लेख - सीख

                                                                                                                           

एक छोटे से बच्चे से भी हम बहुत कुछ सीख सकते हैं 

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सीखने की कोई उम्र नही होती किसी भी उम्र में कुछ भी सीखा जा सकता है आवश्यकता है आपकी मानसिकता की आपकी शारीरिक क्षमता की आपके आत्म विश्वास की। एक छोटे से बच्चे से भी हम बहुत कुछ सीख सकते हैं |  छोटे बच्चे से उसका बचपन जीना सीख सकते है |  हम  चाहे तो  हमारी  खुद की गलतियों से दूसरों  की गलतियों से  हमारे अनुभवों से दूसरों  के अनुभवों से भी बहुत कुछ सीख सकते है

कुछ लोग अच्छा सीखना चाहतें हैं कुछ लोग बुरा



सीखने की कला भी हर किसी में नहीं होती।सीखने के ढ़ंग और तरीके भी अलग अलग होतें हैं कुछ लोग अच्छा सीखना चाहतें हैं कुछ लोग बुरा कुछ लोग नया सीखना चाहतें हैं कुछ पुराना कुछ अपने लिए सीखना चाहतें हैं कुछ दूसरों के लिए कुछ जीवन जीने के लिए सीखना चाहतें हैं कुछ जीवन बर्बाद करने के लिए कुछ सुखी रहने के लिए सीखना चाहते है कुछ दुखी करने  के लिए। यह सब कुछ निर्भर करता है आपकी सोच पर।

 रिश्तों  को हेंडल करना सीखें 


  रिश्तो को  मजबूत करना सीखें  रिश्तो को निभाना सीखें  रिश्तो के साथ तालमेल बनाना सीखें  रिश्तो का  सदुपयोग करना सीखें  रिश्तो को स्वीकारना सीखे रिश्तो में खुशियां बाँटना सीखें रिश्तो की मर्यादा सीखें रिश्तो का मान सम्मान सीखें रिश्तों  को हेंडल करना सीखें   बिगड़े रिश्तों  को बनाना सीखें रिश्तो   के प्रति वफादारी सीखें  जिम्मेदारी सीखें
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  सीख का दुरूपयोग नही  करे 

  जो कुछ भी हम सीखना चाहते है सीखे लेकिन यह अवश्य ध्यान रखे दूसरो के लिए गड्ढा खोदने वालो के लिए गड्ढा पहले से खुदा होता है। कीचड़ मे पत्थर फेकने से छीटे हमारे ऊपर भी पड़ सकते है। इसलिए जो सीखे उसका उपयोग सामाजिक और पारिवारिक  हित मे करे । सीख का दुरूपयोग नही  करे।
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