नकारात्मक गुस्सा हमारे मन और शरीर को बोझिल बनाये रखता है
गुस्सा भी हमे गुस्से लायक बात पर ही करना चाहिए
क्या होता है नकारात्मक और सकारात्मक गुस्सा ?
नकारात्मक गुस्सा हमारे मन और शरीर को बोझिल बनाये रखता है
सकारात्मक गुस्सा गलतियों का पछतावे के रूप में एहसास करा देता है
सकारात्मक गुस्सा वक्त आने पर एक दूसरे को अपनी गलतियों का पछतावे के रूप में एहसास करा देता है | जिससे रिश्तो में प्यार मोहब्बत बनी रहती है और रिश्तो में बिखराव नहीं आता | इसलिए गुस्सा भले ही करें लेकिन सकारात्मक गुस्सा करें जो खुद के स्वास्थ्य पर भी असर नहीं डालें दूसरों तक आपके गुस्से का असर भी पहुंचे साँप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे | गुस्सा कुछ देर के लिए तो ठीक होता है परन्तु छोटी- छोटी बातों के लिए जीवन भर गुस्सा पाले रखना इंसान को कुंठित करता है | नफरत करना सीखाता है अपनों से दूर करता है |
गुस्सा एक स्वाभाविक क्रिया है | यह दो तरह का होता है नकारात्मक और सकारात्मक अधिकतर लोग नकारात्मक गुस्से से अपना जीवन जीते हैं | जो लोग बेवजह के गुस्से का प्रदर्शन करते है उन्हें पता ही नहीं होता की जिस बात पर वो गुस्सा कर रहे हैं वो गुस्से लायक भी है या नहीं | गुस्सा भी हमे गुस्से लायक बात पर ही करना चाहिए |
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क्या होता है नकारात्मक और सकारात्मक गुस्सा ?
जब गुस्से के साथ कुंठा पाल ली जाती है तो वो बिना बात का गुस्सा बन जाता है | और यही गुस्सा नकारात्मक गुस्सा कहलाता है | जो खुद के स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदायक होता है और दूसरों को भी नुकसान पहुंचाता है | कई बार गुस्सा वाजिब बात पर भी किया जाता है | ऐसा गुस्सा कुछ देर के लिए होता है और धीरे- धीरे माहौल के साथ साथ शांत हो जाता है | इस गुस्से में नफरत और कुंठा शामिल नहीं होने की वजह से यह गुस्सा सकारात्मक कहलाता है |
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नकारात्मक गुस्सा हमारे मन और शरीर को बोझिल बनाये रखता है
कई बातों में लालच स्वार्थ या अपने हित को साधने के लिए तथा अपने आप को सही साबित करने के लिए दबाव बनाने के लिए गुस्सा किया जाता है | इसके परिणाम गुस्सा करने वाले और गुस्सा झेलने वाले दोनों के लिए घातक होता है | नकारात्मक गुस्सा हमारे मन और शरीर को बोझिल बनाये रखता है | नकारात्मक गुस्से से जहाँ स्वास्थ्य को नुकसान होने की संभावना होती है वहीँ द्वेषता की वजह से दुश्मनिया पल जाती है |नकारात्मक गुस्से में कभी भी प्यार मोहब्बत का एहसास नहीं होता | नकारात्मक गुस्सा रिश्तो को बिगड़ देता है |
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सकारात्मक गुस्सा गलतियों का पछतावे के रूप में एहसास करा देता है
सकारात्मक गुस्सा वक्त आने पर एक दूसरे को अपनी गलतियों का पछतावे के रूप में एहसास करा देता है | जिससे रिश्तो में प्यार मोहब्बत बनी रहती है और रिश्तो में बिखराव नहीं आता | इसलिए गुस्सा भले ही करें लेकिन सकारात्मक गुस्सा करें जो खुद के स्वास्थ्य पर भी असर नहीं डालें दूसरों तक आपके गुस्से का असर भी पहुंचे साँप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे | गुस्सा कुछ देर के लिए तो ठीक होता है परन्तु छोटी- छोटी बातों के लिए जीवन भर गुस्सा पाले रखना इंसान को कुंठित करता है | नफरत करना सीखाता है अपनों से दूर करता है |
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