हर व्यक्ति समस्या का समाधान अपनी शर्तों पर चाहता है
हर व्यक्ति समस्या का समाधान अपनी शर्तों पर चाहता है
बींमारी चाहे शारीरिक हो पारिवारिक हो या सामाजिक हो एक दम से पैदा नहीं होती है जो लोग इससे जुड़े होते हैं वो खुद बीमारी के पैदा होने से लेकर उसके निदान तक के लिए जिम्मेदार होते हैं हर व्यक्ति बीमारी का निदान चाहता है हर व्यक्ति समस्या का समाधान अपनी शर्तों पर चाहता है किसी के सामने आर्थिक शर्ते किसी के सामने पारिवारिक शर्तें किसी के सामने सामाजिक शर्ते और इन्ही शर्तों की वजह से बीमारी पलने देते हैं हम सभी उस बीमारी को बढ़ने का मौका देते हैं कोई उसमें हल जोतता है कोई बीज डालता है कोई पानी से सींचता हैं लेकिन इसे मानने के लिए कोई तैयार नहीं होता हैं |
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किसी का भी असहयोग समस्या को और बिगड़ देता है
दोस्तों दुनिया में ऐसी कोई बीमारी नहीं जिसका कोई इलाज नहीं हो सके | यदि मरीज ,डॉक्टर, उसके परिजन अपना अपना रोल अदा करें तो किसी भी बीमारी का हल निकला जा सकता है | दुनिया में ऐसा कोई परिवार नहीं जो खुश न रह सके बशर्त है की परिवार के सदस्य अपनी -अपनी कमियों को ढूंढें और उन्हें दूर करने का प्रयास तो करें | दुनिया में कोई समाज नहीं जो सामाजिक न हो सके सामाजिक हितों की बात तो करे | समस्या चाहे व्यक्तिगत हो, पारिवारिक हो, या सामाजिक प्रयास मिल जुल कर ही करने पड़ते है, जिम्मेदारी सभी को निभानी पड़ती है ,सहयोग सभी को करना पड़ता है | किसी का भी असहयोग समस्या को और बिगड़ देता है |
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दूसरों का दिल दुखी होने पर भी दर्द महसूस करके देखे
इसका सिम्पल फंडा यही है की हिम्मत धैर्य हौसले विनम्रता एकजुटता से कार्य को अंजाम दिया जाये | अति हर चीज़ की बुरी होती है ईमानदारी से कमाई गयी धन दौलत कोई बुरी नहीं होती लेकिन उसका खर्च भी ईमानदारी से हो अपनी ख़ुशी के लिए हमे दूसरों की ख़ुशी का भी ध्यान रखना पड़ेगा | अक्सर हम अपनी ख़ुशी तो चाहते हैं लेकिन दूसरों की ख़ुशी को नज़रअंदाज कर देते हैं | हम दूसरों की गलतियों को सामने लाना चाहते हैं लेकिन हमारी गलतियों पर हमारी नज़र ही नहीं पड़ती है | अपना दिल दुखी होने पर हमे दर्द महसूस होता है दूसरों का दिल दुखी होने पर भी दर्द महसूस करके देखे |
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किसी भी चीज़ का जब संतुलन बिगड़ता है तो व्यवस्था बिगड़ती है
विचरो में आपसी संतुलन बनाना बहुत ही जरूरी है | प्राकृतिक नियम की अनदेखी नहीं करे | किसी भी चीज़ का जब संतुलन बिगड़ता है तो व्यवस्था बिगड़ती है , फैसले बिगड़ते है | आज हमारी सोच का संतुलन बिगड़ गया है पति पत्नी के विचारों में संतुलन नहीं , भाई से भाई के विचार मेल नहीं खाते, रिश्ते है लेकिन विचरो के नहीं मजबूरी के | यही वजह है की परिवारों में संतुलन नहीं है जहाँ पति पत्नी के विचारों में संतुलन नहीं बना हुआ है, जहाँ रिश्तों में प्रेम प्यार नहीं है वहां कभी भी परिवार में संतुलन नहीं हो सकता | दुनिया में प्रेम ही एक ऐसा जरिया है जिससे हम हर बीमारी से निजात पा सकते हैं | वर्ना बीमारी चाहे शारीरिक हो पारिवारिक हो सामाजिक हो हम इनके इलाज के लिए कभी कोई डॉक्टर नहीं ढूंढ पाएंगे |
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