मन की बात का महत्व

                                     कहें अपने मन की बात


अधिकतर लोग अपने जीवन में यह गलती करते हैं कि न जाने किस वजह से वह अपने मन की बात किसी से कह नहीं पाते हैं |  और इस वजह से अपने मन के अंदर ही अंदर घुट-घुट कर जहर बनाते रहते हैं |  सोचो जब जहर अपना असर दिखाता है तो क्या होता है ? यह जहर किसी न किसी के लिए  अवश्य नुकसानदायक होगा इसलिए किसी ना किसी से अपने मन की बात जरुर शेयर करें कभी कभी आपको ऐसा लगता है कि मन की बात कहें किससे |  माँ  से कहेंगे तो समस्या पिता से कहेंगे तो हिम्मत नहीं पति से कहेंगे तो परिवार में क्या पता क्या बवाल खड़ा हो जाएगा |  पत्नी से कहा तो ओर मुसीबत हो जाएगी बच्चों से तो यह बात कर ही नहीं सकते|  दोस्तों को बताएंगे तो इंसल्ट होने का डर रहता है | |  यही सोचकर कई बार हम छोटी छोटी बातों को मन में रखकर जहर बनाते रहते हैं और जब मन में वह बात घर कर जाती है तो हमारा मन किसी भी काम में नहीं लगता |   हम गलतियों पर गलतियां करते जाते हैं और बीमारी पालते रहते हैं|
यहां तक कि किसी को आपकी मानसिकता का आभास होने पर भी आप अपनी समस्या बताने से इनकार करते रहते हैं और कोशिश करते हैं कि सामने वाले को कुछ पता नहीं चलेगा |  आप यह बहुत बड़ी गलती करते हैं आप चाहे किसी के मन की बात भांप सकें या न भांप सकें लेकिन कई लोगों में यह क्षमता होती कि वह आपके चेहरे के हाव भाव से आपकी प्रतिक्रिया से आप के क्रियाकलापों से यह तो जान ही लेते हैं कि कोई न कोई बात जरुर है |  उसके बावजूद भी आप इतने हठधर्मि  होते हैं कि अपने मन की बात बताना उचित नहीं समझते यही आपकी सोच अवसाद का कारण बनती है जो ना आप को कुछ सोचने देती है ना करने देती है|  ना किसी की बात सुनने देती है ना मानने देती है और आप अपना तो बुरा कर ही रहे हैं साथ ही अपने परिवार का भी बुरा कर रहे हैं |  यही अवसाद चिड़चिड़ेपन में बदल जाता है फिर जब आपको कोई सलाह भी देता है तो वह बुरी लगती है | और जब आपको किसी की बातें बुरी लगती है तो स्वाभाविक है जो लोग आपका  भला सोचते हैं उन्हें भी बुरी लगने लगती है और अंजाम होता है पूरे परिवार में नेगेटिव मैसेज आने शुरु हो जाते हैं और यह नेगेटिविटी इतनी खतरनाक हो जाती है कि अच्छा भला परिवार बर्बाद हो जाता है |
क्योंकि परिवार के बिखराव से आर्थिक मानसिक शारीरिक सारी समस्याएं एक साथ प्रारंभ हो जाती है | जिन्हे हर कोई नहीं समझ पाता है और जब तक हम समझते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है |  दोस्तों यदि आप अपने परिवार की भलाई चाहते हैं तो अपनी इंसल्ट की परवाह  किए बिना  अपने आप को गलत साबित होने से बचाने की कोशिश  नहीं करें अपने मन की बात किसी ना किसी व्यक्ति से जरुर शेयर करें दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो अकेला है अकेला सिर्फ वह है जो अपने आप को अकेला समझता है।

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