जीवन से तनाव दूर कैसे करें

                              

जब हम किसी के प्रति एक बार कुण्ठा पाल लेते हैं , तो अधिकतर हम उस के विपरीत जाने की कोशिश करते हैं और एक दूसरे के विरोधी बन जाते हैं। और फिर हम जान बूझकर एक दूसरे को नीचा दिखाने के उद्देश्य से ऐसे मुकाम पर पहुंच जाते हैं, जहां सारी हदें ताक पर रख देते हैं, हमें ना हमारे नफे नुकसान की चिंता होती है, न ओरों के, ना हमें हमारी प्रतिष्ठा की चिंता होती है, ना दूसरों की । मर्यादा की सीमाएें खत्म हो जाती हैं। एक दूसरे के अच्छे बुरे परिणाम हम भूल जाते हैं। अतीत में हमने एक दूसरे के लिए  चाहे अपनी जान की बाजी लगा दी हो लेकिन हम अब एक दूसरे के परंपरागत विरोधी के रूप में पहचाने जाने लगे हैं।

                                हमारे कई और विरोधी भी इस युद्ध का भरपूर आनंद लेने लगे हैं जिसके परिणाम कभी भी सही नहीं आ सकते और जब तक हम यह बात समझते हैं तब तक काफी देर हो चुकी होती है। दोस्ती दुश्मनी में बदल जाती है, इमानदारी बेईमानी बन जाती है, अच्छाइयां बुराइयां हो जाती है, विश्वास अविश्वास का रूप ले लेता है, रिश्ते नाते बदल जाते हैं, सफलता असफलता में बदल जाती है, मानसिक तनाव बढ़ जाता है, अपने भी पराये होने लगते हैं, स्वास्थ्य पर भी इसका असर  देखा जा सकता है, सच झूठ का सिलसिला शुरू हो जाता है ,खुशियां गम में बदल जाती है सही  सलाह गलत लगने लगती है।
 
                                  इसीलिए कहा जाता है सोच समझकर बोलें, सोच समझकर निर्णय लें, जो भी करें सोच समझ कर करें ताकि एक दूसरे से मतभेद ना हो, यदि कभी ऐसा होता भी है तो  तालमेल  बनाने की कोशिश करें, बेवजह छोटी - छोटी बातों को तूल नहीं दे । यह जीवन बहुत मुश्किल से मिला है खुद भी हंसी खुशी से जीए और दूसरों को भी हंसी खुशी से जीने दे अपने स्वास्थ्य का मुफ्त  इलाज है खुश रहे खुश रखे कुंठा पालकर नहीं बैठे ।

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