जीवन का कटू सत्य

                   जीवन की सच्चाई

हम जीवन में बिना सोचे समझे सिर्फ एक दूसरे को दोष देते रहते हैं दूसरों से हमेशा अपेक्षा रखते हैं कि सच बोले, लालची नहीं हो, मन में स्वार्थ ना हो, किसी का बुरा नहीं सोचे, कभी किसी का दिल नहीं दुखाए, किसी से लड़ाई झगड़ा ना करे, बेईमानी का तो सवाल ही नहीं उठता चरित्र तो जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है।
              इन सब बातों के लिए अपेक्षा रखना और चिंतित होना लाजमी है क्योंकि इन्ही गुण और अवगुणों के आधार पर एक अच्छे समाज का निर्माण होता है। लेकिन बात हमेशा तर्कसंगत करनी चाहिए क्या यह सच नहीं है? कि यह अपेक्षा हम सिर्फ दूसरों से करते हैं क्या कभी अपने आप के अंदर भी झांककर देखा है? कि कहीं हमारे अंदर इन सब गुणों की छाया तो नहीं है क्या हमारी कथनी और करनी में बहुत ज्यादा अंतर तो नहीं है? क्या दूसरे भी हमसे ही अपेक्षा की उम्मीद तो नहीं कर रहे हैं? दोस्तों  यह कटु सत्य है इस दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो इन अवगुणों से अछूता हो। मनुष्य गलतियों का पुलिंदा है हर इंसान में कोई ना कोई कमी अवश्य मिलेगी। जिस व्यक्ति में यह कमियां नहीं होगी उसे हम भगवान कहते हैं। जो व्यक्ति इन अवगुणों को अपने आप में पाकर उसमें कुछ सुधार करने का प्रयास करता है उसे इंसान कहा जाता है। और जो व्यक्ति अवगुणों को जानते हुए भी कोई सुधार नही करना चाहता और मर्यादा की सभी सीमाओं को तोड़ देता है वह शैतान कहलाता है। यही जीवन की सच्चाई है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मनुष्य एक प्राकृतिक उपहार है लेकिन मशीनी होता जा रहा है

action movie jodha akbar review in hindi | एक्शन फिल्म जोधा अकबर

आधुनिक और प्राचीन जीवन का असमंजस