लोगों से लड़ने से नहीं बल्कि परिस्थितियों का मुकाबला करने से बदलती है परिस्थितियां
लोगों से लड़ने से नहीं बल्कि परिस्थितियों का मुकाबला करने से बदलती है परिस्थितियां
अक्सर लोग हर परिस्थिति का अपने पक्ष में होने का इंतज़ार करते हैं | इसी इंतज़ार में जीवन बिना जीए ही गुज़र देतें हैं | हर समाधान जैसा हम चाहतें हैं वैसा नहीं हो सकता | इच्छाएं हमारी अनंत होती है हर इच्छा पूर्ण नहीं हो सकती | सपने हम बहुत देखतें हैं हर सपना पूर्ण नहीं हो सकता यदि हम हर चीज़ अपने अनुसार चाहतें हैं तो इंतज़ार करना आवश्यक है |
अक्सर लोग हर परिस्थिति का अपने पक्ष में होने का इंतज़ार करते हैं | इसी इंतज़ार में जीवन बिना जीए ही गुज़र देतें हैं | हर समाधान जैसा हम चाहतें हैं वैसा नहीं हो सकता | इच्छाएं हमारी अनंत होती है हर इच्छा पूर्ण नहीं हो सकती | सपने हम बहुत देखतें हैं हर सपना पूर्ण नहीं हो सकता यदि हम हर चीज़ अपने अनुसार चाहतें हैं तो इंतज़ार करना आवश्यक है |
और इंतज़ार करने के लिए धैर्य रखना आवश्यक है | समस्या यह होती है कि हम इंतज़ार तो करना चाहतें हैं लेकिन बिना धैर्य के | धैर्य रखकर परिस्थितियों को अपने पक्ष में बनाने से एक न एक दिन इंतज़ार अवश्य ख़त्म हो सकता है | परिस्थितियों को अपने पक्ष में बनाने के लिए प्रयास करना आवश्यक होता है | हम गलती यह करतें हैं की परिस्थिति को पक्ष में बनने का भी इंतज़ार करतें हैं |जबकि परिस्थिति को पक्ष में बनाने का प्रयास हमें करना चाहिए वह हम करतें नहीं हैं |
कैसे करें परिस्थितियों को पक्ष में
सोच का परिस्थितियों के पक्ष में होने और न होने में महत्वपूर्ण योगदान होता है | सिर्फ हमारी सकारात्मकहमारी सोच से हम परिस्थितियों को पक्ष में कर सकतें हैं | हम सोच को नकारात्मक रखकर परिस्थितियां कभी नहीं बदल सकते | गलतियों को सुधारकर हम परिस्थितियों को पक्ष में कर सकतें हैं |जो लोग गलतियाँ मानने को ही तैयार नहीं होतें हैं वो उनमे सुधार नहीं कर सकते | परिस्थितियों को पक्ष में करने का सबसे आसान तरीका है की हम न तो परिस्थितियों से लडे न हीं लोगों से बल्कि उनका स्वागत हँसकर मुस्कुराकर स्वस्थ मन से मुकाबला करके करें परिस्थितियां खुदबखुद हँसती हुई बदल जाएंगी |
परिस्थितियों से मुकाबला करने के लिए हमें लोगों से लड़ने की ज़रुरत नहीं होती | गलती हम यही करतें हैं मुकाबला हम परिस्थितियों से करने निकलते हैं और लड़ाई लोगों से करने लगतें हैं | जो लोग परिस्थितियों से मुकाबला करतें हैं वो जीवन को पूरा जीते हैं और ऐसे लोगों को दुनिया हमेशा याद करती है | और जो लोग परिस्थतियों की जगह लोगों से लड़ने में अपना जीवन गुज़ाए देतें हैं वो न खुद जी पाते हैं न दूसरों को जीने देतें हैं | ऐसे लोग अपने जीवन के किसी भी पल को नहीं जी पाते हैं न परिस्थितियों को बदल पाते हैं न खुद बदल पाते हैं |
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