सभ्य समाज के निर्माण के लिए सार्वजानिक रूप से हो रहे गाली गलोच एवं भद्दी टिप्पणियों के प्रति हमे जागरूक होने की आवश्यकता है | हम हमारे अधिकारों के प्रति अक्सर जागरूक होने का प्रयास करते हैं लेकिन क्या हमे अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक नहीं होना चाहिए ? हर व्यक्ति चाहता है की उसके बच्चे सभ्य बने गाली गलोच और गलत संगत से वे हमेशा दूर रहे और इसके लिए हम अधिकतर जिम्मेदारी देते हैं स्कूलों को |
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क्या इस बात पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए की जो चीज़ बच्चा स्कूल में नहीं सीख रहा है उस पर लगाम लगाने या उसका सुधार करने की जिम्मेदारी हम स्कूलों को दे देते हैं ? कोई स्कूल बच्चौं को गाली गलोच करना या गलत आचरण करना नहीं सिखाता यह सब बच्चा सीखता है घर की पाठशाला में , पड़ोस की पाठशाला में, या समाज की पाठशाला में | क्या इसमें सुधार करने की जिम्मेदारी सिर्फ स्कूलों की बनती है ?हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती?
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और यदि बनती है तो क्यों हम घरों में भद्दी गालियों के प्रयोग के प्रति लोगों को जागरूक नहीं करते हैं ? क्या भद्दी गलियों के प्रयोग से घर की बहू, बेटियां, माताएं ,बहने ,बुजुर्ग महिलाऐं शर्मिदगी महसूस नहीं करती है ? क्या रस्ते चलते बाज़ारों में या सार्वजनिक स्थलों पर गाली गलोच और अश्लील कमैंट्स से हमारे घर की माताओँ बहनो बहू बेटियों को नज़रे नीची नहीं करनी पड़ती है ? क्या हमे अपनी माताओं बहनो की भावनाओं की कद्र नहीं करनी चाहिए ? क्या हमे हमारे घरों में महिलाओं को सभ्य वातावरण प्रदान करने के लिए घरों से ही जागरूकता की शुरुआत नहीं करनी चाहिए ?
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यदि हाँ तो धनबाद के उत्तम सिन्हा से प्रेरणा ले जिन्हे कोल्ड फिल्ड एक्सप्रेस के टॉयलेट में लिखी अश्लील टिप्पणी पर बेटी द्वारा पूछे गए प्रश्नो के लिए शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ी और इस बात से प्रेरित होकर उन्होंने ट्रेनों , सार्वजानिक शौचालयों, सार्वजानिक स्थलों पर लिखे अश्लील कमैंट्स को मिटने की मुहीम शुरू की | उत्तम सिन्हा इस कार्य के लिए साधुवाद के पात्र है उत्तम सिन्हा अब तक कई ट्रेनों तथा सार्वजानिक शौचालयों से अश्लील कमैंट्स को मिटाकर संदेश चिपका कर आते हैं जिस पर लिखा होता है stop writing इस शौचलय का प्रयोग आपकी माँ बहने भी करेंगी | कहाँ तक उचित है सार्वजनिक रूप से गाली गलोच करना
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यदि आप भी ऐसा महसूस करते हैं तो उत्तम सिन्हा जैसे लोगों से प्रेरणा ले और उनके सराहनीय कदम के लिए ऐसे लोगों का उत्साहवर्धन करे जिससे स्त्रियों के मान सम्मान और महिला उदारीकरण को प्रोत्साहन मिल सके
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