jeevan main khushi ka mhatav in hindi | life mantra | motivational artical |
jeevan main khushi ka mhatav in hindi
life mantra| motivational artical
सोल्यूशन बनो प्रॉब्लम नहीं
जीवन में खुशी का बड़ा महत्व है | life mantra खुश रहने का संबंध हमारे स्वास्थ्य से होता है | जिस तरह से हरियाली या प्राकृतिक दृश्यों को देखकर मन प्रसन्न होता है, खिले हुए फूलों को देख कर खुशी मिलती है, उसी तरह लोगों के प्रसन्न और खिले हुए चेहरों को देख कर खुशी मिलती है |
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कई लोग अपने उन मित्रों से सिर्फ इसलिए मिलना पसंद करते हैं क्योंकि उनके चेहरे हमेशा फूलों की तरह खिले नजर आते हैं | उनमें उत्साह नज़र आता है उमंग होती है | उन्हें देखकर ही लोग अपने आपको नई ऊर्जा से भरा पाते है |
जिन चेहरों पर हमेशा उदासी झलकती है , चिंता की लकीर हमेशा नजर आती है, जो लोग चेहरे से ही दुख प्रकट कर देते हैं, ऐसे लोगों से लोग कम मेलजोल रखते हैं और उनके सुख में भी लोग दिल से शामिल नहीं होना चाहते |
जिन लोगों के चेहरे पर हमेशा हताशा - निराशा रहती है, ऐसे लोगों का असली दुःख कभी पता ही नहीं चल पाता है क्योंकि वो हमेशा ही दुखी दिखते है | इसीलिए जब उनके साथ कोई बड़ी घटना हो भी जाती है तब भी लोग यही सोचते है यह तो हमेशा ऐसा ही दिखता है | किसी ने कहा है ख़ुशी के लिए काम करोगे तो ख़ुशी नहीं मिलेगी मगर खुश होकर काम करोगे तो ख़ुशी जरूर मिलेगी
कई लोग अपने उन मित्रों से सिर्फ इसलिए मिलना पसंद करते हैं क्योंकि उनके चेहरे हमेशा फूलों की तरह खिले नजर आते हैं | उनमें उत्साह नज़र आता है उमंग होती है | उन्हें देखकर ही लोग अपने आपको नई ऊर्जा से भरा पाते है |
जिन चेहरों पर हमेशा उदासी झलकती है , चिंता की लकीर हमेशा नजर आती है, जो लोग चेहरे से ही दुख प्रकट कर देते हैं, ऐसे लोगों से लोग कम मेलजोल रखते हैं और उनके सुख में भी लोग दिल से शामिल नहीं होना चाहते |
जिन लोगों के चेहरे पर हमेशा हताशा - निराशा रहती है, ऐसे लोगों का असली दुःख कभी पता ही नहीं चल पाता है क्योंकि वो हमेशा ही दुखी दिखते है | इसीलिए जब उनके साथ कोई बड़ी घटना हो भी जाती है तब भी लोग यही सोचते है यह तो हमेशा ऐसा ही दिखता है | किसी ने कहा है ख़ुशी के लिए काम करोगे तो ख़ुशी नहीं मिलेगी मगर खुश होकर काम करोगे तो ख़ुशी जरूर मिलेगी
लोग ऐसे लोगों को बेचारा, गरीब ,दुखियारा कह कर सम्बोधित करने लगते है | यही दृष्टिकोण उनके उदास और दुखी रहने का सबसे बड़ा नुकसान बन जाता है |
कुछ लोगों को बेचारा गरीब दुखियारा कहलाकर मदद देना और मदद लेना अच्छा जरूर लगता है परन्तु बेचारा गरीब कहलाकर आज तक कोई तरक्की नहीं कर सका क्योकि बेचारा और गरीब शब्दों ने हमेशा बैसाखी बन कर हर किसी को अपंग बनाये रखा
मदद लें बेचारा और गरीब बन कर नहीं बल्कि स्वाभिमानी बनकर और मदद करे बेचारा और गरीब बनाकर नहीं बल्कि स्वाभिमानी बनाकर ताकि बेचारा और गरीब शब्द की बैसाखी किसी को आगे बढ़ने से नहीं रोक पाए
जो लोग खुश मिजाज नहीं होते हैं उनके लहजे हमेशा शिकायत भरे होते हैं | जिन्हे लोग कम पसंद करते है | इसलिए छोटी - छोटी बातों का रोना दिनभर रो - रोकर अपने आप को लोगो से दूर नहीं करें |अपने आप को कभी निर्बल, असहाय, बेचारा, गरीब साबित मत होने दो | life mantra दुनिया में सबसे गरीब वह है जिसका मानसिक स्वास्थ्य सही नहीं है |
क्योंकि जब हेलन केलर अंधी और बहरी होते हुए पढ़ना - लिखना सीख सकती है, सुधा चंद्रन अपनी एक टांग दुर्घटना में गंवा देने के बावजूद नकली टांग से नृत्य करना सीख सकती है, सूरदास अंधे होते हुए अपनी कविता तथा दोहों के माध्यम से दुनिया को कृष्ण भक्ति सीखा सकते है; तो हम क्यों लोगो से अपेक्षा करते है ? क्यों हम निर्बल, असहाय, बेचारा, गरीब, दुखियारा बन कर दुनिया के सामने अपना उदास बुझा हुआ चेहरा लेकर अपने दुखी होने का प्रमाण देते है ?
life mantra एक खुश मिजाज व्यक्ति कभी भी अपनी छोटी - छोटी समस्याओं का रोना नहीं रोता है; बल्कि वह उन्हें हंसी-खुशी हल कर लेता है| यही वजह है कि एक चिढ़चिढ़े व्यक्ति की सही बात भी लोगों के गले नहीं उतरती है जबकि एक खुशमिजाज व्यक्ति की शिकायत भी स्वादिष्ट लगती है | इसलिए अपने आपको एक खुश मिजाज व्यक्ति साबित करो | चिढ़चिढ़ा और प्रॉब्लम क्रियेटर नहीं | life mantra अपने आप को सोल्यूशन बनाओ प्रॉब्लम नहीं | तभी जीवन जीने का असली मजा आयेगा |
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जो लोग खुश मिजाज नहीं होते हैं उनके लहजे हमेशा शिकायत भरे होते हैं | जिन्हे लोग कम पसंद करते है | इसलिए छोटी - छोटी बातों का रोना दिनभर रो - रोकर अपने आप को लोगो से दूर नहीं करें |अपने आप को कभी निर्बल, असहाय, बेचारा, गरीब साबित मत होने दो | life mantra दुनिया में सबसे गरीब वह है जिसका मानसिक स्वास्थ्य सही नहीं है |
क्योंकि जब हेलन केलर अंधी और बहरी होते हुए पढ़ना - लिखना सीख सकती है, सुधा चंद्रन अपनी एक टांग दुर्घटना में गंवा देने के बावजूद नकली टांग से नृत्य करना सीख सकती है, सूरदास अंधे होते हुए अपनी कविता तथा दोहों के माध्यम से दुनिया को कृष्ण भक्ति सीखा सकते है; तो हम क्यों लोगो से अपेक्षा करते है ? क्यों हम निर्बल, असहाय, बेचारा, गरीब, दुखियारा बन कर दुनिया के सामने अपना उदास बुझा हुआ चेहरा लेकर अपने दुखी होने का प्रमाण देते है ?
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