नदी की तरह बनकर करें जीवन में परिवर्तन


jeevanamrat.com

          

             परिवर्तन 



यदि आप किसी से कहें कि बिल्कुल नाक की सीध में सीधा जाना है| इसका अर्थ यह है, कि हमें बताई गई दिशा में जाना है|
इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है, कि आपको दाईं ओर जाना है, अथवा बाईं और सड़क पर चलना है या फुटपाथ पर ऊपर
देखकर चलना है या नीचे देखकर| कहने का अर्थ यह है कि किसी को रास्ता दिखाते समय अंदाजा दिशा का बताया जाता
है| रास्ते में आने वाले कंकड़-पत्थर, थोड़ा बहुत घुमाव , गड्ढे , सामने से गलत दिशा में आ रहे लोगों के बारे में नहीं बताया
जाता है| ठीक यही बात हमारे जीवन के साथ है|
Google image
यदि हमें कोई जीवन में सफलता का रास्ता बता रहा है तो उस रास्ते पर आने वाली कठिनाइयों और परेशानियों की जानकारी हमें ही जुटानी पड़ेगी|  और कोई भी सड़क या रास्ता बिल्कुल सीधा नहीं होता है|  रास्ते में गड्ढे भी आते हैं उनसे बचना पड़ता है|  रास्ते में मोड़ भी आते हैं उन पर मुड़ना भी पड़ता है|  रास्ते में गति अवरोध ( speed breaker ) भी आते हैं उन पर धीरे चलना होता है|  रास्ते में गलत दिशा में आने वाले वाहनों



  से भी सावधान होना पड़ता है|  यदि रास्ता लंबा है तो दूसरा रास्ता भी बदलना पड़ता है|    यही सब कुछ हमें हमारे जीवन में भी करना पड़ता है यदि आप लक्ष्य पाना चाहते हैं तो मार्गदर्शन करने वाले बहुत मिल जाएंगे लेकिन निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने  में आने वाली चुनौतियों , समस्याओं, खतरों का सामना आपको ही करना पड़ेगा| अक्सर लोगों को शिकायत यही होती है कि हमें गलत रास्ता बता दिया या गलत सलाह दे दी| लेकिन हमें भी सोचना चाहिए की कहीं हमने तो गलत अमल नहीं कर लिया| क्योंकि रास्ता बताने वाला रास्ते के एक - एक अवरोध, एक - एक गड्ढे, एक - एक मोड़ के बारे में नहीं बता सकता| सलाह देने वाला सलाह दे सकता है दी गई सलाह में आने वाली परेशानियों, समस्याओं और दिक्कतों के बारे में आपको समझना पड़ेगा|


Google image
खाना बनाकर आपको दिया जा सकता है मुंह में हाथ से आपको ही डालना पड़ेगा| मुँह में डालने के बाद ठीक से चबाना भी आपको ही पड़ेगा| जीवन चुनौतियों, समस्याओं का महासागर है| यदि आप सब कुछ ठीक होने के बाद जीवन जीने की शुरुआत करने की सोच रहे हैं तो आप अपने जीवन के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं| बदलाव और परिवर्तन से हम हर लक्ष्य और हर रास्ते पर पहुंच सकते हैं| नदी और पत्थर में यही फर्क है पत्थर परिवर्तन नहीं चाहता है| परिवर्तन करने के लिए उसे कारीगरों का साथ चाहिए तब कहीं जाकर पत्थर का घर बनकर तैयार होता हे , शिल्पकार के हाथों पत्थर शिल्प कला का नमूना बनता है|


लेकिन नदी खुद अपने रास्ते बदलती है, अवरोधों को हटाती है, लोगों की प्यास बुझाती है इसलिए नदी की तरह बनों| कल - कल - कल - कल करके बहो ताकि दूसरों का मन भी खुशी से कल - कल करे| पत्थर बनोगे तो दूसरों के हाथों उद्धार होगा नदी बनोगे तो दूसरों का उद्धार करोगे| फैसला आपके हाथ में है पत्थर बनकर दूसरों से उद्धार करवाना है या नदी बनकर दूसरों का उद्धार करना है | नदी की तरह बनकर करें जीवन में परिवर्तन अपना JEEVAN AMRAT बनाए |

Google image

like , comment , share , subscribe and follow us

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Father's day 2021 | फादर्स डे पर पिता को दे ये गिफ्ट | 6 नम्बर वाला सबसे अच्छा है |

बेटी हिंदुस्तान की

आधुनिक और प्राचीन जीवन का असमंजस