हमे थोड़ी मालूम था हमने तो अपनी जिम्मेदारी निभा दी

जिम्मेदारी


 अपनी जिम्मेदारी  अक्सर हर व्यक्ति समझता भी है और पूर्ण  करता  भी है |  दुनिया में ऐसे  कम ही  लोग होंगे जो अपनी जिम्म्मेदारी नहीं निभा पाते है |  परन्तु बावजूद इसके   ऐसा क्यों महसूस होता  है की पति- पत्न्नी एक दूसरे के  प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहे  है |  कहीं  बच्चे माता -पिता से फर्ज  निभाने के लिए असंतुष्ट है  तो कहीं  माता- पिता अपने बच्चो से खफा नजर आते है | कहीं  जनता   सरकार से तो कहीं सरकार  जनता से मालिक नौकर से नौकर मालिक  से  | असल में बात जिम्मेदारी निभाने तक ही  सीमित  हो कर रह गई है   |   कोई जिम्म्मेदारी निभाने  से आगे के परिणामों  के बारे में सोचता ही नहीं है  |असल में  जो फर्ज   निभा कर उससे आगे उसके परिणामों के बारे में  भी सोच पाता  है  लोगों  का भरोसा उसी पर  मजबूत हो  पाता  है  |  जो अपनी जिम्मेदारी निभाकर इति श्री कर लेते है उन्हें उसके परिणामों  से कोई मतलब नहीं होता की परिणाम सकारात्मक है  या नकारात्मक | वो अपनी जिम्मेदारी से अपने आपको   यह समझ  कर  मुक्त कर  लेते है की  उन्होंने तो अपनी जिम्म्मेदारी पूर्ण कर ली अपना फर्ज पूरा कर दिया  आगे  अब  कुछ भी हो  |   ऐसे लोग  अक्सर गलत फहमी पाल कर अपना  फ़र्ज पूरा करने  के लिए मन ही मन खुश हो लेते है  |    परन्तु आप को यह जान कर शायद आश्चर्य हो कि  ऐसी जिम्मेदारी के लिए उन्हें कोई क्रेडिट नहीं देना चाहता  जिसके लिए वो बिना परिणाम जाने ही अपने आप को मुक्त मान लेते है |

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असल में अधिकतर  लोग  जिम्मेदारी  निभा लेते है  |   उसके लिए उन्हें कितनी भी परेशानी झेलनी पड़े,   समय के बुरे  दौर से   गुजरना पड़े |  परन्तु परेशानी उठाने और दुःख   झेलने  के बाद  भी  क्यों कोई उनको  उनकी  जिम्मेदारी निभाने  के लिए क्रेडिट नहीं देना चाह  रहा है ? क्यों कोई ऐसे लोगों  से संतुष्ट नहीं है ? क्या कभी आपने इन प्रश्नो के उत्तर जानने  की कोशिश की है  ?  यदि हाँ तो आप   समझ गए होंगे और यदि आप का उत्तर ना है  तो   फिर आप आगे जरूर पढे  की जिम्मेदारी निभाने के बावजूद, मेहनत करने के वावजूद,  दुःख और कष्ट सहने के बावजूद क्यों कोई आपकी बातो को अहमियत नहीं देता ? क्यों कोई आपकी बातो से संतुष्ट नहीं  है ? क्यों कोई आप से खुश नहीं है ? वजह बहुत छोटी है परन्तु छोटी वजहों को हम तवज्जु कम ही देते है |   यदि वास्तव में आप मेहनती है ,आप दुःखो में जीवन जी   रहे है, आप अपने या अपने परिवार को खुश देखना चाहते है , आप अपने घर में सुख सम्पन्नता खुशहाली चाहते है तो इस छोटी सी बात पर गौर अवश्य करें  |  और इसे आजमाने की हर सम्भव कोशिश करें  | जिम्मेदारी निभाने  तक तो हर व्यक्ति सही होता ही है  परन्तु इससे आगे का सफर बहुत कम लोग पार  कर पाते है |  और वह  आगे का सफर यह जानना है कि  जो जिम्मेदारी आप निभा रहे है उस जिम्मेदारी में कष्ट उठाने की जरूरत भी है या नहीं |  उस जिम्मेदारी में दुःख उठाने की कितनी आवश्यकता है,  है  भी या नहीं   |

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 असल में हम जिम्मेदारी को बोझ समझ कर उठाते है |   यही वजह है की हम उसके वजन के तले दब  कर भी उसे उठाते रहते  जिसे  हम उठाने की स्थिति में   नहीं है  |  यदि जिम्मेदारी का यही वजन हम मन को हल्का करके, बिना दुखी हुए प्रसन्नता पूर्वक उठाये  हमारी जिम्म्मेदारी पूर्ण होने के बाद उसके परिणामो का विश्लेषण करके  देखें  की    जो जिम्मेदारी हमने पूर्ण की है उसके परिणाम जिनके प्रति हमने जिम्म्मेदारी पूर्ण की है उनके लिए सकारात्मक भी  रहे है  या नहीं  फायदेमंद  भी रहे है  या नहीं लोग  उससे  खुश भी है या   नहीं  |  क्या कभी आपने यह जानने  की कोशिश की है की जी फ़र्ज  आप निभा चुके है या जिस जिम्मेदारी से आप अपने आप को मुक्त मान  रहे उसके कोई नकारात्मक पहलू   उभर कर सामने तो  नहीं आ रहे है  ?  अक्सर लोग नकारात्मक पहलू  उभरने पर भी अपने आप को यह कहकर  मुक्त मान लेते है कि   हमे थोड़ी मालूम  था  हमने तो अपनी जिम्मेदारी   निभा दी  |   लोग यही सबसे बड़ी गलती  करते है |

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 ये गलतियां करना छोड़िये  |  ऐसी जिम्मेदारी निभाना छोड़िये जिसके परिणाम ही आपको पता ना  चले  |   अपनी जिम्मेदारी को निभाना है तो उसे सकारात्मक परिणाम तक पहुँचाइये  |   वो भी दुखी, हताश  और निराश हो कर  नहीं बल्कि खुश प्रसन्नचित होकर तहे  दिल से  खुले दिल से |   जब आप जिम्मेदारी को मुस्कुराते चेहरे, प्यार मोहब्बत से निभाएंगे  तो निश्चित रूप से उसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे |  परिवार में कार्यस्थल पर  नई स्फूर्ति पैदा होगी नया उत्साह बनेगा   |  जब उत्साह बनेगा तो प्रकति  भी मुस्कुराएगी   और आपका साथ देगी , ईश्वर आपका साथ देगा  |  यही सच्चा धर्म है|  सच्ची पूजा यही है |  ईमानदारी यही है |  इसलिए मित्रों  चाहे घर परिवार हो, पास पड़ोस हो, कार्य स्थल हो आप अमीर  हो या  गरीब स्त्री हो या पुरुष  बच्चे हो या बूढ़े   जाति  धर्म से ऊपर उठकर   जिम्मेदारी निभाकर  ही इति  श्री  नहीं करें  बल्कि जिम्मेदारी को सकारात्मक परिणाम तक भी पहुँचाये तब कहीं  आप के कार्यों  की प्रशंसा  होगी  आपकी मेहनत रंग लाएगी वरना आप हमें  क्या मालूम  था ? हमें  थोड़ी पता था  ? हमने ऐसा थोड़ी समझा था  ?जैस  बहाने  जीवन भर बनाते रहेंगे  |   कौन कहता   की आसमान को छू नहीं सकते, पहले  आसमान को ठीक से पहचान  तो लो |  

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