मन भी प्रकृति का उपहार है जीवन जीने के लिए इसे प्रदूषित होने से बचाना जरूरी है

जिस तरह से जल प्रदूषण वायु प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण  हमारे जीवन को  प्रभावित  कर रहे हैं  हमारे जीवन के लिए खतरनाक है    उसी तरह का एक खतरनाक प्रदूषण एक  और भी  है जो हमारे जीवन  को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है  और वो  है मन प्रदूषण  हमारे मन का  प्रदूषित होना हमारे लिए   परिवार  के लिए   समाज के लिए अन्य प्रदूषणों के समान ही खतरनाक है परन्तु हम इसको भी अनदेखा कर  रहे हैं  | 
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हम सभी तरह के प्रदूषणों के अंजाम से वाकिफ  हो  चुके हैं परंतु आज भी हम जागरूकता की सिर्फ बातें ही करते  आए हैं जब बारी आती है तो या तो हमारे पास समय नहीं होता है या फिर हम दूसरों पर आरोप लगाकर हमारी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास करते हैं और प्रदूषण की समस्या को हल करने में अपना योगदान नहीं देते हैं इसी वजह से यह प्रदूषण की समस्या हमारे जीवन के लिए खतरनाक हो चुकी है |


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ठीक उसी प्रकार मन प्रदूषण भी हमारे परिवारों के लिए खतरनाक हो चुका है समझते सब है मानते सब है परंतु अमल करने के वक्त सभी अपने मन को पाक साफ़ बताकर दूसरो की तरफ उंगली उठा देते हैं और दूसरों के मन को गंदा बता देते हैं जबकि हमारे मन में कितना प्रदूषण है यह हमें पता ही नहीं चल पाता है ना ही हम इसके कारणों तक पहुँचते है
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गुस्सा अहम कुंठा नफरत यह हमारे मन को प्रदूषित किए हुए हैं यदि आप इनमें से किसी का भी बोझ अपने मन पर डाले हुए हैं तो उस बोझ को उतारिए आपका मन इन्हीं की वजह से प्रदूषित है जो आपके लिए तो खतरनाक है ही परिवार और समाज के लिए और भी ज्यादा खतरनाक है | जिस तरह जल प्रदूषण की वजह से पीने लायक पानी का संकट खड़ा हो चुका है वायु प्रदूषण की वजह से साँस लेना मुश्किल हो चुका है ठीक उसी प्रकार मन के प्रदूषण की वजह से रिश्तो में प्रेम बनाये रखना मुश्किल हो गया है | रिश्तों को पाना चाहते है तो प्रकृति की किसी भी चीज को बिगड़ना उचित नहीं है हमारा मन भी प्रकृति का उपहार है जीवन जीने के लिए इसे प्रदूषित होने से बचना जरूरी है जल और वायु की तरह मन को भी शीतल स्वच्छ शुध्द व् पवित्र रखना बहुत जरूरी है |

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