जीवन जीने के लिए ज़रूरी है ज़िन्दगी की वर्णमाला का अभ्यास

अभ्यास यानी 'प्रैक्टिस'| अभ्यास आप जिस चीज का करोगे निश्चित रुप से धीरे -धीरे उसे सीख जाओगे निर्भर करता है आपके अभ्यास नियमित करने पर| जिस तरह किसी भी भाषा का ज्ञान करने के लिए उसकी ए. बी.सी. डी. या वर्णमाला का अभ्यास जरुरी है, गणित सीखने के लिए गिनती पहाड़ों का अभ्यास जरुरी है, उसी तरह जिंदगी को जीने के लिए जिंदगी की ए. बी.सी. डी उसकी वर्णमाला का अभ्यास जरुरी है| बचपन में हमे हिंदी के स्वर- व्यंजन, इंग्लिश की ए. बी.सी. डी गिनती पहाड़े याद थे लेकिन आज हमसे कोई पूछ बैठें तो अधिकतर लोग क्रम से नहीं बता पाएंगे, लेकिन जिन लोगों ने अभ्यास जारी रखा हुआ है चाहे वह अपने बच्चों को पढ़ाने के माध्यम से जारी रहा हो या जिज्ञासावश वो लोग तुरंत बता देंगे क्योंकि यह उनके अभ्यास की वजह से याद रहा |
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ठीक उसी तरह जिंदगी को याद रखने के लिए जिंदगी की ए. बी.सी. डी वर्णमाला गिनती पहाड़ों का अभ्यास जरुरी है जो अक्सर लोग नहीं करते हैं और करते हैं तो नियमित नहीं करते हैं यही वजह है कि हम जैसे- जैसे बड़े होते जाते हैं जिंदगी को भूलते जाते हैं क्योंकि हम इसका अभ्यास करना छोड़ देते हैं, हम भूल जाते हैं अपने उस बचपन को जो हमारी ए. बी.सी. डी या हमारी वर्णमाला थी , हमारी गिनती पहाड़े थे और यही गलती हम हमारे बच्चों से भी दोहराने को कहते हैं जब वो बड़े होते हैं तो उन्हें भी कई बार अपने जीवन की ए. बी.सी. डी की आवश्यकता महसूस होती है लेकिन अभ्यास नहीं करने की वजह से हम भूल चुके होते हैं और इसी वजह से हम अपने बच्चों को कई बार गलत लाइन सिखा देते हैं और जिंदगी की वर्णमाला ए. बी.सी. डी, गिनती पहाड़े की एक गलत लाइन हमारे हंसते खेलते परिवार को तबाह कर देती है 
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 इसलिए जीवन के हर उम्र की एबीसीडी वर्णमाला गिनती पहाड़ों का अभ्यास जरूरी है चाहे बचपन हो , जवानी हो , बुढ़ापा हो | यदि आप प्रेम प्यार का अभ्यास करेंगे तो प्रेम बढ़ेगा और प्रेम के संदेश फेलाएंगे, यदि आप नफरत का अभ्यास करेंगे तो नफरत मजबूत होगी और आप नफरत फैलाएंगे | यदि आप खुश रहने की प्रेक्टिस करेंगे तो दूसरों को भी खुश रख सकेंगे यदि आप दुखी रहने का अभ्यास करेंगे तो दुखों को बढ़ावा देंगे, यदि आप अहिंसा की प्रेक्टिस करेंगे तो दुनिया को हिंसा से रोकेंगे, यदि आप ईमानदारी की प्रेक्टिस करेंगे तो बेईमानी में कमी होगी |
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नफरत, हिंसा, बेईमानी ,ईर्ष्या , द्वेष , कलेश की प्रैक्टिस हम बहुत कर चुके हैं आवश्यकता है प्रेम, भाईचारा, अहिंसा के अभ्यास की | जब कोई इनकी प्रैक्टिस शुरू करता है तो हम उसमें रूकावट बनते हैं किसी पर गोलियां चलवा देते हैं, किसी को सूली पर लटका देते हैं | आज आवश्यकता दुनिया को सुधारने की नहीं है, आज हमारा घर ही हमारी दुनिया है इसी मे यदि हम प्रेम, भाईचारे अहिंसा की प्रैक्टिस शुरू कर दें तो जीवन की एबीसीडी वर्णमाला गिनती पहाड़े का अभ्यास हमारे बच्चे भी जारी रखेंगे | और तब यही घर स्विज़रलैंड बन जाएगा | हरियाली यहीं नजर आएगी | ऊंटी, शिमला, कश्मीर यहीं होंगे | राधा- कृष्ण, राम- सीता, पवन पुत्र हनुमान सभी आपके घर में विराजमान होंगे | आवश्यकता है सिर्फ अभ्यास जारी रखने की |

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