तालियाँ प्रशंसा का प्रतीक होती है, तालियों की आवाज़ आपके कद्रदानों की संख्या निर्धारित करती है

                                         दूसरो की प्रशंसा करना आसान काम नहीं  है  |
                 आज के युग में दूसरो की सच्ची प्रशंसा करने के लिए मजबूत दिल गुर्दे चाहिए|
                                      झूठी प्रशंसा तो कमजोर दिल वाले भी कर लेते है | 

 हर कोई अपने काम पर तालियाँ बजवाना   चाहता है। बजवाना  भी चाहिएे तालियाँ प्रशंसा का प्रतीक होती है, तालियों की आवाज़ आपके कद्रदानों की संख्या निर्धारित करती है। तालियाँ हमें खुशी प्रदान करती है। ताली बजाने का एक वैज्ञानिक कारण भी है तालियाँ  हमारे शरीर को स्वस्थ रखती है। इसलिए तालियाँ सिर्फ बजवाना ही नही बल्कि बजाना भी चाहिए आज हम सिर्फ ताली बजवाना चाहते हैं बजाना नही, हम यह बर्दाश्त नही करते की कोई दूसरों के लिए भी ताली बजाए, हम यह भूल जाते हैं कि जब हम दूसरों के लिए ताली बजाएेंगे तब हमें अपने लिए भी मिलेगी।

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  याद रखें ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है। इसलिए ताली कभी भी बजाएं दिल से बजाएं दूसरों की प्रशंसा करें तो दिल से करें और जब आप दूसरों की प्रशंसा दिल से करेंगे तो आप को भी प्रशंसा दिल से मिलेगी|  और जब आप ताली दूसरों के लिए बजाएेंगे और दूसरे आप के लिए तो ताली दोनों हाथों से बजेगी चारों ओर तालियों की गूंज होगी सारा वातावरण मंगलमय होगा। एक दूसरे से हमदर्दी होगी परिवार में खुशहाली होगी सभी प्रसन्न चित्त होंगे कहीं कोई दुखी नही होगा |  और जब दुख नही होगा तो हम स्वस्थ रहेंगे।
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 हम शारीरिक मानसिक और आर्थिक रुप से सम्पन्न होंगे। हम सम्पन्न होंगे तो परिवार सम्पन्न होगा , पड़ोसी सम्पन्न होंगे , मोहल्ला सम्पन्न होगा और गॉव सम्पन्न होगा तो देश सम्पन्न होगा|  है न कितना आसान काम है ? चाहता हर कोई यही है लेकिन करना कोई नही चाहता क्योकि दूसरों के लिए ताली बजाना इतना आसान नही होता|  और हम आसान काम करना भी नही चाहते क्योंकि हमें तो बचपन से ही सिखाया जाता है do hard work काम चाहे आसान हो या कठिन हो हम दोनो ही नही करते हैं आसान काम हम यह कहकर छोड़ देते हैं ये तो बहुत आसान है चुटकियों में कर दूंगा और कठिन काम करने में हमें नानी याद आ जाती है और हम कह देते हैं यह तो बहुत कठिन है मेरे बस का नही है।
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                                        हम अपने आप को सुधारना नही चाहते जो बहुत आसान है लेकिन बात दुनिया सुधारने की करते हैं जो बहुत कठिन है कर दोनो ही नही पाते हैं यदि हम दोनो ही करना चाहते हैं तो मन की गॉठों को खोलना पड़ेगा हमारी आॅखों पर जो जाले पड़े हुए हैं उन्हे हटाना होगा छोटी - छोटी बातों पर बड़ी - बड़ी लड़ाईयां  बन्द करनी होगी फिर देखो चारों ओर तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई देगी । और यही तालियों का चमत्कार होगा | किसी ने  कहा है 
                                    " तालियाँ वो नही बजाते जिन्हें कोई गम होता है

                                    तालियाँ तो वो बजाते हैं जिनके हाथों में दम होता है "

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