मनुष्य खुद एक फैक्ट्री है जो अपने गुणों- अवगुणों का निर्माण खुद करता है

फैक्ट्री यानी कारखाना| फैक्ट्री वह स्थान होता है जहां वस्तुओं का निर्माण होता है| इस लिहाज़ से देखा जाए तो मनुष्य खुद एक फैक्ट्री है जो अपने गुणों- अवगुणों का निर्माण खुद करता है |कुछ लोग अपने गुणों के लिए ब्रांडेड नेम बन जाते हैं कुछ अवगुणों के लिए| जिस प्रकार फैक्ट्री में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का निर्माण होता है उसी प्रकार मनुष्य रूपी फैक्ट्री में भी इंसान दुखों , बीमारियों, समस्याओं, अवगुणों, कुंठाओं ,अहम्-- वहम, क्रोध, द्वेश आदि बुराइयों का निर्माण कर अपना चाइनीज़ ब्रांड निर्मित करता है | इनके निर्माण में लागत बहुत कम यानी ना के बराबर आती है इनके निर्माण में मेहनत भी कम करनी पड़ती हे | इसलिए अधिकतर लोग अपनी फैक्टरी में इन्ही चीजों का निर्माण करना पसंद करते हैं और अपना घटियापन दिखाकर जल्दी से जल्दी ऊंचाइयों को छूना चाहते हैं |
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लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि चाइनीज़ और सस्ते माल यूज़ एंड थ्रो होते हे ऐसी वस्तुएँ ज्यादा दिन मार्किट में नहीं चल पाती और धीरे-धीरे लोग उनकी गुणवत्ता को पहचानने लगते हैं | कुछ लोगों की मजबूरी होती है उनके पास वस्तुएँ खरीदने की क्षमता नहीं होती है उन्हें वस्तुओं की गुणवत्ता से समझौता करना पड़ता है| ऐसे लोग न चाहते हुए भी मजबूरी में चाइनीज़ सस्ती वस्तुओं का उपयोग करते हैं इसलिए ये फैक्ट्रियां भी चलती रहती है और मनुष्य रूपी फैक्ट्री इस समाज रुपी बाजार में नकली प्रोडक्ट के रूप में धड़ल्ले से अपना सिक्का जमाऐ रहती हैं, परंतु यह लंबे समय तक नहीं चल पाती |
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दूसरी ओर समाज रुपी बाजार में ऐसी फैक्टरियाँ भीं है जो खुशी, प्रेम, क्षमा, त्याग, समाधान, इंसानियत,संतुलन, सहायता, जैसे उत्पाद कर अपना ब्रांड निर्मित करती है इनके निर्माण में लागत बहुत अधिक आती है इसलिए यह महंगे पड़ते हैं ऐसे प्रोडक्ट का निर्माण करने में अपने जीवन को दाँव पर लगाना पड़ता है| कठिन परिश्रम करना पड़ता है, सकारात्मक सोच बनानी पड़ती है, चाइनीज और सस्ते माल से कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है, ऐसे प्रोडक्ट समाज रुपी बाजार में बिकना तो दूर उन्हें खड़े रहने की जगह भी बड़ी मुश्किल से मिल पाती है| इसलिए ऐसे प्रोडक्ट की फैक्टरियां कम मिलती है लेकिन जो लोग एक बार ऐसे प्रोडक्ट की गुणवत्ता को पहचान लेते हैं, वे इस चाइनीज़ बाजार में भी इस तरह की फैक्ट्रियों को ढूंढ लेते हैं |
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और याद रखें ऐसी फैक्ट्रियों की वजह से ही आज मानवता जिंदा है | यदि हर मनुष्य चाहे तो वह अपनी खुद की ऐसी फैक्ट्री बना सकता है| बस उसे अपनी सोच सकारात्मक बनानी होगी ईर्ष्या, द्वेष, अहम् और वहम का साथ छोड़ना होगा, एक दूसरे की समस्या को सुनना पड़ेगा , समस्याओं को उलझाने की जगह सुलझाने के रास्ते ढूंढ़ने पड़ेंगे, दुनिया में प्रेम मोहोब्बत का सन्देश देना पड़ेगा और सबसे बड़ी बात खुद को खुश रखना सीखना पड़ेगा| फिर देखिए आपके अपने घर में खुशहाली होगी, प्रसन्नता होगी और तनाव से मुक्ति मिलेगी | लक्ष्मी जी कृपा होगी क्योंकि लक्ष्मी जी भी वहीं खनकती हे जहां खुशियां होती है प्रसन्नता होती है| अपनी मनुष्य रूपी फैक्ट्री में मानवता का ब्रांड निर्मित करें धड़ल्ले से बिकेगा



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