आज आवश्यकता है महिलाओं के प्रति पुरुषों की बदलती सोच की सराहना करने और पुरुषों का मनोबल बढ़ाने की
वैसे तो स्त्री पुरुष दोनों ही इस सृष्टि के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है | परन्तु महिलाओ की भागीदारी किसी भी परिवर्तन में पुरुषो से अधिक रही है | स्त्रियों की सोच पुरुषो के मुकाबले ज्यादा विस्तृत और सतही होती है | प्राकृतिक रूप से पुरुषो के मन को बदलने और सही राह दिखने में स्त्रियाँ ज्यादा सक्षम होती है | इस वजह से नारी को सम्मान देना तथा इज्जत की रक्षा करना एक सभ्य समाज के लिए अति आवश्यक है | एक पुरुष की सफलता के पीछे अक्सर महिलाओ का हाथ होता है | यह अलग बात है कि पुरुष उसे स्वीकार करते है या नहीं | यह अलग बात है की महिलाये अपनी इस क्षमता का उचित उपयोग कर पाती है या नहीं | यह अलग बात है की महिलाओ की इस क्षमता से पुरुषो के अहम टकराते है| यह अलग बात है की महिलाये भी कभी- कभी अपने अहम और वहम की वजह से पुरुषो की सफलता में बाधक बन जाती है | इसलिए आज आवश्यकता है महिलाओं के प्रति पुरुषों की बदलती सोच की सराहना करने और का मनोबल बढ़ाने की
पति पत्नी के रिश्ते बिगड़ने से पैदा होती है आर्थिक मानसिक शारीरिक समस्याएँ ← click to read
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कुल मिलकर जीवन को सफल बनाना हो, बच्चो के भविष्य की बात हो या सामाजिक बदलाव की बात हो स्त्री के साथ के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है | यदि पुरुष अपने घमंड में चूर रहेंगे, स्त्रियों के मान सम्मान उनकी इज्जत प्रतिष्ठा को धूमिल करेंगे तो पुरुषो के प्रति महिलाओ का प्रतिशोध बढ़ेगा | उन पुरुषो को भी इस प्रतिशोध का सामना करना पड़ सकता है जो महिलाओ को सम्मान देना चाहते है या महिला शक्तिकरण की बात करते है | दूसरी बात यह हैं कि यदि महिलाये सभी पुरुषो को एक ही श्रेणी में रखने की कोशिश करेंगी तो पुरुषो के लिए बेवजह की परेशानी खड़ी होगी और स्त्री पुरुष एक दूसरे के प्रतिद्व्न्दी साबित होते रहेंगे | आज स्त्रियों के प्रति पुरुषों की सोच बदलने लगी है यह एक परिवर्तन का दौर है स्त्रियों के संघर्ष या समस्याओ का अंत भले ही सम्भव न हो लेकिन इस बदलती सोच का लाभ निकट भविष्य में महिला समाज को मिलना तय है | पुरुषों की इस बदलती मानसिकता के लिए जहां आवश्यक हो महिलाओं को भी पुरुषों की सराहना करनी चाहिए उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए ताकि अन्य पुरुष भी इससे प्रेरित हो सके
महिलाओं की स्थिति बदलने में महत्वपूर्ण होगा स्त्री व पुरुष दोनों का योगदान ← click to read
असामाजिक तत्व हर युग में अपनी भूमिका निभाते आये है | आज भी और आगे भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है की इस बदलती सोच को हर पुरुष स्वीकार करे |जो पुरुष इस बदलती सोच को स्वीकार कर रहे है और महिलाओं को मान सम्मान देने और दिलाने में अपनी भूमिका अदा कर रहे है उन पर भी महिलाओ को गर्व होना चाहिए इसके लिए स्त्री और पुरुष दोनों को मिलकर विचार करना होगा इस सोच को आगे बढ़ाना होगा | अपने- अपने अहम और वहम को त्यागना होगा | एक दूसरे के दुःख दर्द को समझना होगा | परिस्थितियों को समझना होगा | क्योंकि क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया नैसर्गिक नियम है | बदलाव के सदुपयोग से मिलने वाले लाभ के साथ - साथ दुरूपयोग से होने वाले नुकसान से भी इंकार नहीं किया जा सकता |
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असामाजिक तत्व हर युग में अपनी भूमिका निभाते आये है | आज भी और आगे भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है की इस बदलती सोच को हर पुरुष स्वीकार करे |जो पुरुष इस बदलती सोच को स्वीकार कर रहे है और महिलाओं को मान सम्मान देने और दिलाने में अपनी भूमिका अदा कर रहे है उन पर भी महिलाओ को गर्व होना चाहिए इसके लिए स्त्री और पुरुष दोनों को मिलकर विचार करना होगा इस सोच को आगे बढ़ाना होगा | अपने- अपने अहम और वहम को त्यागना होगा | एक दूसरे के दुःख दर्द को समझना होगा | परिस्थितियों को समझना होगा | क्योंकि क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया नैसर्गिक नियम है | बदलाव के सदुपयोग से मिलने वाले लाभ के साथ - साथ दुरूपयोग से होने वाले नुकसान से भी इंकार नहीं किया जा सकता |
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समाज को इस बदलाव के दौर का फायदा मिलना चाहिए | महिलाओ को पढ़ाई लिखाई, खेल कूद तथा नौकरियों में तरक्की के अवसर मिलने चाहिए | परिवार और समाज में महिलाओ का मान सम्मना बढ़ना चाहिए | इसके लिए महिलाओ के लिए बने कानूनों का सदुपयोग महिलाओं और पुरुषो दोनों के द्वारा किया जाना चाहिए | यदि कानूनों का दुरपयोग स्त्री और पुरुष दोनों के द्वारा किया जाता है तो इसके खामियाजे समाज को ही भुगतने पड़ेगे | क्योकि समाज परिवार से बनता है और परिवार स्त्री पुरुष के रिश्तो से बनता है | चाहे वो माता पिता के रूप में हो, पति पत्नी के रूप में हो ,माँ बेटे के रूप में हो या भाई बहन के रूप में हो | यदि हम स्त्री पुरुष के मुद्दे पर इस बदलती सोच के साथ तालमेल बैठने में कामयाब नहीं हुए तो जिस तरह स्वतंत्रता प्राप्ति के 70 वर्षो बाद भी जाति धर्म की समस्याओं से हम जूझ रहे है | देश की एकता अखंडता का दंश हमे पल पल सताता है | उसी प्रकार स्त्री और पुरुषो के विवाद से कहीं हम हमारे बच्चो के भविष्य को सवारने की कल्पना में अवरोध न बन जाये |
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