कैसे हो बच्चे पर माँ सरस्वती की कृपा

    कैसे हो  बच्चे पर माँ सरस्वती की कृपा ?

  जीवन अमृत पर आपका  हार्दिक अभिनंदन है, स्वागत है | नमस्कार दोस्तों ,
 भाइयों  बहनों  एक विद्यार्थी पर माँ  सरस्वती की कृपा दृष्टि होना बहुत ही जरूरी है | जिन विद्यार्थियों पर माँ सरस्वती की कृपा दृष्टि होती है वो विद्यार्थी अक्सर पढ़ाई  में आगे निकलते है जिन विद्यार्थियों पर माँ सरस्वती की कृपा दृष्टि नहीं होती है वो कभी भी पढ़ाई  को गंभीरता से नहीं लेते है | इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे है किस तरह के विद्यार्थियों पर माँ सरस्वती की कृपा दृष्टि बनी होती है | जिन पर कृपा दृष्टि नहीं होती है उन्हें क्या उपाय करने चाहिए |  बहनो भाइयों  आज के आधुनिक युग में  आप देख रहे है माता  पिता बच्चो की पढ़ाई  लिखाई  के लिए जरूरत से ज्यादा चिंतित रहते है  अथाह धन दोलत खर्च कर के भी शिक्षा दिलाने को अपना धर्म समझते है | चाहे उसके लिए उन्हें कितनी भी जी तोड़ मेहनत करनी पड़े  कर्जा करना पडे  परन्तु उसके बाद भी बच्चे   पढ़ाई लिखाई  में कमजोर रहते है | कारण है   बच्चे पर माँ सरस्वती की कृपा ना होना |

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      क्यों नहीं बन पा रही है माँ सरस्वती की कृपा ?
  • दोस्तों जब तक बच्चे पर माँ सरस्वती की कृपा नहीं होगी आप चाहे कितना ही पैसा खर्च कर लो, कितना ही दुखी हो ले,  बच्चा कभी भी शानदार रिजल्ट नहीं देगा | हाँ एक समांन्य बच्चे की तरह ही उसका रिजल्ट होगा |  परन्तु जिन बच्चो पर माँ सरस्वती की कृपा बनी होती है उन का रिजल्ट कम पैसा खर्च  करके भी बहुत ही अव्वल दर्जे का हो सकता है | इसलिए अपने बच्चे  पर पैसा खर्च करने से पहले  उसके ऊपर माँ सरस्वती की कृपा क्यों नहीं बन पा रही है उस पर विचार करें | अपने बच्चे  के स्वभाव पर गौर करें | यदि आपके   बच्चे में एक अच्छे  विद्यार्थी के गुण  नहीं है | है तो फिर उस पर कभी भी माँ सरस्वती की कृपा  नहीं  बरस सकती |  इसलिए हर माता पिता के  लिए यह  जानना बहुत ही जरूरी है कि  एक अच्छे विद्यार्थी में क्या लक्षण होने चाहिए?  क्या गुण  होने चाहिए? जिन  पर माँ सरस्वती की कृपा बरसती है  वो लक्षण वो गुण  आपके बच्चे में  है भी   या  नहीं  | यदि है तो देर सवेर  आपका बच्चा किसी ना   किसी क्षेत्र में आपका नाम जरूर रोशन कर  देगा आप बिल्कुल  निश्चित हो जाए यदि  नहीं है तो पहले उसे एक अच्छा विद्यार्थी बनने के लिए प्रेरित करें  | 


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        ऐसा करने से  माँ सरस्वती की कृपा बच्चे पर जरूर बनेगी


