसान बना कर भेजते हैं। लेकिन जैसे ही वह दुनिया में आकर जमीन पर कदम रखता है, वह बदलने लगता है। वह गिरगिट की तरह जीवन भर रंग बदलता रहता है।
 
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कारण एक ही है हम इतने स्वार्थी हो चुके हैं कि हम खुद नहीं चाहते कि कोई अच्छा इंसान इस धरती पर आए और अच्छे काम करें अच्छी बातें करें समाज का भला सोचे जैसे ही हमें लगता है, कि कोई अच्छा इंसान इस धरती पर आ चुका है, उसका अच्छा नाम हो रहा है, वह लोगों के दुख दर्द में शामिल हो रहा है। हम इस उधेड़ बुन में लग जाते हैं कि उसे किस तरह से रास्ते से हटाया जाए कुछ तो अपना स्वार्थ उसे चने के पेड़ पर चढ़ा कर पूरा कर लेते हैं। जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी नहीं टूटे कुछ लोग लोगों की गालियों से डर कर ही अपनी अच्छाई का चोला उतार कर रख देते हैं। कुछ लोग जो हिम्मत वाले और स्वाभिमानी होते हैं वह अपराधियों की गोलियों का शिकार हो जाते हैं |
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कुछ लोग हताश और निराश होकर चुप बैठने में समझदारी समझते हैं और अच्छा इंसान बनने की जगह वह एक इंसान की जिंदगी जीना पसंद करते हैं। बचे-खुचे अच्छे इंसान भी इस दुनिया की चमक दमक और भौतिक सुख-सुविधाओं की लालसा में अपने अच्छे इंसान का लेवल हटा चुके होते हैं । दोस्तों जब कोई नया बिजनेस शुरु करता है तो वह इमानदारी से शुरु करता है बेईमानी करना उसे धीरे धीरे हम सिखाते हैं। हम उसके सामने परिस्थिति पैदा करते हैं और उसे ही समाज में चले आ रहे वर्षों पुराने नुस्खों से समय-समय पर अवगत कराते रहते हैं और उसे भी उसी केटेगरी में शामिल करवा देते हैं।



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दोस्तों भगवान ने हमें शरीर दिया है, हाथ पैर दिए हैं, दिमाग दिया है। यह सभी के पास पैदा होते समय एक जैसा होता है, फर्क सिर्फ यही है कि कुछ लोग इसे सकारात्मक कार्यों में लगाते हैं, और कुछ इसे दुनिया की चमक दमक और भौतिक सुख-सुविधाओं को हासिल करने में। यदि हम अच्छे इंसान की तलाश में है तो पहले खुद से सवाल करें हम कितने अच्छे हैं। जवाब शायद यह एक ही होगा दुनिया का सबसे अच्छा इंसान तो मैं ही हूं। जब हर व्यक्ति अपने आपको अच्छा इंसान मान रहा है तो इसका मतलब  सारी दुनिया अच्छे इंसानों से भरी पड़ी है। लेकिन फिर भी हर कोई  कटोरा लेकर अच्छे इंसान को   ढूंढ रहा   है क्यों  जरूर सोचिये ?  

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