जीवन और सिनेमा

 सिनेमा यानी फिल्म हमारे समाज का आईना होती है हमारे समाज में फैली हुई बुराइयों कुरीतियों को हम तक पहुंचाने का प्रयास करती है लेकिन आजकल हम फिल्में सिर्फ मनोरंजन की दृष्टि से देखते हैं यह बात सही है की फिल्में हमारा मनोरंजन करती है लेकिन फिल्मों को हमें सिर्फ मनोरंजन की दृष्टि से ही नहीं देखना चाहिए फिल्मों के माध्यम से हमें संदेश मिलता है सिनेमा में अभिनित हर किरदार का अपना महत्व होता है फिल्मों के माध्यम से आदर्श पति पत्नी बन सकते हैं कई फिल्मों में बच्चों के किरदार इतने सशक्त होते हैं , कि एेसे बच्चे यदि असल जीवन में हो तो  माँ बाप का जीवन सार्थक हो जाए जाता है एक आदर्श बहू अपने पूरे परिवार का दिल जीत लेती है एक आदर्श सास अपनी बहू को बेटी का दर्जा देकर पूरे परिवार का सर गर्व से ऊंचा कर देती है । कई फिल्मों में दोस्ती की मिसालें दी गई है भाई बहन ननंद भोजाई के रिश्ते में कड़वाहट  व मिठास भी कई फिल्मों में पेश की गई है भाभी का देवर के प्रति स्नेह और देवर की भाभी के प्रति श्रद्धा को कैमरे में कैद कर आम जनता तक पहुंचाना कोई आसान काम नहीं है पारिवारिक झगड़ा सामाजिक राजनीतिक मुद्दें भी फिल्मों के माध्यम से हम तक पहुंचाते हैं ।खलनायक की करतूतों से समाज में छिपे भेड़ियों से हम अवगत होते हैं। किस तरह लोगों की महत्वकांक्षाएं पल्लवित होती है, और उसके लिए वह गुनाहों की पराकाष्ठाओं को भी पार कर जाते हैं लोगों के चरित्र चाल-चलन नैतिक अनैतिक अच्छे बुरे कर्मों का चिठ्ठा भी चल चित्रों के द्वारा हम तक पहुंचता है दुख करुणा हास्य प्रेम क्रोध के भावों को पर्दे  पर जीवन्त कर हम तक पहुंचाने की कला हर किसी में नहीं होती। इसके लिए हमें कलाकारों का आभारी होना चाहिए जो जीवन की सच्चाई को कहानी के माध्यम से हम तक पहुंचाते हैं और समाज की सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाने का कार्य करते हैं।

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