जानिए क्यों पैदा हो रहा है भ्र्म

आज लोग इतने भ्रम में है, कि सच और झूठ, अच्छा और बुरा ,ज्ञान- अज्ञान, सही -गलत का फैसला भी नहीं कर पाते हैं |  इसके लिए हम लोग ही जिम्मेदार है क्योंकि यदि कोई अच्छा कर रहा है तो उसे बुरा साबित करने में हम अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं| कोई सच कह रहा है तो हम उसे झूठा साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं | कोई ज्ञानी है तो उसे अज्ञानी हम खुद ही बना देते हैं | कोई सही काम कर रहा है तो गलत करने के लिए हम लोग ही मजबूर कर देते हैं | कारण इसका सिर्फ एक ही है हमारा स्वार्थ | जानिए क्यों पैदा हो रहा है भ्र्म 
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 जब हम झूठ बोलते हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन दूसरा बोल दे तो हम उसे झूठा साबित करने के लिए एडी से चोटी तक का जोर लगा देते हैं | जब गलती हम करते हैं तो पहली बात तो हम उसे मानने के लिए तैयार ही नहीं होते हैं | और यदि 4 लोगों के कहने से मान भी लें तो हम सामने वालों की गलतियां ढूंढने में पूरी जिंदगी लगा देते हैं |  यह सोचकर की बस एक गलती पकड़ में आ जाए तो बदला पूरा हो जाए| कोई हमारा चाहे कितना ही अच्छा कर दे लेकिन गलती से यदि कोई एक भी बुरा काम उसके द्वारा हमारा हो जाए तो उसके किए सारे अच्छे काम हम भूल जाते हैं | 
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 हम चाहे किसी के लिए कितना  ही  बुरा करें लेकिन हमारे द्वारा किये गए एक अच्छे काम का अहसास हम उसे हमेशा करना चाहतें हैं |यही स्थिति भ्रम पैदा किये हुए हे |  हम कितना बुरा सोचते हैं, यह हमें पता नहीं ,हम कितना झूठ बोलते हैं, यह हमें पता नहीं, हम दूसरे लोगों की नज़र में कैसे हैं, यह हमें पता नहीं , दूसरे लोग कितने बुरे काम करते हैं, यह हमें सब पता लग जाता है, दूसरे लोग कितना झूठ बोलते हैं वह हम किसी भी तरह से पता लगा लेते हैं, दूसरों की गलतियां हम तुरंत महसूस कर लेते हैं यही भ्रम दुःख , वैमनस्य, अपराध, द्वेषता, लड़ाई -झगड़े, दुश्मनी का कारण है हमें अपने दोषों का पता नहीं लेकिन दूसरे में कितने हैं उसकी पूरी लिस्ट हमारे पास मिल जाएगी| समय आने पर हम नियमों और सिद्धांतों से समझौता करने के लिए तैयार हो जाते हैं लेकिन दूसरों की मजबूरी होने पर हम नियमों और सिद्धांतों के प्रति सख्त हो जाते हैं | 

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 यदि हम चाहते हैं कि दुनिया में भाईचारा रहे समाज में अपराधों में कमी आए, लोग एक दूसरे की जान के दुश्मन ना हो, एक दूसरे का सम्मान हो, तो हमें इस भ्रम से निकलना होगा | धर्म , परम्पराओं , रिति रिवाज़ों की आधी अधूरी जानकारी देने वालों से बचना होगा |जब हम किसी से दया की उम्मीद रखते हैं तो दूसरे भी हमसे दया की उम्मीद रख सकते हैं | हम पर जो बीती है वह दूसरों पर भी बीत सकती है | जब हमें चोट लगती है तो दर्द महसूस होता है जब दूसरों को लगेगी तो उन्हें भी दर्द होगा| खून का बदला खून से लेना या गाली के बदले गाली देना ठीक नहीं है | जिस तरह पेड़ से फल तोड़ने के लिए पेड़ को पत्थर मारना पड़ता है फिर भी वह हमें फल देना नहीं छोड़ता| उसी तरह हमें भी क्षमा करना सीखना पड़ेगा | दूसरों में कमियां निकलने से पहले हमें अपनी कमियों पर भी ध्यान देना चाहिए | तभी हम भ्रम के माया जाल से मुक्ति पा सकते हैं |



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