परिवार और समाज की खुशहाली के लिए है यह छोटा सा मंत्र

                                             परिवार और समाज  की खुशहाली के लिए 
                         अधिकारों के साथ साथ कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक होना जरूरी है
                   यह छोटा सा मंत्र बेवजह के तनाव को कम ही नहीं बहुत कम  कर  सकता है  


    लड़ाइयां हमेशा अधिकारों के लिए लड़ी जाती है | कर्तव्यों की जब बात आती है तो हम बगलें झाकने लगते हैं |  अधिकारों को हांसिल करने के लिए उन्हें लेने के लिए हमेशा लाइन लम्बी नज़र आती है | अधिकारों के प्रति   जानकारी हम तुरंत इकट्ठी करना चाहते हैं  |  जितना हम अधिकारों के प्रति जागरूक होते हैं कर्तव्यों के प्रति भी क्या हमे इतना जागरूक होने की आवश्यकता नहीं है ?  क्या कभी कर्तव्यों के बारे में किसी को सलाह मांगते देखा  है ? क्या जिस तरह अधिकारों की लड़ाई के लिए भीड़ इकट्ठी होती  कभी कर्तव्यों की लड़ाई के लिए भी ऐसी भीड़ इकट्ठी होती देखी है ?
 वो इसलिए नहीं की हम चाहते है  भगत  सिंह भी पैदा हो तो दूसरों के घरों में | कर्तव्यों की लड़ाई लड़ने के लिए सत्य अहिंसा पर चलकर  गाँधी बनना पड़ता है |  महाराणा प्रताप की तरह जंगलों की ख़ाक छाननी  पड़ती है |  घांस की रोटी तक अपने  बच्चो को खिलानी पड़ती है  | सरदार वल्लभ भाई पटेल की तरह लोगों को एकजुट कर एकीकरण करना पड़ता है |  पन्ना धाय बन त्याग बलिदान और देशभक्ति की मिसाल पेश करनी पड़ती है |  कृष्ण के उपदेशों को समझना पड़ता है  |  गीता ,रामायण, कुरान, बाइबल, गुरु ग्रन्थ तथा वेद पुराणों के अध्ययन करने पड़ते है|  सभी धर्मों को समान आदर देना पड़ता है |  श्रवण कुमार की  तरह माता पिता की सेवा करनी पड़ती है  घबराइये  मत हमें  इतना सब करने की जरूरत नहीं है | लेकिन कुछ तो हम कर ही सकते है 
| माना की  इतना सब कुछ आज के इस युग में संभव नहीं है | लेकिन हम  हमारे परिवार और समाज  के प्रति  साधारण कर्तव्य तो पूरे कर ही सकते हैं | उसके लिए हमे सिर्फ अपने गुस्से पर काबू  पाना है |  बुजुर्गों  और माता पिता को पूर्ण सम्मान देना है | सच्चाई को स्वीकारना सीखना है | समाधान का हिस्सा बनना है |  प्रेम और वासना में फर्क समझना है |  पैसे का दुरूपयोग  रोकना है|  नशीले पदार्थों से दूरी बनानी है |  बिजली पानी पर्यावरण के प्रति जागरूक होना है|  मोबाइल इंटरनेट के प्रयोग में सावधानी बरतनी है |  पुरुषों को स्त्रियों के साथ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठानी है|  स्त्रियों को अपनी स्वतंत्रता का   यूज करना  आना चाहिए मिसयूज नहीं |  यदि हम हमारेअधिकारों के साथ - साथ थोड़ा सा अमल हमारे कर्तव्यों पर भी कर ले तो इस छोटे से मंत्र से  अपने  छोटे से परिवार को स्वस्थ और खुशहाल रखा जा सकता है |  बेवजह के तनाव को कम ही नहीं बहुत कम  किया जा सकता है | और इन सबके लिए तो शायद हमें महापुरुष बनने की भी जरूरत नहीं  है|  ये सब कुछ तो हम एक साधारण इंसान के रूप में भी कर सकते है सोच कर देखें | 

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