Hindi article on life - ईसा मसीह का जन्म दिन क्रिसमस

  

                                                      मसीहा 

ईसा मसीह का जन्म दिन ' क्रिसमस ' बड़े दिन के  रूप में मनाया जाता हे | अपने जीवन  को दांव पर लगाकर दूसरों के जीवन को सुधारना हर किसी के बस की बात नहीं यह सिर्फ महापुरुष ही कर सकते हैं | सोचकर देखें  हमें कोई घूरकर देखे तो हम उसकी आँख फोड़ने पर आमादा हो जाते हैं|  इतना गुस्सा हमारे मन में भरा हुआ होता हे | जबकि ईसा मसीह ने उन लोगों को भी क्षमा करने की प्रार्थना ईश्वर से की जिन्होंने उनके साथ दुर्व्यहार किया|

                 यहां तक की उनके हाथ   पैरों  में कीलें ठोककर उन्हें सूली पर लटका दिया |हो सकता हे ईसा मसीह ने इसका विरोध भी किया हो|   लेकिन एक अकेला व्यक्ति कब तक  एक समूह से लड़ सकता हे|  आज के परिप्रेक्ष में हम शायद यह सोचते हैं की  दूसरों के लिए अपनी जान देना कौनसी समझदारी हे | हम अहिंसा और क्षमा की ताकत को नहीं पहचान सकते इसलिए ऐसी बातें करतें हैं | क्षमा की सबसे बड़ी मिसाल ईसा मसीह ने पेश की और यही वजह हे की आज दुनिया उन्हें एक मसीहा के रूप में याद करती हे|   अहिंसा की सबसे बड़ी मिसाल महात्मा गाँधी ने पेश की इसलिए दुनिया उन्हें संत के रूप में याद करती हे| इन महापुरुषों ने अपने जीवन का बलिदान देकर न जाने कितने लोगों को जीवनदान दिया |  आज तक हम इनके उपदेशों से इनको आदर्श मानकर समाज सुधरने का प्रयास कर रहें हैं ऐसे ही लोग असली ' मसीहा ' और ' संत ' हैं | 

वार्ना आजकल के तथाकथित संत महात्माओं ने तो अपनी जान बचाने के लिए , अपने गुनाहों  को छुपाने के लिए अपने ही अनुयाइयों की जान जोखिम में डालकर दंगें भड़का दिए | ईसा मसीह और महात्मा गाँधी जैसे संत महात्माओं ने कभी आधुनिक सुख सुविधाओं का उपयोग नहीं किया | सादा  जीवन और उच्च विचारों को ता उम्र अपने जीवन में उतारा  इसलिए मसीहा और संत कहलाए और कहलाते रहेंगें | जबकि आज जो साधु संत और महात्मा अधुनिक और विरासतपूर्ण जीवन जी रहे हैं अपने आपको संत महात्मा कहलवाना चाहते हैं वो संत ओर महत्मा नहीं हो सकते जब तक की वो आधुनिक  और विलासितपूर्ण जीवन  शैली छोड़कर सादा जीवन और उच्च विचारों को नहीं अपना लेते|


HAPPY CHRISTMAS


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