सुई, तलवार ,कैंची और हम

सुई, तलवार ,कैंची और हम 

हम अपना जीवन सुई , तलवार और कैंची की तरह जीते हैं अधिकतर लोग अपने जीवन को तलवार और कैंची की तरह जीते हैं जबकि जीवन को सुई की तरह बनाना चाहिए| तलवार और कैंची एक को दो करने का काम करते हैं जबकि सुई दो को एक करने का काम करती है यही हमारे जीवन जीने का नजरिया हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग समस्याओं को जन्म देता है और जीवन में आ रही कठिनाइयों, बाधाओं, समस्याओं की सच्चाई भी यही बयां करती है कि अधिकतर लोग सुई की जगह तलवार और किसी से अपनी समस्याओं का हल निकालना चाहते हैं परिवार हो या पड़ोस हम छोटी-छोटी बातों में छोटी-छोटी समस्याएं जो एक सुई से हल हो सकती है, उसके लिए भी हम तलवार का उपयोग करने की कोशिश करते हैं| जबाने हमारी कैंची की तरह चलती है जो कभी दो को एक नहीं होने देती बल्कि एक के न जाने कितने टुकड़े कर देती है किसी को दर्द महसूस कराने के लिए सुई चुभो दो तो दर्द महसूस हो जाता है न खून खराबे की जरूरत है पुलिस ठाने की लेकिन एक छोटा सा दर्द महसूस करने के लिए हम अपने परिवार में भी उपयोग तलवारों और कैंचियों का कर रहे हैं|
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सोच कर देखें जब एक डॉक्टर 10 रुपए की सुई से किसी मरीज को दर्द का अनुभव भी करा देता है और बीमारी का इलाज भी कर देता है तो हम क्यों बेवजह हजारों रुपए तलवारों पर खर्च करके भी बीमारियों (समस्याओं का समाधान) नहीं कर पा रहे हैं कारण एक ही हे तलवारों और कैंचियों का उपयोग करके दर्द बढ़ा रहें हैं, दिलों को अलग कर रहे हैं, खून बहाकर नफरत पैदा कर रहे हैं|
अरे मित्रों इस छोटी सी बात को समझो | सुई का उपयोग करना सीखो बड़ा आसान है दर्द भी कम खून बहेगा नहीं की बजाय टुकड़ों को जोड़ोगे तो हमदर्दी बढ़ेगी, प्यार- मोहोब्बत बढ़ेगी दिलों की दूरियां दूर होगी खुशी और प्रसन्नता जन्म लेगी तो किसी कवी की पंक्तियों के सार की सार्थकता सिद्ध होगी की जहां सुई काम कर सकती है वहां तलवार की आवश्यकता नहीं पड़ती |

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