दुनिया में कहीं कोई चीज़ अपने आप में सम्पूर्ण नहीं होती

गंगाजल में दुनिया  की सारी गंदगी मिली होने के बावजूद भी उसे शुद्ध माना जाता है क्यों ? क्या आपने कभी सोचा है की ऐसा क्या है गंगाजल में जो उसे साधारण जल से भिन्न बनाता है ? यह गंगाजल की प्रवृत्ति है ,   गंगाजल के प्रति लोगों की आस्था विश्वास है  |  कमल हमेशा कीचड़ में ही खिलता है |  कीचड़ में खिला होने के बावजूद कमल खिला - खिला मुस्कुराता नज़र आता है |     गुलाब की यदि बात की जाए तो कांटो के बीच रहकर भी उसके सुर्खपन में  कभी  कोई कमी  नहीं आती |
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  जिस तरह गंगाजल में गंदगी मिलने के बावजूद गंगाजल  अपने गुणों  को नहीं खोता है  |  दूसरी बात  गंदगी उसके साथ मिलने पर भी वह लोगों की नज़र में शुद्ध गंगाजल ही है |  कमल कीचड़ की गंदगी में पलकर बड़ा होता है खिलता है |  वह गंदगी ही उसे पालती है फिर भी वह अपनी पहचान नहीं बदलता |  गुलाब काँटों की संगत में भी दूसरों को  खुशियां बाँटता है क्योंकि काँटे  भी कभी - कभी उसकी रक्षा करते हैं   |
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 दुनिया में कहीं कोई चीज़ अपने आप में सम्पूर्ण नहीं होती बल्कि गुण - अवगुण  ,अच्छाई- बुराई , सच- झूठ , का यदि आंकलन सही तरीके से किया जाए तो ये सब एक दूसरे के पूरक होते हैं   |  यानी सच होगा तो कही न कही झूठ भी उसके साथ होगा   |    जहाँ गुण  होंगे वहां अवगुण भी मौजूद होंगे  | जहाँ अच्छाई होगी वहां बुराई भी अपना स्थान बना लेगी  |  बात है नज़रिया आस्था विश्वास  की और इन्ही की वजह से अवगुणो को गुणों में तब्दिल  किया जा सकता है |  बुराइयों को अच्छाइयों में बदला जा सकता है |  गलत को सही किया जा सकता है |  दुःख को सुख में बदला जा सकता है |  नफरत करने वाले को प्रेम करना सीखाया  जा सकता है |  असफलता  को सफलता में बदला   जा सकता है |
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और सबसे बड़ी बात चाहे घर परिवार हो  या संसार का  कोई भी कोना हो  प्रेम   रखे बिना  कहीं भी सुख शान्ति  भाईचारे की कल्पना नहीं की जा सकती | और प्रेम रखने , प्रेम निभाने, प्रेम की बात करने के लिए  नफ़रत,  गुस्सा, इर्ष्या , द्वेष ,स्वार्थ जैसी  प्रवृतियो को छोड़ना होगा |  फिर आपको भी कभी न कभी कहीं  न कहीं  कमल , गुलाब और गंगाजल की उपमा से नवाजा जायेगा  | 

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