क्या आप जीते जी लेना चाहतें हैं स्वर्ग का आनंद ?

स्वर्ग नर्क की हम सिर्फ बातें करतें हैं ऐसा कहा जाता है जो जीवन में अच्छे कर्म करता है वह मरने के बाद स्वर्ग में जाता है और जो बुरे कर्म करता है उसे मरने के बाद नर्क नसीब होता है | प्रश्न दिमाग में बहुत सरे होतें हैं | 

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क्या स्वर्ग नर्क सिर्फ कर्मों का फल होता है ? क्या स्वर्ग नर्क नसीब पर निर्भर करता है ? मरने के बाद हर व्यक्ति स्वर्ग में जाना चाहता है | ऐसा मरने के बाद ही क्यों सोचा जाता है ? क्या जीते जी स्वर्ग की कामना नहीं की जा सकती ? जिस स्वर्ग के आनंद को हम मरणोपरांत भोगना चाहतें हैं क्या हम उस स्वर्ग के आनंद को जीते जी नहीं भोग सकतें है ?

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 हर वो पल जो हमे खुशियां देता है हमारे मन को प्रसन्नता देता है जिन बातों से हमारा मन बल्लियों उछालना चाहता है यह सब कुछ स्वर्ग का आनंद ही है | जब हमारा मन उदास होता है ,दुखी होता है, मायूस होता है, जिस बात से हमे जीवन जहर के समान लगने लगता है यह नर्क भोगना ही होता है | 

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 वास्तव में स्वर्ग और नर्क का एह्सास करना चाहतें हैं तो उस समय करके देखे जब आपका मन खुद भी प्रसन्न होता है और दूसरों को भी प्रसन्नता देता है | इससे बड़ा स्वर्ग का एहसास शायद ही और कोई हो | नर्क के लिए भी अपने और दूसरों के मन को टटोल कर देखना होगा | जब हमारा मन दुखी होता है और हमारी वजह से दूसरों का मन दुखी होता है | ये दोनों बातें हमे नर्क के द्वार की पहचान कराती है | मरणोपरांत स्वर्ग भोगने से अच्छा है हम जीते जी खुद प्रसन्न रहकर और दूसरों को ख़ुशी देकर स्वर्ग का आनंद प्राप्त करें | 



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