सिक्के के पहलुओं का जीवन में क्या है महत्व ? जानिए

सिक्के के पहलू


हर सिक्के के दो पहलू होते हैं| लेकिन हमारी नजर सिर्फ एक पहलू पर पड़ती है| जब तक हम उसे पलट कर नहीं देखेंगे हम पता नहीं कर पाएंगे , दूसरी ओर क्या लिखा है | अक्सर जीवन में हम यही करते हैं| हम सिर्फ एक तरफ के हिस्से को ही देखते हैं और उसी आधार पर सारे निर्णय ले लेते हैं| दूसरे पहलू को नजरअंदाज करने से हमारे फैसले प्रभावित होते हैं | हमारी राय प्रभावित होती है| जो व्यक्ति गुनहगार नहीं है वह गुनहगार साबित हो जाता है| और जो गुनहगार है वह आसानी से बरी हो जाता है इसलिए हमारी नज़र सिक्के के दोनों पहलुओं पर होनी चाहिए | जो चीज हमें नजर नहीं आ रही है, उसे नजर में लाने के लिए भगवान ने हमें शरीर के अंग दिये है| आंखों से हम देख सकते हें , कानों से हम सुन सकते हैं, जुबान से हम बोल सकते हैं, दिमाग से विचार कर सकते हैं सोच सकते हैं| लेकिन इन प्रकृति प्रद्दत अंगों का उपयोग भी हम सही तरीके से नहीं करते हैं | दुनिया में अधिकतर समस्याएँ हमारे इन अंगों के सही उपयोग नहीं करने की वज़ह से पैदा होती हे |
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जो चीज़ हम देख रहें हैं वह हम बोल सही नहीं रहें हे | जो हम सुन रहे हैं वह देख सही नहीं रहे हैं| जो हम सोच रहे हैं वो लिख सही नहीं रहे हैं जो हम कर रहे हैं उस पर चल सही नहीं रहे हैं| यही नजरिया हमने दोनों पहुलओं को नहीं देखने की वजह से बिगाड़ रखा है| और सुधारना हम दूसरों को चाहते हैं| यदि हम दूसरों को सुधारना चाहते हैं तो हमें पहले अपने नज़रिये से दोनों पहलू देखनें होंगे| और उसे तर्कसंगत बनाना होगा| तब हम दूसरों की बात कर सकते हैं जो व्यक्ति चिल्ला - चिल्लाकर अपने नज़रिये को प्रदर्शित करता है उसे हम ज्यादा महत्व दे देते हैं| जो व्यक्ति अपनी बात सादगी और विनम्रता से आप तक पहुंचाना चाहता है उसे हम सुनना भी पसंद नहीं करते| यही कारण है कि जब लोगों का गुस्सा फूटता है तो हम उसे उग्रवाद का नाम दे देते हैं|
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यह उग्रवाद उस नजरिए का परिणाम बन जाता है जिसे हमने विनम्रता से नहीं सुना| हिंसा, क्रोध, गुस्सा, उग्रवाद, आतंकवाद किसी भी समस्या का उचित समाधान नहीं है लेकिन जब विनम्रता, शांति, अहिंसा, आशावाद की हदें समाप्त हो जाती है तो हिंसा, क्रोध, गुस्सा पनपता है और इसके परिणाम सारी दुनिया के लिए खतरनाक होते हैं इसलिए हर व्यक्ति को अपना नजरिया बदलना चाहिए| सच - झूठ, हार-जीत, आशा-निराशा, सफलता - असफलता, लाभ- हानि, अच्छा- बुरा के परिणामों के दोनों पहलुओं को देख कर, सुन कर, सोच कर, समीक्षा कर कुंठाओं को त्याग कर खुले दिल से क्रोध, हिंसा को मन से निकालकर सामाजिक हित में अपने विचार व्यक्त करें, सिक्के के दोनों पहलुओं को देखकर समाज को हिंसा, उग्रवाद , आतंकवाद से परे रखें|
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