  • जो रिजल्ट आपको पैसा खर्च करने से नहीं मिला हो वह शायद कम पैसा खर्च  करने से मिल जाए | परन्तु बच्चों  के लक्षण गुण अवगुण पहचानने में  आपको बहुत ही सावधानी बरतनी  होगी | बच्चों  का  पक्ष लेने से बचना होगा न्याय संगत तर्क संगत  बात करनी होगी भावनाओं  तथा जज्बात में बहने से बचना होगा | यदि कुछ वर्षो तक आपने यह तपस्या कर ली तो आपके बच्चे पर माँ सरस्वती की कृपा निश्चित रूप से बरसेगी | अक्सर माता पिता बच्चो को सुख सुविधाओं काआदि बना देते है | लक्ज़री जीवन दे कर   वो उन्हें बचपन से ही बैसाखियो के सहारे जीवन जीने पर मजबूर  कर देते है फिर छोटी छोटी चीजों का आभाव भी उन्हें बहाने  बनाकर आगे बढ़ने से रुक जाने या बगावती तेवर दिखाने के लिए प्रेरित करता है | इसलिए बच्चो की  आवश्यकताकी पूर्ति   जरूर करे परन्तु लक्ज़री चीजों की जिद पूरी नहीं करे उन्हें अभावों  में भी जीवन  जीने  लिए  प्रेरित करे  ताकि वक्त आने पर वो सहज हो कर बुरे वक्त के डोर  सामना कर सके  |  दूसरों  के बच्चो से  कभी भी पढ़ाई लिखाई  या वस्तुओँ  का कम्पीटिशन  नहीं करें | आपके  सब कुछ होते हुए भी आभाव में रहने की आदत डाले माँ सरस्वती की कृपा बच्चे पर जरूर बनेगी वरना आगे जब भी उसे किसी चीज का आभाव महसूस होगा वह उसके बीना  कदम नहीं बड़ा सकेगा |   क्योकि माता पिता द्वारा उपलब्ध करवाई बैसाखियों पर  उसकी उम्मीद टिकी है   | नीचे दिए गए विद्यार्थियों के  लक्षणों का विश्लेषण कर अपने बच्चे  में भी विकसित करें  ये लक्षण  | 

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         विद्यार्थियों के पाँच  लक्षण

  •  एक अच्छे विद्यार्थी का जिज्ञासु होना बहुत जरूरी है |  जब तक कोई जिज्ञासा उसके मन में नहीं होगी वह  कभी भी माँ सरस्वती को प्रिय नहीं होगा एक विद्यार्थी के समय की पालना और समय के  प्रबंधन से  माँ सरस्वती हमेशा प्रसन्न रहती है | सच बोलने वाला और ईमानदार विद्यार्थी  भी विद्या की देवी को अपनी और आकर्षित कर  लेता है | गरीबों  के  मददगार बच्चे भी माँ सरस्वती की निगाह में होते है | घर के बुजुर्गो तथा बड़ों  को मान सम्मान देने वालो को माँ सरस्वती अग्रिम पक्ति में स्थान देती है | गुरुजनों  के आज्ञाकारी तथा विनम्र विद्यार्थियों को वीणाधारणी अपने सबसे करीब रखती है | 



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 बच्चे को एक विद्यार्थी  की  तरह ढाले  ना की अमीर या गरीब  बाप के बच्चे 

  • इसके विपरीत ईर्ष्या ,द्वेषता रखने वाले कुंठा और दुराग्रही छात्र छात्राओं  से माँ अपने आप को दूर रखती  है | ऐसे बच्चे जो साफ़ सफाई पसंद हो सुख सुविधाएं होते हुए भी  सुख सुविधाओँ  का त्याग कर अपने लक्ष्य को पाना चाहते है उनसे माँ सरस्वती बहुत ही प्रसन्न रहती है  | जिन  विद्यार्थियों को बाधाओं का रुख मोड़ना आता है, जो तुफानो में भी अपने हौसले बुलंद रखकर तुफानो का रास्ता बदल देते है ऐसे विद्यार्थियों  का माँ सरस्वती खुद माला पहना कर स्वागत करने कोआतुर रहती है | अपने बच्चो को सुख  सुविधाओं का आदि नहीं बनाये यदि उन्हें वास्तव में शिक्षा दिलवाना चाहते है तो पहले  बच्चे को एक विद्यार्थी  की  तरह ढाले  ना की अमीर या गरीब  बाप के बच्चे | 


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