बिना मार पीट के भी सिखाया जा सकता है बच्चों को अनुशासन
- आज के इस महंगाई के दौर में बच्चों को पाल पोस कर बड़ा करना बड़ा मुश्किल काम हो गया है | बच्चे मासूम होतें हैं, नासमझ होतें हैं, कोमल होतें हैं, प्यारे होतें हैं | इसी वजह से उनमे भगवान का वास नज़र आता है | जो लोग यह बात समझते हैं उन्हें बच्चों की पीड़ा देखकर बड़ा कष्ट होता है | कई बार मासूमियत और नासमझी की वजह से बच्चे गलतियां कर बैठते हैं और आर्थिक नुकसान करवा देतें हैं | ऐसी स्थिति में हमें गुस्सा आ जाता है
https://goo.gl/images/hf3MNY - | कई बार पढाई - लिखाई में शिकायत मिलने पर भी हमें गुस्सा आ जाता है | कई बार बच्चों की शरारतों की वजह से हम अपने आप को अपमानित महसूस करतें हैं और इन्ही शरारतों और शिकायतों की वजह से हम बच्चों को अनुशासित रखना चाहतें हैं | और अनुशासन सीखने के लिए दंड स्वरुप हम मार -पीट का सहारा लेते हैं | कई बार तो लोग बच्चों की पिटाई इस कदर करतें हैं की उन्हें गंभीर चोंटें तक आ जाती है |
https://goo.gl/images/ziSyC2 - याद करके देंखें क्या बचपन में आप से गलतियां नहीं हुई ? क्या बचपन में आपसे नुकसान नहीं हुआ है ? क्या बचपन में मोहल्ले के लोग आपकी शिकायत लेकर आप के घर नहीं पहुंचे ? क्या स्कूल से आप की कभी शिकायत नहीं आई ? और यदि आई तो आप के साथ हुई मार पीट का अनुभव कैसा रहा ? या कभी बिना मार पीट के प्यार से आप को अनुशासन सिखाया गया वह आपको कैसा लगा ? मार -पीट किसी के भी साथ हो कुंठा, गुस्सा, द्वेष, ईर्ष्या जैसे गुण शायद यहीं से पनपते है | और ये अवगुण कभी भी अनुशासन का हिस्सा नहीं हो सकते |
https://goo.gl/images/pd4s3X - समय के साथ सोच को बदलना भी आवश्यक है | आपसी समझाईश, सूझ- बूझ प्रेम, प्यार से भी अनुशासन सिखाया जा सकता है | यदि आप ऐसा महसूस कर सकें तो | बच्चों के साथ मार पीट करना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है चाहे घर हो स्कूल हो शरारतें करना गलतियां करना बच्चों का स्वभाव होता है मार पीट करने से उनका मन कुंठित हो जाता है जब वे बड़े होते है तो यही कुंठा दूसरो पर गुस्से के रूप में निकलती है जिसके सामाजिक परिणाम ठीक नहीं होते है | क़ानूनी तोर पर भी बच्चों के साथ की गई मार पीट गैर क़ानूनी है चाहे वो माता पिता द्वारा की गई हो या शिक्षक द्वारा क़ानूनी पहलू को देखते हुए बच्चों को पढ़ाने के तरीकों में बदलाव लाना बहुत जरूरी हो गया है |
https://goo.gl/images/i5sL1t - समाज में बढ़ते हुए अपराधों को रोकने में हिंसा की प्रवृतियो को रोकने में यह बदलाव कारगर साबित हो सकता है साथ ही माता पिता तथा शिक्षकों के द्वारा बच्चों को यह समझाया जाना भी जरूरी है की बच्चों के साथ मार पीट नहीं करने का कानून उनके हित में बनाया गया है परन्तु इसका मिस यूज करना उनके लिए नुकसान दायक हो सकता है यह भी सम्भव है की बच्चे कानून का दुरपयोग करें लेकिन माता पिता और शिक्षकों का यह दायित्व है की बच्चों के हित में बने इस कानून की उचित जानकारी बच्चों तक अवश्य पहुँचाये |
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