आज के इस आधुनिकरण से ज़िंदगियाँ जहाँ रंगीन बन रही है वही रंगहींन भी हो रही है | कुछ पल, कुछ समय ,कुछ दिनों लिए ज़िंदगी रंगीन लगने लगती है लेकिन कुछ ही पलों, कुछ ही समय, कुछ ही दिनों में वही रंगीनियां फीकी पड कर रंगहीन हो जाती है | ज़िंदगी के उतरने और चढ़ने का आभास यह तेज भागती , दौड़ती, इठलाती ,बलखाती ज़िंदगी हमे करा ही देती है | वजह है की इस आधुनिक युग में सही गलत का अंदाज लगा पाना बड़ा मुश्किल सा लगने लगा है | अच्छे बुरे की पहचान करने में असमंजस हो गया है | एक पल के लिए कुछ अच्छा लगने लगता है अगले ही पल वही बुरा लगने लग जाता है , गलत लगने लग जाता है | वास्तव में रफ़्तार तेज करने के चक्कर में हम आगे पीछे तथा आस पास देखना भूल जाते हैं | https://images.app.goo.gl/Tj6YLcXP1jTqNY3Z8 सब कुछ इतना तेजी से चल रहा है की आगे निकलने के बाद उसी तेजी से हम पीछे नहीं आ पा रहे हैं | क्योंकि पीछे की भीड़ ने पीछे मुड़ने के रस्ते को ब्लॉक कर दिया है इसलिए चाहकर भी हम मुड नह...
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