लेख - जन्म

                          जन्म

मनुष्य जन्म लेता है अपना परिवार बनाता है सामाजिक रीति रिवाजों को निभाता है और 65-70 वर्ष (औसत आयु ) अपना जीवन यापन करता है और दुनिया से विदा ले लेता है।
इस दौर में अच्छा बुरा समय उसके साथ आता है अच्छे बुरे लोग उसे मिलते हैं,अच्छे बुरे कर्म वह करता है। लेकिन मरते दम तक उसकी इच्छाएें अधूरी रह जाती है । जो वह चाहता है पूरा नही हो पाता अपने सारे सपनों को वह अधूरा छोड़ कर चला जाता है । बहुत कम लोग होते है जो अपने जीवन षे संतुष्ट पाते हैं ।
यदि हम अपने जन्म को सफल बनाना चाहते हैं तो हमें 'खुद जियो ओरों को भी जीने दो' का सिद्धांत अपनाना होगा । नाम, शोहरत और पैसा कमा लेना ही जीवन की सफलता नही है । सफलता इसमें नही है कि आप कितने खुश हैं बल्कि आपसे कितने लोग खुश हैं । जो लोग नाम, पैसा या शोहरत कमाने के लिए एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं । एक दूसरे को परेशानी में डालते हैं । एक दूसरे का अपमान करते हैं । वे सफल होते हुए भी किसी ना किसी मोड़ पर असफल हो जाते हैं।
यदि अपने जन्म को सफल बनाना चाहते हैं तो दिलों से नफरत निकालने का प्रयास करें अपने आस-पास के माहौल को खुशनुमा बनाने का प्रयास करें, आग लगाने का काम नही करें आग बुझाने के उपाय ढूंढें समस्याएें बढा़ने की जगह समस्याओं के निदान पर बात करें हठ धर्मिता छोड़ें अपने स्वभाव को पत्थर नहीं बनाऐं सिद्धांतों में लचीलापन रखें समन्यवादी बनें। घांस की तरह अपने आप को झुकना सिखाएें ताकी नदी का तेज बहाव भी आपको नुकसान नहीं पहुंचा सके । यदी मकान और पेड़ की तरह अड़िग खड़े रह कर नदी का सामना करोगे तो किसी ना किसी समय नदी की तेज बहाव उनको उखाड़ फेंकेगा और यदि घास की तरह झुक जाओगे तो पानी निकलने के बाद घांस सीना तानकर खड़ी रहेगी।
अपने जन्म की सार्थकता को कभी भी नाम शोहरत और पैसों से नहीं तोलें जीवन अनमोल है इसे पूरा जीयें । 

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