रतन टाटा को भी करना पड़ा था बुरे वक्त का सामना

 रतन टाटा को भी करना पड़ा था बुरे वक्त का सामना 

उतार चढ़ाव हर व्यक्ति के जीवन में आते है |  ऐसे कई प्रसिद्द लोग  जिन्होंने अपने जीवन में असफलता से सिख लेकर सफलता पाई है |  उन्ही में से एक है भारत के प्रसिद्द उद्योग पति रतन टाटा |  रतन टाटा भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति जमशेदजी टाटा के पौत्र  हैं|  जमशेदजी टाटा के पुत्र नवल टाटा  ने रतन टाटा को गोद  लिया था तब उनकी उम्र मात्र 10 वर्ष थी |  टाटा समूहों का आज दुनिया के 100 देशों में व्यापर चल रहा है |  टाटा चाय से लेकर पांच   सितारा होटलों एवं सुई से लेकर हवाई जहाज तक के व्यापर से टाटा समूह जुड़ा हुआ है टाटा समूह को आज विश्व के टॉप व्यावसायिक घरानो में गिना जाता है |  टाटा समूह की प्रतिष्ठा बढ़ने में रतन टाटा का योगदान महत्वपूर्ण है इस योगदान के लिए रतन टाटा का संघर्ष भी कम नहीं रहा है | 



 1991 में  रतन टाटा को टाटा समूह का चेयरमेन बना  या गया |  1998 में  टाटा मोटर्स ने इंडिका लांच की इसके  बाद रतन टाटा के जीवन और व्यवसाय में काफी उतर चढ़ाव आये |  एक समय ऐसा भी आया जब रतन टाटा को फोर्ड के चेयर मेन के पास टाटा मोटर्स को बेचने का प्रस्ताव लेकर जाना पड़ा और अपनी बेइज्जती भी सहन करनी पड़ी  |   रतन टाटा को भी करना पड़ा था बुरे वक्त का सामना  लेकिन इस बात से प्रेरित होकर रतन टाटा ने टाटा मोटर्स को नहीं बेचने का फैसला किया |   कहा जाता है की इंसान अपनी गलतियों से सिख लेकर असफलता को भी सफलता में बदल देता है  | धैर्य नेक नियति और मेहनत के दम  पर इंसान अपने बुरे वक्त को भी अच्छे वक्त में बदल देता है और  अपनी विनम्रता के दम पर दुश्मन   को भी झुकने पर मजबूर कर देता है |


  ऐसा ही  कुछ रतन टाटा ने किया और एक दिन ऐसा आया जब फोर्ड कंपनी के बुरे दिन आये तो फोर्ड के चैयरमेन फोर्ड की जैगुआर को बेचने का प्रस्ताव लेकर रतन टाटा के पास पहुचे |  और उन्होंने रतन टाटा से कहा एक दिन आप मेरे पास आये थे  आज  मै आपके पास आया  हूँ आप मेरी कंपनी को खरीद कर मुझ पे एहसान कर दो |


 उस वक्त 96 00  करोड़ रूपये में रतन टाटा ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया |  उसके बाद रतन टाटा ने दुनिया की सबसे सस्ती कार बनाने का सपना लिया जिसे उन्होंने नैनो कार  को लांच कर पूरा किया |  रतन टाटा को पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है  | २०१२ में अपने रिटायरमेंट तक रतन  टाटा ने संघर्ष जारी रखा | हमे भी असफलता से सीख लेकर सफलता प्राप्त करने का प्रयास करना चहिये |   रतन टाटा को भी करना पड़ा था बुरे वक्त का सामना  तो हमें भी जीवन के  किसी ना किसी मुकाम पर बुरे दिनों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए  | हताश, निराश होकर हिम्मत कभी नहीं हारनी चाहिए |

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