मनोरंजन, खेलकूद पर पाबंदी लगाने के बजाए बच्चों को इनके शारीरिक , शैक्षणिक, नैतिक और सामाजिक महत्व को बताये

   परीक्षा में कम अंक लाना माता- पिता और बच्चों के लिए चिंता का  विषय बन जाता है |  बच्चों के कम अंक आने पर माता- पिता निराश हो जातें हैं, बच्चे निराश हो जातें हैं,  लेकिन शैक्षणिक परीक्षा  में कम अंक पाना यह साबित  नहीं करता है  की आप जीवन की हर परीक्षा में कम अंक के योग्य हैं |  बच्चों  कम  अंको से निराश  माता पिता 
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 यह बात माता- पिता को भी  समझनी होगी |  कम अंक आने पर कभी भी बच्चों को दोष नहीं दे न ही उन पर किसी प्रकार का दबाव   बनाऐ  इस बात के लिए  माता- पिता को निराश  और हताश होने की कतई  आवश्यकता नहीं है  बल्कि आवश्यकता है  बच्चों को प्रोत्साहित कर    उनका हौसला बढ़ाने की |
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   बच्चों  और माता पिता दोनों को   कम अंक लाने   की वजह ढूंढनी चाहिए  आगे आने वाली शैक्षणिक  परीक्षा की तैयारी कैसे करें यह बात उनके टीचर से मिलकर समझनी चाहिए पढाई में यदि उनकी रुचि नहीं बन पा रही  है तो उनकी रुचि बनाने के लिए उन्हें सकारात्मक माहौल देना  आवशयक है |  डांट  डपट और  मारपीट से बच्चे में  भय पैदा कर के  पढ़ाने की बजाय उनकी रुचि के अनुरूप पढ़ने का समय निर्धारित करें
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 खेल- कूद और मनोरंजन पर पाबन्दी लगाने के बजाय खेल- कूद और  मनोरंजन के महत्व  के साथ -साथ उन्हें शैक्षणिक, नैतिक और सामाजिक गतिविधियों का महत्त्व भी बताएं फिर भी एक बात अवश्य समझें दुनिया में ऐसी  कई  हस्तियां  हैं जिन्होंने परीक्षाओं  में कम अंक प्राप्त करने    के बाद भी अपने जीवन में बड़ी- बड़ी सफलताएं प्राप्त की हैं और कई  ऐसे भी लोग  हैं जिन्होंने अच्छे अंक प्राप्त करके शैक्षणिक योग्यता तो प्राप्त कर ली  लेकिन जीवन में विपरीत परिस्थितियों से मुकाबला  करते समय उनकी शैक्षणिक योग्यताएं और अच्छे अंकों के  प्रतिशत भी कम पड़  गए 
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  इसलिए हम सभी का यह दायित्व बनता है की बच्चों को  अच्छे  अंक लाने के लिए प्रेरित करें   नहीं आने पर निराश  न हों  हताश न हों पिछले अनुभवों से सीख लेकर परिवार के लिए समाज के लिए देश के लिए कुछ ऐसा कर दें कि शैक्षणिक स्तर  पर लिए गए कम अंकों का खामियाजा पारिवारिक और सामाजिक स्तर को सुधार कर पूरा किया जा सके |
Pd. Nehru said ," Degrees and diplomas have their own place but an experience is not less than a degree " 


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