ज्ञान लेने से पहले हमे यह समझना अत्यंत आवश्यक है की ज्ञान है क्या ?

ज्ञान हर व्यक्ति लेना चाहता है  |  ज्ञान के बिना हमारे जीवन का कोई मूल्य नहीं है  | लेकिन असमंजस यह है की कौनसा ज्ञान हमें किस समय लेना चाहिए जो ज्ञान हम ले रहे है वह  हमारे काम का है भी या नहीं ज्ञान की असल परिभाषा क्या है ? यह जाने बिना हम ज्ञान की तलाश में भागते जा रहे है  | इसलिए ज्ञान लेने, देने और दिलाने  से पहले हमे यह समझना अत्यंत आवश्यक है की ज्ञान है क्या ?
https://images.app.goo.gl/zB1oPrE1S7az3zno6

 वास्तव में  ज्ञान का क्षेत्र काफी विस्तृत है यह एक अथाह महासागर है जिसके लिए हमारा सम्पूर्ण जीवन भी कम हैं जीवन के हर पल में ज्ञान समाया  हुआ है हर पल  कुछ न कुछ सीख अवश्य देकर जाता है | और हर पल की सारी  बातो को सारी  सीखो को हम सीख ले या याद  रख ले यह सम्भव नहीं है | लेकिन पल- पल की ये बातें जिन्हे हम अतीत कहते है कही न कही अनुभव के रूप में हमारे ज्ञान  को बढ़ाने में सहायक होती है  | समय और परिस्थिति के साथ यदि हम अतीत के अच्छे बुरे पलों  को वर्तमान में आत्मसात करना सीख ले तो ये ज्ञान हमारे भविष्य का निर्माता बन सकता है |
https://images.app.goo.gl/vrn6Xqvm2rkrZ6XR9

 परन्तु  फिर भी इस ज्ञान को पाने के लिए हमे हमारे अहम और वहम को छोड़ना होगा सच्चाई और गलतियों को स्वीकारना होगा तब कही  इस ज्ञान  के पाने की सार्थकता सिद्ध  हो पायेगी |  ज्ञान पाने के लिए सच्चाई और गलतियों को स्वीकारना बहुत ही जरुरी होता है | जिसे कोई भी  इतनी आसानी से स्वीकार नहीं कर पाता यह एक कटु सत्य है  |  और यह भी कटु सत्य है  कि  यदि कोई अपनी गलती और सच्चाई  को स्वीकार नहीं कर पा  रहा है तो वह  अज्ञानी होने में खुद की बहुत बड़ी मदद कर रहा है  |


 आज हम किताबी ज्ञान और व्यवसायिक ज्ञान के मोहताज हो चुके है इन्हे हमने हमारी सबसे बड़ी बैसाखी  बना लिया है |  जिनके सहारे  हम चल तो सकते है लेकिन  दौड़ नहीं सकते है दौड़ने के लिए हमें इनके साथ व्यवहारिक ज्ञान को भी अमल में लाना होगा | आज ज्ञान के प्रति जो असमंजस बना हुआ है उसकी प्रमुख वजह यही है की हम प्रेक्टिकल में इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे है |  पैसे कैसे कमाए और कैसे खर्च करे हमारा  आज का शिक्षा रूपी ज्ञान मूल रूप से इसी के इर्द गिर्द घूम रहा है | इसी सोच ने हमे व्यवहारिक ज्ञान से व्यवसायिक ज्ञान की और मोड़ दिया है |    आर्थिक ज्ञान का भंडार पाने के लिए हमने व्यवहारिक, नैतिक, सामाजिक ज्ञान को गौण  कर दिया है यही वजह है की हम पैसा कमाने की जद्दोजहद में लगे हुए है अब  बच्चो की सोच भी उसी प्रकार की बना रहे है | जो आज बच्चों  के ऊपर बने किताबी ज्ञान के दबाव से साफ नजर  आ रहा है |
https://images.app.goo.gl/qNSPKwQiK83tJqNA9

 किताबी ज्ञान को हम बालो के गुच्छे की तरह उलझा चुके है जिसे सुलझाने का एक मात्र सहारा है व्यवहारिक और नैतिक ज्ञान है जिसकी हम आवश्यकता भी समझते है और अपेक्षा भी करते है परन्तु दूसरों से |  जरा अपने आप से पूछ कर देखें  की हम खुद कितने व्यवहारिक और नैतिक है और दूसरों  से इनकी कितनी अपेक्षा रखते है |  शायद यह जानकर आपको बिलकुल भी ताज्जुब नहीं होगा की हर कोई यह अपेक्षाएं दूसरो से ही पाले हुए है  |    यही असमंजस अज्ञानता की सबसे बड़ी वजह है  | यदि अज्ञानता को दूर करना है तो किताबी ज्ञान के साथ सामाजिकता  का पाठ पढ़ाना  भी जरूरी है वर्ना आने वाली पीढ़ी के चेहरे मुरझाये रहेंगे रिश्ते नाते प्रभावित होंगे सो अलग | 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मनुष्य एक प्राकृतिक उपहार है लेकिन मशीनी होता जा रहा है

action movie jodha akbar review in hindi | एक्शन फिल्म जोधा अकबर

आधुनिक और प्राचीन जीवन का असमंजस